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सारण: मांगें पूरी नहीं होने पर शिक्षकों ने किया मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का पुतला दहन

शिक्षक संघ के प्रदेश कोषाध्यक्ष ने कहा कि सरकार अगर हमारी मांगों पर पुनः गंभीरता पूर्वक विचार कर आचार संहिता के लगने से पहले लागू नहीं करती है, तो बाध्य होकर हम सरकार का विरोध करेंगे. जो पार्टी हमारी मागों को चुनावी एजेंडा में शामिल करेंगी, उस दल को हम शिक्षक अपना समर्थन करेंगे.

Saran
मांगें पूरी न होने पर शिक्षकों ने किया मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का पुतला दहन
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Published : Sep 3, 2020, 7:28 PM IST

सारण(छपरा): शिक्षक संघ बिहार राज्य कमेटी के आवाहन पर गुरुवार को छपरा के नगर पालिका चौक पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का संयुक्त रूप से पुतला दहन किया गया है. इस दौरान शिक्षकों ने सरकार की शिक्षक विरोधी नीतियों की तीव्र भर्त्सना भी की. वहीं, शिक्षकों का कहना था की बिहार सरकार की कथनी और करनी में काफी अंतर है. राज्य सरकार ने नियोजित शिक्षकों को सदा ठगने का कार्य किया है.

सरकार ने शिक्षकों को थमाया चुनावी लॉलीपॉप

दरअसल, 78 दिनों से चली आ रही शिक्षकों की हड़ताल को सरकार ने छल करते हुये लिखित आश्वासन देकर समाप्त करा दिया था. कहा था कि कोरोना का प्रभाव कम होने पर सरकार वार्ता कर शिक्षकों की सात सूत्री मांग यथा पुराने शिक्षकों की भांति वेतन, सेवा शर्त, राज्य कर्मियों का दर्जा, पेंशन, ऐच्छिक स्थनांतरण आदि पर गंभीरता पूर्वक विचार करेंगी. लेकिन सरकार ने अभी तक कुछ नही किया है. सरकार ने केवल चुनावी लॉलीपॉप के रूप में 8 महीने बाद वेतन बढ़ोतरी का आश्वासन दिया, जो की शिक्षकों के साथ छलावा मात्र है.

आचारसंहिता लगने से पहने मांगें पूरी करने की मांग

वहीं, शिक्षक संघ के प्रदेश कोषाध्यक्ष ने कहा कि सरकार अगर हमारी मांगो पर पुनः गंभीरता पूर्वक विचार कर आचार संहिता के लगने से पहले लागू नहीं करती है, तो बाध्य होकर हम सरकार का विरोध करेंगे. जो पार्टी हमारी मागों को चुनावी एजेंडा में शामिल करेंगी, उस दल को हम शिक्षक अपना समर्थन करेंगे.

सारण(छपरा): शिक्षक संघ बिहार राज्य कमेटी के आवाहन पर गुरुवार को छपरा के नगर पालिका चौक पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का संयुक्त रूप से पुतला दहन किया गया है. इस दौरान शिक्षकों ने सरकार की शिक्षक विरोधी नीतियों की तीव्र भर्त्सना भी की. वहीं, शिक्षकों का कहना था की बिहार सरकार की कथनी और करनी में काफी अंतर है. राज्य सरकार ने नियोजित शिक्षकों को सदा ठगने का कार्य किया है.

सरकार ने शिक्षकों को थमाया चुनावी लॉलीपॉप

दरअसल, 78 दिनों से चली आ रही शिक्षकों की हड़ताल को सरकार ने छल करते हुये लिखित आश्वासन देकर समाप्त करा दिया था. कहा था कि कोरोना का प्रभाव कम होने पर सरकार वार्ता कर शिक्षकों की सात सूत्री मांग यथा पुराने शिक्षकों की भांति वेतन, सेवा शर्त, राज्य कर्मियों का दर्जा, पेंशन, ऐच्छिक स्थनांतरण आदि पर गंभीरता पूर्वक विचार करेंगी. लेकिन सरकार ने अभी तक कुछ नही किया है. सरकार ने केवल चुनावी लॉलीपॉप के रूप में 8 महीने बाद वेतन बढ़ोतरी का आश्वासन दिया, जो की शिक्षकों के साथ छलावा मात्र है.

आचारसंहिता लगने से पहने मांगें पूरी करने की मांग

वहीं, शिक्षक संघ के प्रदेश कोषाध्यक्ष ने कहा कि सरकार अगर हमारी मांगो पर पुनः गंभीरता पूर्वक विचार कर आचार संहिता के लगने से पहले लागू नहीं करती है, तो बाध्य होकर हम सरकार का विरोध करेंगे. जो पार्टी हमारी मागों को चुनावी एजेंडा में शामिल करेंगी, उस दल को हम शिक्षक अपना समर्थन करेंगे.

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