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सारण की बेटी सुहानी का खेलो इंडिया अकादमी में चयन, लेंगी निशुल्क प्रशिक्षण

सारण की 13 वर्षीय सुहानी का सेलेक्शन खेलो इंडिया अकादमी में हुआ है. जहां उन्हें मुफ्त में ट्रेनिंग दी जाएगी. उनके चयन से घर परिवार में काफी खुशई का माहौल है.

सुहानी का खेलो इंडिया अकादमी में चयन
सुहानी का खेलो इंडिया अकादमी में चयन
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Published : Aug 27, 2020, 7:32 PM IST

सारण(नगरा): 'खेलोगे कूदोगे तो होओगे खराब, पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब' मौजूदा समय में यह वाक्य उल्टा साबित होता नजर आ रहा है. अब स्थानीय स्तर से लेकर देश स्तर तक खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर उन्हें हर तरह से सहयोग दिया जा रहा है. वर्तमान में खिलाड़ियों की अपनी अलग प्रसिद्धि, अलग ख्याति है. जिससे वह अपने घर-परिवार से लेकर प्रखंड, राज्य और देश तक का नाम रोशन कर रहे हैं.

जिले की बेटी सुहानी इनदिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के सपने को साकार करने में लगी हुई है. दरअसल, नगरा प्रखंड अंतर्गत धोबवल गांव के तापन टोला निवासी हरेंद्र सिंह और संगीता देवी की 13 वर्षीय बेटी सुहानी का चयन खेलो इंडिया अकादमी में हुआ है. यानी सुहानी अब निशुल्क प्रशिक्षण लेगी और देश में अपनी पहचान बनाएगी.

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साइकिल के साथ सुहानी की तस्वीर

साइकिलिंग कर नाम किया रोशन
खेलो इंडिया अकादमी में चयनित सुहानी ने बताया है कि मेरी प्रारंभिक शिक्षा गांव के मध्य विद्यालय भोपाल से हुई. फिलहाल वह गांव के बालिका उच्च विद्यालय में 9वीं वर्ग की छात्रा है. सुहानी ने बताया कि मेरे पिताजी राजस्थान में प्राइवेट नौकरी करते हैं. मेरे सपनों को पंख देने के लिए उन्होंने 40,000 रुपये कर्ज लेकर मेरे लिए साइकिल खरीदी है, जिस पर वे प्रतिदिन अभ्यास करती हैं.

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सुहानी का घर

भाई-बहनों में सबसे छोटी है सुहानी
सुहानी अपने पांच बहनों और एक भाई में सबसे छोटी हैं. बचपन से ही उन्हें साइकिल चलाने का शौक था. साइकिल को देख वह अपना भाग्य आजमाने का सपना देखती थी, जो आज पूरा होता दिख रहा है. आगे सुहानी बताती हैं कि साइकिल चलाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे स्वास्थ्य ठीक रहता है. यह ज्यादा महंगा खेल भी नहीं है.

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खेलो इंडिया अकादमी में चयनित सुहानी

देश सेवा को सर्वोपरि मानती है सुहानी
देश सेवा को सर्वोपरि मानने वाली सुहानी का सपना है कि साइकिलिंग के क्षेत्र में अपना मुकाम हासिल कर वह आईपीएस बनें. वर्ष 2019 में राष्ट्रीय स्तर के साइकिलिंग में भी अपनी सहभागिता दे चुकी हैं. लेकिन कोई अच्छा परिणाम नहीं मिला. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और आगे भी साइकिलिंग के क्षेत्र से जुड़ी रही.

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अपनी मां के साथ सुहानी

बिहार से केवल 2 लड़कियां हुई चयनित
सुहानी के सेलेक्शन से एकडेमी और इलाके में खुशी की लहर दौड़ गई है. गांव और विद्यालय परिवार के अलावा सारण जिला साइकिलिंग संघ से जुड़े पदाधिकारियों ने भी खुशी का इजहार किया है. बता दें कि पूरे बिहार से मात्र दो लड़कियों का चयन खेलो इंडिया अकादमी में हुआ है जो काफी गौरव की बात है. सारण साइकिलिंग संघ के जिला सचिव प्रभातेश पांडे ने कहा है कि सुहानी कुमारी के चयन से ग्रामीण इलाकों में इसके प्रति आकर्षण बढ़ेगा और अन्य स्कूली छात्राएं इसके लिए आगे आएंगी.

अकादमी की ओर से मिलेगी छात्रवृत्ति
प्रभातेश पांडे ने बताया कि खेलो इंडिया अकादमी से मासिक 10,000 की छात्रवृत्ति मिलेगी. साथ ही खेल का बेहतर प्रशिक्षण मिलेगा. जिससे सुहानी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकेंगे. सुहानी की मां ने सरकार से मांग की है कि जिस तरह से उनका परिवार गरीबी की मार झेलने के बावजूद बेटी को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ा रहा है, उसी तरह सरकार भी उभरती हुई प्रतिभा को पंख दे और खिलाड़ियों को हर संभव सहयोग करे.

सारण(नगरा): 'खेलोगे कूदोगे तो होओगे खराब, पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब' मौजूदा समय में यह वाक्य उल्टा साबित होता नजर आ रहा है. अब स्थानीय स्तर से लेकर देश स्तर तक खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर उन्हें हर तरह से सहयोग दिया जा रहा है. वर्तमान में खिलाड़ियों की अपनी अलग प्रसिद्धि, अलग ख्याति है. जिससे वह अपने घर-परिवार से लेकर प्रखंड, राज्य और देश तक का नाम रोशन कर रहे हैं.

जिले की बेटी सुहानी इनदिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के सपने को साकार करने में लगी हुई है. दरअसल, नगरा प्रखंड अंतर्गत धोबवल गांव के तापन टोला निवासी हरेंद्र सिंह और संगीता देवी की 13 वर्षीय बेटी सुहानी का चयन खेलो इंडिया अकादमी में हुआ है. यानी सुहानी अब निशुल्क प्रशिक्षण लेगी और देश में अपनी पहचान बनाएगी.

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साइकिल के साथ सुहानी की तस्वीर

साइकिलिंग कर नाम किया रोशन
खेलो इंडिया अकादमी में चयनित सुहानी ने बताया है कि मेरी प्रारंभिक शिक्षा गांव के मध्य विद्यालय भोपाल से हुई. फिलहाल वह गांव के बालिका उच्च विद्यालय में 9वीं वर्ग की छात्रा है. सुहानी ने बताया कि मेरे पिताजी राजस्थान में प्राइवेट नौकरी करते हैं. मेरे सपनों को पंख देने के लिए उन्होंने 40,000 रुपये कर्ज लेकर मेरे लिए साइकिल खरीदी है, जिस पर वे प्रतिदिन अभ्यास करती हैं.

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सुहानी का घर

भाई-बहनों में सबसे छोटी है सुहानी
सुहानी अपने पांच बहनों और एक भाई में सबसे छोटी हैं. बचपन से ही उन्हें साइकिल चलाने का शौक था. साइकिल को देख वह अपना भाग्य आजमाने का सपना देखती थी, जो आज पूरा होता दिख रहा है. आगे सुहानी बताती हैं कि साइकिल चलाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे स्वास्थ्य ठीक रहता है. यह ज्यादा महंगा खेल भी नहीं है.

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खेलो इंडिया अकादमी में चयनित सुहानी

देश सेवा को सर्वोपरि मानती है सुहानी
देश सेवा को सर्वोपरि मानने वाली सुहानी का सपना है कि साइकिलिंग के क्षेत्र में अपना मुकाम हासिल कर वह आईपीएस बनें. वर्ष 2019 में राष्ट्रीय स्तर के साइकिलिंग में भी अपनी सहभागिता दे चुकी हैं. लेकिन कोई अच्छा परिणाम नहीं मिला. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और आगे भी साइकिलिंग के क्षेत्र से जुड़ी रही.

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अपनी मां के साथ सुहानी

बिहार से केवल 2 लड़कियां हुई चयनित
सुहानी के सेलेक्शन से एकडेमी और इलाके में खुशी की लहर दौड़ गई है. गांव और विद्यालय परिवार के अलावा सारण जिला साइकिलिंग संघ से जुड़े पदाधिकारियों ने भी खुशी का इजहार किया है. बता दें कि पूरे बिहार से मात्र दो लड़कियों का चयन खेलो इंडिया अकादमी में हुआ है जो काफी गौरव की बात है. सारण साइकिलिंग संघ के जिला सचिव प्रभातेश पांडे ने कहा है कि सुहानी कुमारी के चयन से ग्रामीण इलाकों में इसके प्रति आकर्षण बढ़ेगा और अन्य स्कूली छात्राएं इसके लिए आगे आएंगी.

अकादमी की ओर से मिलेगी छात्रवृत्ति
प्रभातेश पांडे ने बताया कि खेलो इंडिया अकादमी से मासिक 10,000 की छात्रवृत्ति मिलेगी. साथ ही खेल का बेहतर प्रशिक्षण मिलेगा. जिससे सुहानी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकेंगे. सुहानी की मां ने सरकार से मांग की है कि जिस तरह से उनका परिवार गरीबी की मार झेलने के बावजूद बेटी को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ा रहा है, उसी तरह सरकार भी उभरती हुई प्रतिभा को पंख दे और खिलाड़ियों को हर संभव सहयोग करे.

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