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छपरा के सरकारी स्कूल में लड़कों को बांटे गए सैनिटेरी पैड्स, ऐसे खुला घोटाले का राज - etv bharat bihar

सारण के एक सरकारी स्कूल में लड़कियों के लिए सैनिटरी नैपकिन योजना की राशि लड़कों को बांट दी गई. जैसे ही ये मामला उजागर हुआ शिक्षा विभाग के हाथ पैर फूल गए. खास बात ये है कि इस रकम को तीन साल से निकाली भी जा रही थी. इस मामले में डीएम राजेश मीणा ने जांच के बाद कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है. पढ़ें पूरी खबर-

सारण सैनिटरी नैपकिन घोटाला पर बोले जिलाधिकारी
सारण सैनिटरी नैपकिन घोटाला पर बोले जिलाधिकारी
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Published : Jan 25, 2022, 4:21 PM IST

Updated : Jan 25, 2022, 6:26 PM IST

सारण: बिहार के सारण में घोटाले का अनूठा मामला सामने आया. यहां मांझी प्रखंड के हलखोरी साह उच्च विद्यालय में लड़कियों के लिए चलाई जा रही सैनिटरी नैपकिन योजना (Sanitary Napkin Scam In Saran) की राशि लड़कों को बांटी जा रही थी. सैनिटरी नैपकिन माहवारी के वक्त लड़कियों के काम आता है, लेकिन तीन साल से इस मद में आने वाले फंड को दर्जनों लड़कों के खाते में ट्रांसफर करके उतार ली जा रही थी. लंबे अंतराल के बावजूद इतनी बड़ी अनियमितता पर किसी की भी नजर नहीं गई. फिलहाल, लाखों रुपए के घोटाले के खुलासे के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. मामला अब जिलाधिकारी के संज्ञान में आ चुका है. जिलाधिकारी राजेश मीणा (District Magistrate Rajesh Meena) इस मामले में काफी गंभीर नजर आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें: 'ये घोटाले की अजीब दास्तां, सुशासन में लड़कों को बांटी जा रही माहवारी की सैनिटरी नैपकिन'

जिलाधिकारी राजेश मीणा से जब इस मसले पर उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है. इस पर जांच की जा रही है, अगर मामला सही पाया गया तो दोषियों पर कार्रवाई अवश्य होगी. गौरतलब है कि घोटाले का प्रकरण पिछले 3 वित्तीय वर्ष का है तब यहां के प्राध्यापक अशोक कुमार राय थे उनके समय में ही इस घोटाले का आरोप है.

'ये मामला सामने आते ही हमने जिला शिक्षा पदाधिकारी को जांच के निर्देश दिए है. ये साल 2016-17 का मामला है. इसमें कुछ छात्रों को दूसरी योजना के तहत राशि अंतरित की गई है. इसकी जांच अभी जारी है. जांच रिपोर्ट हमारे सामने नहीं आई है. डीईओ के माध्य से जांच रिपोर्ट में किसी की गलती पाई जाती है तो उसे किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा'- राजेश मीणा, जिलाधिकारी, सारण

ये भी पढ़ें: लखीसराय में पीएम आवास योजना में घोटाला! आवास सहायक पर योग्य उम्मीदवारों के नाम सूची से हटाने का आरोप

बता दें कि नये प्राचार्य ने अपने जांच के क्रम में पाया था कि यहां लड़कियों की जगह लड़कों को सैनिटरी नैपकिन का पैसा भेजा जाता है. पूरा पैसा लड़कों के अकाउंट में ट्रांसफर हो रहा था. सैनिटरी नैपकिन के पैसे को लड़कों को आवंटित करने के इस पूरे खेल में लाखों रुपये का घपला सामने आया है. नये प्रिंसिपल जब विद्यालय में पदभार ग्रहण करने पहुंचे तो उन्होंने स्कूल में चल रही सरकारी योजनाओं का उपयोगिता प्रमाण पत्र मांगा. उसके बाद जब उन्हें उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं मिला तब उन्होंने सरकार की ओर से आवंटित एक करोड़ रुपये के राशि की जांच शुरू की.

ये भी पढ़ें: मगध विश्वविद्यालय कॉपी घोटाला: स्पेशल विजिलेंस यूनिट के सामने पेश होंगे VC राजेंद्र प्रसाद

विद्यालय के शिक्षक जब पैसों की जांच करते हुए बैंक पहुंचे तो उन्हें ये जानकर आश्चर्य हुआ कि लड़कियों के नैपकिन की राशि लड़कों के अकाउंट में ट्रांसफर कर दी गई है. लड़कियों को देने के लिए सरकार की ओर से आने वाली सैनिटरी नैपकिन की पूरी राशि लड़के उपभोग भी कर चुके हैं. कई और तरह की अनियमितता पायी गयीं. इसके बाद नव नियुक्त प्राचार्य रईस उल एहरार खान ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर संज्ञान में लाया. उस पत्र में जिक्र किया गया है कि विद्यालय के लड़कों ने सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग किया. मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है.

घोटाले के मामले देश के लिए नये नहीं हैं ! पशुपालन घोटाला, स्टैंप घोटाला, कोयला घोटाला कुछ उदाहरण मात्र हैं लेकिन सारण में हुए इस घोटाले ने एक झटके में चारा घोटाले की याद दिला दी जब भैंस को स्कूटर पर ढोने का रिकॉर्ड मिला था. अब मांझी प्रखंड के हलखोरी साह उच्च विद्यालय के नव नियुक्त प्रिंसिपल रईस उल एहरार खान के मुताबिक लड़कियों के लिए दी जा रही सैनिटरी नैपकिन और पोशाक योजना की रकम लड़कों को बांटी गई है. देखना है कि जिला प्रशासन इस जांच कब तक पूरा करता है और कब दोषियों पर कार्रवाई होती है?

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सारण: बिहार के सारण में घोटाले का अनूठा मामला सामने आया. यहां मांझी प्रखंड के हलखोरी साह उच्च विद्यालय में लड़कियों के लिए चलाई जा रही सैनिटरी नैपकिन योजना (Sanitary Napkin Scam In Saran) की राशि लड़कों को बांटी जा रही थी. सैनिटरी नैपकिन माहवारी के वक्त लड़कियों के काम आता है, लेकिन तीन साल से इस मद में आने वाले फंड को दर्जनों लड़कों के खाते में ट्रांसफर करके उतार ली जा रही थी. लंबे अंतराल के बावजूद इतनी बड़ी अनियमितता पर किसी की भी नजर नहीं गई. फिलहाल, लाखों रुपए के घोटाले के खुलासे के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. मामला अब जिलाधिकारी के संज्ञान में आ चुका है. जिलाधिकारी राजेश मीणा (District Magistrate Rajesh Meena) इस मामले में काफी गंभीर नजर आ रहे हैं.

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जिलाधिकारी राजेश मीणा से जब इस मसले पर उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है. इस पर जांच की जा रही है, अगर मामला सही पाया गया तो दोषियों पर कार्रवाई अवश्य होगी. गौरतलब है कि घोटाले का प्रकरण पिछले 3 वित्तीय वर्ष का है तब यहां के प्राध्यापक अशोक कुमार राय थे उनके समय में ही इस घोटाले का आरोप है.

'ये मामला सामने आते ही हमने जिला शिक्षा पदाधिकारी को जांच के निर्देश दिए है. ये साल 2016-17 का मामला है. इसमें कुछ छात्रों को दूसरी योजना के तहत राशि अंतरित की गई है. इसकी जांच अभी जारी है. जांच रिपोर्ट हमारे सामने नहीं आई है. डीईओ के माध्य से जांच रिपोर्ट में किसी की गलती पाई जाती है तो उसे किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा'- राजेश मीणा, जिलाधिकारी, सारण

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बता दें कि नये प्राचार्य ने अपने जांच के क्रम में पाया था कि यहां लड़कियों की जगह लड़कों को सैनिटरी नैपकिन का पैसा भेजा जाता है. पूरा पैसा लड़कों के अकाउंट में ट्रांसफर हो रहा था. सैनिटरी नैपकिन के पैसे को लड़कों को आवंटित करने के इस पूरे खेल में लाखों रुपये का घपला सामने आया है. नये प्रिंसिपल जब विद्यालय में पदभार ग्रहण करने पहुंचे तो उन्होंने स्कूल में चल रही सरकारी योजनाओं का उपयोगिता प्रमाण पत्र मांगा. उसके बाद जब उन्हें उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं मिला तब उन्होंने सरकार की ओर से आवंटित एक करोड़ रुपये के राशि की जांच शुरू की.

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विद्यालय के शिक्षक जब पैसों की जांच करते हुए बैंक पहुंचे तो उन्हें ये जानकर आश्चर्य हुआ कि लड़कियों के नैपकिन की राशि लड़कों के अकाउंट में ट्रांसफर कर दी गई है. लड़कियों को देने के लिए सरकार की ओर से आने वाली सैनिटरी नैपकिन की पूरी राशि लड़के उपभोग भी कर चुके हैं. कई और तरह की अनियमितता पायी गयीं. इसके बाद नव नियुक्त प्राचार्य रईस उल एहरार खान ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर संज्ञान में लाया. उस पत्र में जिक्र किया गया है कि विद्यालय के लड़कों ने सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग किया. मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है.

घोटाले के मामले देश के लिए नये नहीं हैं ! पशुपालन घोटाला, स्टैंप घोटाला, कोयला घोटाला कुछ उदाहरण मात्र हैं लेकिन सारण में हुए इस घोटाले ने एक झटके में चारा घोटाले की याद दिला दी जब भैंस को स्कूटर पर ढोने का रिकॉर्ड मिला था. अब मांझी प्रखंड के हलखोरी साह उच्च विद्यालय के नव नियुक्त प्रिंसिपल रईस उल एहरार खान के मुताबिक लड़कियों के लिए दी जा रही सैनिटरी नैपकिन और पोशाक योजना की रकम लड़कों को बांटी गई है. देखना है कि जिला प्रशासन इस जांच कब तक पूरा करता है और कब दोषियों पर कार्रवाई होती है?

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Last Updated : Jan 25, 2022, 6:26 PM IST
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