सारण: लोक आस्था का महापर्व छठ सादगी, सात्विकता, स्वच्छता और समर्पण की मिसाल है, छठ व्रत की अनूठी परंपराएं हमें प्रकृति और अपनी जड़ों यानी परिवार और समाज से जोड़ती हैं. शायद यही कारण है कि बिहार से बाहर किसी दूसरे देश या प्रदेशों में रहने के बावजूद छठ पूजा करने के लिए मिट्टी की सुगंध अपनी ओर खींच लाती हैं. इतना ही नही बल्कि जो लोग बिहार में नौकरी पेशा करने वाले भी छठ घाटों पर जाकर साक्षात सूर्य भगवान के सामने नतमस्तक हो कर उगते हुए सूर्य को जलार्पण करते हैं.
डीएम ने दी सूर्य को अर्घ्य
ऐसा कुछ नजारा छपरा में देखने को मिला. सारण के जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन और प्रशिक्षु आईएस वैभव श्रीवास्तव ने छपरा सदर प्रखंड अंतर्गत डोरीगंज के ऐतिहासिक चिरांद तिवारी घाट पर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया. इस दौरान उनके साथ कृष्णा एंड कृष्णा की ओर से आयोजित छठ पूजा समिति के संस्थापक अध्यक्ष श्वेतांक कुमार पप्पू मौजूद थे.
छठ व्रतियों ने तोड़ा 36 घंटे का व्रत
उत्तर बिहार के ऐतिहासिक कोठिया-नरांव सूर्य मंदिर में आस्था का महापर्व छठ रविवार को उदीयमान भगवान भाष्कर को अर्घ्य अर्पण के साथ चार दिवसीय छठ पूजन संपन्न हो गया. वहीं, छठव्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने अपना लगभग 36 घटे का व्रत को तोड़ प्रसाद ग्रहण किया.
चारों ओर दिखी चहल-पहल
छठ पूजा को लेकर पूरे क्षेत्र में चारों ओर काफी चहल-पहल के साथ भक्ति की धारा बहती रही. वहीं, लोगों ने श्रद्धा और भक्ति के साथ छठ पूजा किया. शनिवार को अस्ताचल सूर्य को और रविवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया गया. इसके लिए अहले सुबह से लोग छठ का सूप और डाला लेकर घाटों की तरफ जाते दिखे. छठ व्रती तालाब और सरयू, गंडक और गंगा नदी में सूप लेकर आराधना करती दिखीं.
छठ में घाटों पर दिखी रौनक
बता दें कि छठ के पावन पर्व में महिलाएं समूह में पारंपरिक छठ गीत गाती रही. वहीं, बजाए जा रहे छठ गीतों से माहौल भक्तिमय बना रहा. कई जगहों पर श्रद्धालु दंड देकर घाटों पर जाते दिखे. इस दौरान घाटों पर काफी रौनक नजर आई. बता दें कि घाटों को काफी सजाया गया था. रास्तों और घाटों पर समाजिक स्तर पर लोगों की ओर से जगह-जगह लाईटिंग की भी व्यवस्था की गई थी.