सारण: सारण का एकमा प्रखंड इन दिनों चर्चे में है. चर्चा का विषय यहां के आईपीएस अफसर हैं. जिन्होंने ऐसी मिसाल कायम की है. मिसाल भी ऐसी, जिनके बारे लोग सोचने से भी पसीने छूट जाए. हम बात कर रहे हैं. पचुआ गांव निवासी और आपीएस अफसर अशोक कुमार की. जिन्होंने बुधवार को पृथ्वी की परिधि की लगभग आधी दूरी तय कर ली है.
वर्तमान में अशोक कुमार दार्जिलिंग में आईजी पद पर कार्यरत हैं. 2003 में हार्ट अटैक हुआ था. इसके बाद एंजियोप्लास्टी हुई. फिर भी हिम्मत नहीं हारते हुए उन्होंने 2012 में अपनी स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लेते हुए दौड़ने की शुरुआत की. बुधवार यानी आज 20 हजार किलोमीटर की दौड़ पूरा कर एक मिसाल कायम की है. जो पृथ्वी की परिधि की लगभग आधी दूरी है.
2012 से की दौड़ने की शुरुआत
इस संबंध में ईटीवी भारत ने अधिकारी अशोक कुमार से बात की. जिसमें उन्होंने कहा कि 'मैं हर किसी के साथ एक व्यक्तिगत उपलब्धि साझा करना चाहता हूं. जहां मैं 26 अप्रैल, 2012 से 20,000 किलोमीटर पूरा करने में कामयाब रहा. जिसमें पृथ्वी की आधी परिधि का भी हिसाब है. इस व्यक्तिगत उपलब्धि को साझा करने के साथ मैं किसी और को प्रेरित करने का अवसर भी देता हूं, जो हर दिन दौड़ने या काम करने पर विचार करता है या ऐसा करने के लिए संघर्ष करता है. या किसी ऐसे व्यक्ति के लिए भी जो इस क्षेत्र में महान ऊंचाइयों को प्राप्त करना चाहता है'.
2003 में हुआ था हार्ट अटैक
इसके आगे की बातचीत में उन्होंने कहा कि 'कुछ साल पहले मेरी स्थिति ऐसी थी कि लगता था कि मैं कभी स्वस्थ और फिट नहीं हो पाउंगा. 2003 में मुझे हार्ट अटैक हुआ था. इसके बाद एंजियोप्लास्टी हुई. इसके अनेक कारण थे. आइपीएस बनने के पहले मैंने कभी कोई खेल नहीं खेला था. फिटनेस और एरोबिक्स से अपरिचित था. प्रशिक्षण के दौरान भी किसी तरह फिटनेस टेस्ट पास करता था. हैदराबाद में एसवीपीएनपीए की ट्रेनिंग के बाद शारीरिक श्रम करना छोड़ दिया था. जीवन शैली और खाने की आदतें भी बदल गई थी. 62 किलोग्राम से बढ़कर मेरा वजन 74 किलोग्राम हो गया. इस अपेक्षा ने मुझे दिल का मरीज बना दिया’.
‘फिटनेस मेरा मूल मंत्र बन गया’
ईटीवी भारत से अशोक कुमार ने कहा कि 'अब मैंने खुद को फिट रखने का प्रण किया. अनेक रिसर्च और विश्लेषणों के बाद फिटनेस मेरा मूल मंत्र बन गया. आर्युवेद, योग, प्राणायाम, ध्यान का अध्ययन किया. हार्ट अटैक के बाद मेरी दृष्टि कमजोर हुई दांतों का सड़न हुआ, अन्य परेशानियां हुई. मैंने खुद को ईश्वर की दया पर छोड़ दिया. लेकिन 2012 में मुझे यह अनुभव हुआ कि मेरा जीवन और मेरा स्वास्थ्य मेरी ही जिम्मेदारी है. बेहतर जीवन का प्रण मैंने किया. मैंने सोचा भी नहीं था कि ऐसा कर पाना संभव होगा-दौड़ने की शुरुआत करने से पहले. अब यह अनुभव हुआ कि किसी के लिए भी कुछ भी असंभव नहीं है. ढ़ृढ़ इच्छाशक्ति और भाव के साथ उससे निरंतरता आती है. यह आपके शरीर को और स्ट्रेस नहीं होने देती और आप लंबा वर्कआउट करने में सक्षम होते हैं’.
दौड़ना मुझे हमेशा प्यारा लगता है
आईजी अशोक कुमार ने बताया कि 'जीवन की इस यात्रा में मैंने यही सीखा है कि खुद को सिखाया है. अब समय है कि मैं अपने सामाजिक दायरे के लोगों, दोस्तों और कर्मियों को इसके लिए प्रेरित करू. दौड़ना मुझे हमेशा प्यारा लगता है. यह आपके सामर्थ्य में है. किसी भी दिशा में धीरे या तेज दौड़े, पैरों और फेफड़ों को मजबूती दें और दिल को साहस’.
दौड़ने के बाद अच्छा महसूस हुआ
आईजी आगे कहते हैं कि '100 में से 99 व्यक्ति कहते है कि दौड़ने के बाद अच्छा महसूस हुआ है. पारंपरिक ज्ञान कहता है कि दौड़ने से घुटने प्रमाणित होते हैं और अर्थराअटिस हो जाता है. लेकिन हालिया अध्ययन बताते हैं कि दौड़ने से ओल्ड एज में ज्यादा स्वस्थ घुटने रहते हैं. न्यूयार्क टाइम में ऐसा कहा है कि दौड़ने वालों के घुटनों में मोशन ग्रुव बनता जो कार्टिलेज को सपोर्ट करते हैं. ओल्ड एज में प्रोटेक्ट करते हैं.
संदेश: स्वास्थ्य ही धन है
आईपीएस अधिकारी ने कहा कि 'इसके साथ मैं एक और सभी से आग्रह करूंगा कि आप टहले, जॉगिंग करें, दौड़ें. चाहे प्रारंभ में यह कितना भी मुश्किल क्यों ना लगे. क्योंकि यह आपके फिटनेस को बढ़ाता है. स्वास्थ्य ही धन है. स्वास्थ्य हानि होने पर ही इसका महत्व महसूस होता है. स्वास्थ्य की पुर्नप्राप्ति कठिन जरूर है. लेकिन असंभव नहीं. शुरू करने में कभी देर नहीं होती’.