सारण: भारत को पारंपरिक और सांस्कृतिक उत्सव का देश कहा जाता है. यहां अलग-अलग सभ्यता, धर्म और संस्कृति से जुड़े लोग रहते हैं. इसी कारण यहां सालों भर विभिन्न तरह के त्योहार मनाए जाते हैं. विविघताओं से भरे इस धर्मनिरपेक्ष देश में लोग हमेशा मेलों और त्योहारों के उत्सव रंगे रहते है. विविध धर्म के लोग अपने त्योहार को अपने रीत-रिवाज और विश्वास के अनुसार अलग अंदाज में हर एक पर्व को मनाते हैं. इसी क्रम में जिले के लोग दीपावली के बाद चित्रगुप्त पूजा की तैयारियों में जुट गए है.
100 साल पुराने कामता सखी मठ प्रांगण में विशेष तैयारियां
शहर के प्रतिष्ठित प्रभुनाथ नगर में लगभग 100 साल पुराने कामता सखी मठ के प्रांगण में स्थापित चित्रगुप्त मंदिर में पूजा अर्चना को लेकर विशेष तैयारियां की गयी हैं. चित्रगुप्त जयंती सह पूजा आयोजन समिति के संयोजक जयप्रकाश वर्मा ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत के दौरान बताया कि भगवान चित्रगुप्त की पूजा में कायस्थ समाज के साथ-साथ क्षेत्र के अन्य बुद्धिजीवी वर्गों के लोग भी शामिल होंगे. खास बात यह हैं कि एक साथ लगभग 250 से भी ज्यादा लोग कलम दवात की पूजा अर्चना करेंगे. संध्या में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. जिसमें प्रतिभागियों को कायस्थ समाज की ओर से पुरस्कृत किया जायेगा.
रामलीला मठिया चित्रगुप्त मंदिर में भी तैयारियां जोरो पर
शहर के रामलीला मठिया स्थित चित्रगुप्त मंदिर में भी पूजा की तैयारियां जोरो पर है. बताया जाता है कि यहां विगत कई सालों से भव्य पूजा का आयोजन किया जा रहा है. इस अवसर पर मंदिर परिसर में सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति होती हैं. पूजा समिति की ओर से पूर्व में कराये गये खेल और सांस्कृतिक प्रतियोगिता में सफल हुए प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया जायेगा.
थियोसोफिकल सोसाइटी में भी आयोजित है पूजा
भगवान चित्रगुप्त की आराधना के लिए थियोसोफिकल सोसाइटी में चित्रांश संगम की ओर से खास तैयारियां की गई है. बताया जाता है कि कायस्थ समाज के लोग पूजा में अदरक, गुड़ और नैवेद्य को भगवान चित्रगुप्त पर अर्पित करते है. कायस्थ समाज के अलावा साहित्यकार, लेखक तथा कलमकार भी प्राणियों के पाप और पुण्य का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त का निष्ठा पूर्वक पूजन करते हैं.
चित्रगुप्त पूजा की पौराणिक कथा
ज्योतिषविदों की मानें तो जब भगवान विष्णु अपनी योग माया से जब सृष्टि की रचना कर रहे थे. तब उनके नाभि से एक कमल फूल निकला और उस पर आसीन पुरुष ब्रह्मा कहलाए. भगवान ब्रह्मा ने समस्त प्राणियों, देवता-असुर, गंधर्व, अप्सरा और स्त्री-पुरूष बनाए. सृष्टि में जीवों के कर्मों के अनुसार उन्हें सजा देने की जिम्मेदारी देने के लिए धर्मराज यमराज का भी जन्म हुआ. इतनी बड़ी सृष्टि के प्राणियों की सजा का काम देखने के लिए एक सहायक की आवश्यकता हुई. इसलिए भगवान ब्रह्मा ने यमराज के सहायक के तौर पर न्यायाधीश, बुद्धिमान, लेखन कार्य में दक्ष, तपस्वी, ब्रह्मनिष्ठ और वेदों का ज्ञाता चित्रगुप्त को योगमाया से उत्पन्न किया. इसलिए इन्हें भगवान ब्रह्मा का मानस पुत्र भी कहा जाता है. भगवान चित्रगुप्त सभी प्राणियों के पाप और पुण्यकर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं.आदमी का भाग्य लिखने का काम यही करते है. हर साल पूरे उल्लास के साथ यह पर्व मनाया जाता है.