सारण: बिहार के सारण जिले में माता का ऐसा मंदिर है जो 51 शक्तिपीठों में से एक है. यह प्रसिद्ध मंदिर दिघवारा प्रखंड के आमी गांव गंगा नदी के तट पर छपरा पटना हाइवे संख्या 19 पर है. इस मंदिर में मां अंबिका भवानी की मिट्टी की प्रतिमा पिंड रूप में अवस्थित है, जिसके दर्शन के लिए श्रद्धालु देश के कोने-कोने से पहुंचते हैं. नवरात्रि के 9 दिन यहां पर माता के दर्शन के लिए भारी भीड़ लगी रहती है. अंबिका भवानी मंदिर में मां दुर्गा की कोई भी प्रतिमा स्थापित नहीं है, यहां मिट्टी के मूर्ति की पूजा होती है.
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मंदिर का पौराणिक इतिहास: मार्कंडेय पुराण में वर्णित इस स्थान के बारे में बताया जाता है कि यह स्थल प्रजापति राजा दक्ष का यज्ञ स्थल और राजा सूरत की तपस्या स्थली रही है. कहा जाता है कि प्रजापति राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में महादेव को आमंत्रित नहीं किया गया था. लिहाजा माता सती अपने पिता द्वारा अपने पति भगवान शिव का अपमान किए जाने पर दुखी होकर हवन कुंड में कूद कर आत्महत्या कर ली थी, इससे आक्रोशित होकर भगवान शिव सती के शव को लेकर तांडव नृत्य करने लगे.
सती के शव के टुकड़े बन गए शक्तिपीठ: भगवान शंकर के तांडव नृत्य को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शव के टुकड़े-टुकड़े कर दिए. उनके शव के टुकड़े जहां-जहां गिरे, वो स्थान शक्तिपीठ के रूप में जाना जाने लगा. मां अंबिका भवानी मंदिर गृहस्थ, श्रद्धालुओं और भक्तों का श्रद्धा स्थल है. वैष्णवी शक्ति उपासक व मार्गी कापालिक अवधूतों की साधना तथा सिद्ध शक्तिपीठ मां अंबिका भवानी की महिमा अपरंपार है.
"नौ दिनों तक माता की विशेष पूजा: नवरात्रि के 9 दिन माता को प्रसन्न करने के लिए यहां पर विशेष पूजा होती है जिसमें देशभर से श्रद्धालु माता कर दर्शन करने आते हैं. माता के दरबार में हर किसी की मुराद पूरी होती है नतीजतन यहां नवरात्रि में लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है. नौ दिनों के बाद माता को नम आंखों के साथ विदाई दी जाती है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं."
"जो भी आता है यहां से खाली हाथ नहीं जाता है, यहां की परंपरा हर वेद-पुराण में मिल जाएगी. हमलोग हर नवरात्र का अनुष्ठान यहीं से करते हैं, माता सब पर अपनी कृपा बनाए रखती हैं."- स्थानीय