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" बच्चे को फेंकें नहीं, हमें दें " के स्लोगन के साथ शुरू हुई एक नई पहल - संवैधानिक

बिना अपना पहचान बताए परित्यक्त बच्चे को पालने में छोड़ा जा सकता है. इससे अनाथ बच्चों को घर और मां-बाप का प्यार मिलेगा.

बच्चों का पालना
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Published : May 15, 2019, 10:31 PM IST

छपरा: अब नवजात शिशुओं को फेंकने के बजाय लोग पालने में छोड़कर जा सकते हैं. यह पहल शुरु की है पालना शिशु संग्रहण ने. " बच्चे को फेंकें नहीं, हमे दें " के स्लोगन के साथ जिले के एक दर्जन से अधिक पीएचसी पर पालना शिशु संग्रहण केंद्र की ओर से एक पालना लगाया गया है.

इस पालने में बिना अपनी पहचान उजागर किए अवांछित या परित्यक्त बच्चे को छोड़ा जा सकता है. पालने में बच्चे को डाले जाने के तुरंत बाद इसकी जानकारी विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान, बाल कल्याण समिति या जिला बाल संरक्षण इकाई सारण को दी जाती है. इसके बाद इन संस्थाओं की ओर से बच्चे को नि:संतान माता-पिता को संवैधानिक तरीके से सुपुर्द किया जाता है.

पालना शिशु संग्रहण की पहल

बनियापुर के मेडिकल ऑफिसर डॉ. एम.जाफरी ने बताया कि दत्तक ग्रहण प्रक्रिया के माध्यम से जैविक माता-पिता से स्थाई रूप से अलग हो चुका बच्चा विशेष लाभों और दायित्वों के साथ दत्तक ग्रहण करने वाले माता पिता के वैधिक संतान बन जाते हैं. फिर उस बच्चे पर वैधिक माता-पिता का पूर्ण अधिकार भी हो जाता है. किशोर न्याय अधिनियम के तहत किसी भी समुदाय का दंपति बच्चा गोद ले सकता है.

छपरा: अब नवजात शिशुओं को फेंकने के बजाय लोग पालने में छोड़कर जा सकते हैं. यह पहल शुरु की है पालना शिशु संग्रहण ने. " बच्चे को फेंकें नहीं, हमे दें " के स्लोगन के साथ जिले के एक दर्जन से अधिक पीएचसी पर पालना शिशु संग्रहण केंद्र की ओर से एक पालना लगाया गया है.

इस पालने में बिना अपनी पहचान उजागर किए अवांछित या परित्यक्त बच्चे को छोड़ा जा सकता है. पालने में बच्चे को डाले जाने के तुरंत बाद इसकी जानकारी विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान, बाल कल्याण समिति या जिला बाल संरक्षण इकाई सारण को दी जाती है. इसके बाद इन संस्थाओं की ओर से बच्चे को नि:संतान माता-पिता को संवैधानिक तरीके से सुपुर्द किया जाता है.

पालना शिशु संग्रहण की पहल

बनियापुर के मेडिकल ऑफिसर डॉ. एम.जाफरी ने बताया कि दत्तक ग्रहण प्रक्रिया के माध्यम से जैविक माता-पिता से स्थाई रूप से अलग हो चुका बच्चा विशेष लाभों और दायित्वों के साथ दत्तक ग्रहण करने वाले माता पिता के वैधिक संतान बन जाते हैं. फिर उस बच्चे पर वैधिक माता-पिता का पूर्ण अधिकार भी हो जाता है. किशोर न्याय अधिनियम के तहत किसी भी समुदाय का दंपति बच्चा गोद ले सकता है.

Intro:छपरा : अब परित्यक्त व अवांछित बच्चे को भी माँ की ममता मिलेगी। आम बच्चों की तरह ही उनका भी परवरिश किया जाएगा। " बच्चे को फेंकें नहीं, हमे दें " के स्लोगन के साथ जिले के एक दर्जन से अधिक पीएचसी पर पालना शिशु संग्रहण केंद्र द्वारा एक पालना लगाया गया है। इस पालना में बिना अपना पहचान उजागर किये अवांछित या परित्यक्त बच्चे को छोड़ा जा सकता है। पालने में बच्चे के डाले जाने के तुरंत बाद इसकी जानकारी विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान, बाल कल्याण समिति अथवा जिला बाल संरक्षण ईकाई सारण को दी जाती है। फिर इन संस्थाओं द्वारा बच्चे को निसंतान या इक्षुक माता पिता को संवैधानिक तरीके से सुपुर्द किया जाता है। Body:वैधानिक तरीके से लें बच्चे को गोद

अनाथ या परित्यक्त बच्चे की लालन पालन हेतु गोद लेना एक अच्छी पहल है। इससे मासूम बच्चो को सहारा मिलता है। समाज में बच्चो को सहारा देने वाले दंपति को सम्मान भी मिलता है। परंतु बच्चे को गोद लेने के पहले वैधानिक तरीके को जनाना आवश्यक है। किसी भी अस्पताल, नर्सिंग होम एवं अन्य श्रोत से बच्चा गोद लेना गैर कानूनी माना गया है। घर में बच्चे की किलकारियों को सुनने तथा परिवार में खुशियां लाने के लिए वैधानिक तरीके वेहद जरूरी है।

Conclusion:
क्या है दत्तक ग्रहण प्रक्रिया

बनियापुर के मेडिकल ऑफिसर डॉ. एम.जाफरी ने बताया कि दत्तक ग्रहण प्रक्रिया के माध्यम से जैविक माता पिता से स्थाई रूप से अलग हो चुका बच्चा विषेश लाभों एवं दायित्वों के साथ दत्तक ग्रहण करने वाले माता पिता के वैधिक संतान बन जाता है। फिर उस बच्चे पर वैधिक माता पिता की पूर्ण अधिकार भी हो जाती है। किशोर न्याय अधिनियम के तहत किसी भी समूदाय का दंपति बच्चा गोद ले सकता है।
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