छपराः भारतीय रेल नेटवर्क (Indian Rail Network) को दुनिया में चौथा स्थान प्राप्त है. अगर रेल कर्मियों की बात की जाए तो यह सबसे बड़ा नियोक्ता भी है, रेलवे में लगभग 12 लाख व्यक्ति 24 घंटे कार्य करते हैं और यात्रियों को देश के दुर्गम क्षेत्रों से लेकर दूरदराज इलाकों तक सभी मौसमों में उनके गंतव्य तक पहुचाते हैं. लेकिन भारतीय रेलवे के लिये सबसे कठिन समय जाड़े का मौसम होता है और इस मौसम में कुहासे के समय ट्रेन चलाना और भी मुश्किल से भरा होता है. ऐसे में रेलवे लोको पायलट्स को धीमी गति से ट्रेन (Operate Trains In Low Speed During Fog) चलाने या फिर कुहासे को देखते हुए स्वविवेक से निर्णय लेने का आदेश देता है.
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लोको पायलट विनोद राय ने बताया कि यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए नियमों में शिथिलता बरतते हुए लोको पायलट और सहायक लोको पायलट को अपने स्वविवेक पर ट्रेन चलाने का आदेश रेलवे द्वारा दिया जाता है. अगर कोहरे के कारण दिखाई नहीं पड़ रहा है तो ट्रेन को खड़ा कर देने का भी प्रावधान रहता है. इस दौरान ट्रेन के लेट चलने का कारण ड्राइवरों के ऊपर शो कॉज नोटिस भी जारी नहीं होती है.
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ठंड के मौसम में ट्रेन के ड्राइवर अपनी मर्जी से सुरक्षित ट्रेनों का परिचालन करते हैं. वहीं रेलवे द्वारा कोहरे के समय मे सुरक्षित ट्रेनों के परिचालन के लिए लगातार नये आविष्कार किये जा रहे हैं, इस मौसम में सिग्नलों के ना दिखाई पड़ने की स्थिति में रेलवे ट्रेक पर पटाखा लगाकर सिग्नल दिया जाता है.
भारतीय रेल ने सुरक्षा से संबंधित एक नए उपकरण को इंजनों में लगाया है. इसे फॉग डिवाइस कहते हैं और इसके मदद से भी ड्राइवरों को ट्रेन चलाने में सहूलियत होती है. यह डिवाइस आगे आने वाले सिगनलों की जानकारी ड्राइवरों को देता है, ड्राइवरों के द्वारा फाग डिवाइस और कुछ स्वयं के निर्णय के अनुसार ट्रेनों का सुरक्षित परिचालन किया जाता है.
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