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सारण: छठ पर्व का अनोखा है महत्व, दूर-दूर से भी खींचे चले आते हैं लोग - छठ पर्व

उत्तर बिहार के ऐतिहासिक कोठिया-नरांव सूर्य मंदिर में आस्था का महापर्व छठ रविवार को उगते भगवान भाष्कर को अर्घ्य अर्पण के साथ चार दिवसीय छठ पूजन संपन्न हो गया.

छठ पूजा
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Published : Nov 3, 2019, 5:50 PM IST

सारण: लोक आस्था का महापर्व छठ सादगी, सात्विकता, स्वच्छता और समर्पण की मिसाल है, छठ व्रत की अनूठी परंपराएं हमें प्रकृति और अपनी जड़ों यानी परिवार और समाज से जोड़ती हैं. शायद यही कारण है कि बिहार से बाहर किसी दूसरे देश या प्रदेशों में रहने के बावजूद छठ पूजा करने के लिए मिट्टी की सुगंध अपनी ओर खींच लाती हैं. इतना ही नही बल्कि जो लोग बिहार में नौकरी पेशा करने वाले भी छठ घाटों पर जाकर साक्षात सूर्य भगवान के सामने नतमस्तक हो कर उगते हुए सूर्य को जलार्पण करते हैं.

saran
सुरक्षा में तैनात पुलिस

डीएम ने दी सूर्य को अर्घ्य
ऐसा कुछ नजारा छपरा में देखने को मिला. सारण के जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन और प्रशिक्षु आईएस वैभव श्रीवास्तव ने छपरा सदर प्रखंड अंतर्गत डोरीगंज के ऐतिहासिक चिरांद तिवारी घाट पर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया. इस दौरान उनके साथ कृष्णा एंड कृष्णा की ओर से आयोजित छठ पूजा समिति के संस्थापक अध्यक्ष श्वेतांक कुमार पप्पू मौजूद थे.

छठ व्रतियों ने तोड़ा 36 घंटे का व्रत
उत्तर बिहार के ऐतिहासिक कोठिया-नरांव सूर्य मंदिर में आस्था का महापर्व छठ रविवार को उदीयमान भगवान भाष्कर को अर्घ्य अर्पण के साथ चार दिवसीय छठ पूजन संपन्न हो गया. वहीं, छठव्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने अपना लगभग 36 घटे का व्रत को तोड़ प्रसाद ग्रहण किया.

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छठ घाट पर लगी भीड़

चारों ओर दिखी चहल-पहल
छठ पूजा को लेकर पूरे क्षेत्र में चारों ओर काफी चहल-पहल के साथ भक्ति की धारा बहती रही. वहीं, लोगों ने श्रद्धा और भक्ति के साथ छठ पूजा किया. शनिवार को अस्ताचल सूर्य को और रविवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया गया. इसके लिए अहले सुबह से लोग छठ का सूप और डाला लेकर घाटों की तरफ जाते दिखे. छठ व्रती तालाब और सरयू, गंडक और गंगा नदी में सूप लेकर आराधना करती दिखीं.

पेश है रिपोर्ट

छठ में घाटों पर दिखी रौनक
बता दें कि छठ के पावन पर्व में महिलाएं समूह में पारंपरिक छठ गीत गाती रही. वहीं, बजाए जा रहे छठ गीतों से माहौल भक्तिमय बना रहा. कई जगहों पर श्रद्धालु दंड देकर घाटों पर जाते दिखे. इस दौरान घाटों पर काफी रौनक नजर आई. बता दें कि घाटों को काफी सजाया गया था. रास्तों और घाटों पर समाजिक स्तर पर लोगों की ओर से जगह-जगह लाईटिंग की भी व्यवस्था की गई थी.

सारण: लोक आस्था का महापर्व छठ सादगी, सात्विकता, स्वच्छता और समर्पण की मिसाल है, छठ व्रत की अनूठी परंपराएं हमें प्रकृति और अपनी जड़ों यानी परिवार और समाज से जोड़ती हैं. शायद यही कारण है कि बिहार से बाहर किसी दूसरे देश या प्रदेशों में रहने के बावजूद छठ पूजा करने के लिए मिट्टी की सुगंध अपनी ओर खींच लाती हैं. इतना ही नही बल्कि जो लोग बिहार में नौकरी पेशा करने वाले भी छठ घाटों पर जाकर साक्षात सूर्य भगवान के सामने नतमस्तक हो कर उगते हुए सूर्य को जलार्पण करते हैं.

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सुरक्षा में तैनात पुलिस

डीएम ने दी सूर्य को अर्घ्य
ऐसा कुछ नजारा छपरा में देखने को मिला. सारण के जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन और प्रशिक्षु आईएस वैभव श्रीवास्तव ने छपरा सदर प्रखंड अंतर्गत डोरीगंज के ऐतिहासिक चिरांद तिवारी घाट पर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया. इस दौरान उनके साथ कृष्णा एंड कृष्णा की ओर से आयोजित छठ पूजा समिति के संस्थापक अध्यक्ष श्वेतांक कुमार पप्पू मौजूद थे.

छठ व्रतियों ने तोड़ा 36 घंटे का व्रत
उत्तर बिहार के ऐतिहासिक कोठिया-नरांव सूर्य मंदिर में आस्था का महापर्व छठ रविवार को उदीयमान भगवान भाष्कर को अर्घ्य अर्पण के साथ चार दिवसीय छठ पूजन संपन्न हो गया. वहीं, छठव्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने अपना लगभग 36 घटे का व्रत को तोड़ प्रसाद ग्रहण किया.

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छठ घाट पर लगी भीड़

चारों ओर दिखी चहल-पहल
छठ पूजा को लेकर पूरे क्षेत्र में चारों ओर काफी चहल-पहल के साथ भक्ति की धारा बहती रही. वहीं, लोगों ने श्रद्धा और भक्ति के साथ छठ पूजा किया. शनिवार को अस्ताचल सूर्य को और रविवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया गया. इसके लिए अहले सुबह से लोग छठ का सूप और डाला लेकर घाटों की तरफ जाते दिखे. छठ व्रती तालाब और सरयू, गंडक और गंगा नदी में सूप लेकर आराधना करती दिखीं.

पेश है रिपोर्ट

छठ में घाटों पर दिखी रौनक
बता दें कि छठ के पावन पर्व में महिलाएं समूह में पारंपरिक छठ गीत गाती रही. वहीं, बजाए जा रहे छठ गीतों से माहौल भक्तिमय बना रहा. कई जगहों पर श्रद्धालु दंड देकर घाटों पर जाते दिखे. इस दौरान घाटों पर काफी रौनक नजर आई. बता दें कि घाटों को काफी सजाया गया था. रास्तों और घाटों पर समाजिक स्तर पर लोगों की ओर से जगह-जगह लाईटिंग की भी व्यवस्था की गई थी.

Intro:SLUG:-SURYOPASNA
ETV BHARAT NEWS DESK
F.M:-DHARMENDRA KUMAR RASTOGI/ SARAN/BIHAR

Anchor:-लोक आस्था का महापर्व छठ सादगी, सात्विकता, स्वच्छता और समर्पण की मिसाल है, छठ व्रत की अनूठी परंपराएं हमें प्रकृति और अपनी जड़ों यानी परिवार और समाज से जोड़ती हैं.शायद यही कारण हैं कि बिहार से बाहर किसी दूसरे देश या प्रदेशों में रहने के बावजूद छठ पूजा करने के लिए मिट्टी की सुगंध अपनी ओर खींच लाती हैं इतना ही नही बल्कि जो लोग बिहार में नौकरी पेशा करने वाले भी छठ घाटों पर जाकर साक्षात आराध्य देव भगवान भास्कर के सामने नतमस्तक हो कर उगते हुए सूर्य को जलार्पण करते हैं.


कुछ ऐसा ही छपरा में देखने को मिला है सारण के जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन व प्रशिक्षु आईएस वैभव श्रीवास्तव ने छपरा सदर प्रखंड अंतर्गत डोरीगंज के ऐतिहासिक चिरांद तिवारी घाट पर कृष्णा एंड कृष्णा द्वारा आयोजित छठ पूजा समिति के संस्थापक अध्यक्ष श्वेतांक कुमार पप्पू के साथ गंगा नदी के तट पर उगते हुए सूर्य को जल अर्पण कर जिलेवासियों की सुख समृद्धि व खुशहाली की कामना की.



Body:उत्तर बिहार के ऐतिहासिक कोठिया-नरांव सूर्य मंदिर में आस्था का महापर्व छठ रविवार को उदीयमान भगवान भाष्कर को अ‌र्घ्य अर्पण के साथ चार दिवसीय छठ पूजन संपन्न हो गया वहीं छठव्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य अर्पण के बाद व्रतियों ने अपना लगभग 36 घटे का व्रत को तोड़ प्रसाद ग्रहण किया.

छठ पूजन को लेकर संपूर्ण क्षेत्र में चहुंओर काफी चहल-पहल के साथ भक्ति की धारा बहती रही, वहीं लोगों ने श्रद्धा व भक्ति के साथ छठ पूजन किया. शनिवार को अस्ताचल सूर्य को और रविवार को उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य अर्पण किया गया. इसके लिए अहले सुबह से लोग छठ का सूप व डाला लेकर घाटों की तरफ जाते दिखे, छठव्रती तालाब व सरयू, गंडक व गंगा नदी में सूप लेकर आराधना करती दिखाई दी, वहीं लोगों ने श्रद्धापूर्वक अ‌र्घ्य देते दिखे.



Conclusion:समूह में महिलाएं पारंपरिक छठ गीत गाती रही, वहीं बजाए जा रहे छठ गीतों से माहौल भक्तिमय बना रहा, कई जगहों पर श्रद्धालु दंड देकर घाटों पर जाते दिखे, घाटों पर काफी रौनक नजर आयी, घाट को काफी सजाया गया था, रास्तों व घाटों पर समाजिक स्तर पर लोगों द्वार जगह-जगह रौशनी की भी व्यवस्था की गई थे.


सारण ज़िले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों सहित सरयू, गंगा व गंडकी नदी के तट पर बने विभिन्न घाटों पर छठ ब्रतियों ने अर्घ्य दिया. ऐसी मान्यता है कि सूर्य देव की उपासना से संतान सुख के साथ सुखद भविष्य प्राप्त हेाता है तो नि:संतानों को संतान की प्राप्ति होती है जिससे संतान का सुख के साथ ही मनचाही मनोकामना प्राप्त होती है.

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