छपरा: अब नवजात शिशुओं को फेंकने के बजाय लोग पालने में छोड़कर जा सकते हैं. यह पहल शुरु की है पालना शिशु संग्रहण ने. " बच्चे को फेंकें नहीं, हमे दें " के स्लोगन के साथ जिले के एक दर्जन से अधिक पीएचसी पर पालना शिशु संग्रहण केंद्र की ओर से एक पालना लगाया गया है.
इस पालने में बिना अपनी पहचान उजागर किए अवांछित या परित्यक्त बच्चे को छोड़ा जा सकता है. पालने में बच्चे को डाले जाने के तुरंत बाद इसकी जानकारी विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान, बाल कल्याण समिति या जिला बाल संरक्षण इकाई सारण को दी जाती है. इसके बाद इन संस्थाओं की ओर से बच्चे को नि:संतान माता-पिता को संवैधानिक तरीके से सुपुर्द किया जाता है.
बनियापुर के मेडिकल ऑफिसर डॉ. एम.जाफरी ने बताया कि दत्तक ग्रहण प्रक्रिया के माध्यम से जैविक माता-पिता से स्थाई रूप से अलग हो चुका बच्चा विशेष लाभों और दायित्वों के साथ दत्तक ग्रहण करने वाले माता पिता के वैधिक संतान बन जाते हैं. फिर उस बच्चे पर वैधिक माता-पिता का पूर्ण अधिकार भी हो जाता है. किशोर न्याय अधिनियम के तहत किसी भी समुदाय का दंपति बच्चा गोद ले सकता है.