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NHRC ने छपरा शराबकांड में मृतकों के घर जाकर पूछा- 'प्रशासन के दबाव में जलाई लाशें या अपने मन से' - NHRC team active in Chapra

बिहार के छपरा में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (National Human Rights Commission) की टीम सक्रिय है. टीम ने अपने-अपने एंगल से जांच की और सच जानने की भरपूर कोशिश की. बातों को घुमा फिरा कर क्रॉस क्वेश्चन भी किया ताकि ज्यादा से ज्यादा सही जानकारी मिल सके. इस दौरान मानव अधिकार आयोग की टीम ने 74 मृतकों के परिजनों से मुलाकात कर गहन पूछताछ की.

छपरा में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम सक्रिय
छपरा में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम सक्रिय
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Published : Dec 23, 2022, 9:31 AM IST

Updated : Dec 23, 2022, 9:39 AM IST

छपराः जहरीली शराबकांड (chapra poisonous liquor case) में जांच के लिए बिहार के छपरा पहुंची राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम ने मृतकों के परिवार वालों से मुलाकात कर इस मामले में पूरी जानकारी ली. ग्रामीण परिवेश के लोगों से ग्रामीण भाषा में और अन्य लोगों से अधिकारियों (NHRC team investigation in chapra) ने सामान्य भाषा में पूछताछ की. आयोग की टीम ने लोगों से यह भी पूछा कि प्रशासनिक दबाव में आप लोगों ने लाशों को जहां तहां जलवाया कि अपने मन से. कुछ लोगों ने इस बात को स्वीकार किया कि प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कहा गया कि 'ठंड लगने से मौत की बात कहोगे तो 5 लाख मिलेगा. जहरीली शराब से मौत की बात कहोगे तो एक पैसा नहीं मिलेगा'.

ये भी पढ़ेंः NHRC की टीम के छपरा दौरे से नीतीश सरकार परेशान, आंकड़ों से समझिए क्यों शराबबंदी पर उठ रहे सवाल

प्रशासनिक पदाधिकारियों में हड़कंपः वहीं, मानव अधिकार आयोग की टीम के छपरा पहुंचने के बाद से ही प्रशासनिक पदाधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है. टीम गुरुवार को तीसरे दिन भी जिले में डटी रही और सीएस एवं डीएस से 2 घंटे तक पूछताछ की. आधिकारियों ने सिर्फ प्रशासनिक पुष्टि किए गए 42 मृतकों के परिजनों से ही नहीं बल्कि मरने वाले 74 लोगों के घर जाकर जानकारी जुटाई. सभी प्रभावित इलाकों में जाकर टीम ने गांव के लोगों से पूछताछ की है. बता दें कि छपरा के मढ़ौरा, मशरक, इशुआपुर में ज्यादा कैजुअलटी हुई थी.

जहरीली शराबकांड में NHRC की घर-घर दस्तक: छपरा में हुए जहरीली शराबकांड (Saran Hooch Tragedy ) के बाद मानव अधिकार आयोग की टीम मशरक समेत प्रभावित इलाकों में पीड़ित परिवारों से घूम-घूम कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. टीम ने परिवार वालों से पूछा कि घटना कैसे हुई ? जो मौतें हुईं उसका कारण क्या था? मानव अधिकार आयोग की टीम मशरक पहुंची और उसके बाद मढ़ौरा के हुसेपुर, छपिया टोला, मशरक के जद्दू मोड़ बैंक, छपरा गोगिया, बहरौली, गोपालपुर, रोहिल्ला, महुली, चांदपुरा में भी टीम ने पहुंचकर मृतक के परिजनों से बात की. एक-एक पीड़ित परिजनों के घर जाकर विस्तृत रूप से पूछताछ की.

मानवाधिकार आयोग की टीम पूछ रही ये सवाल: मानव अधिकार आयोग ने लोगों से यह भी पूछा की शुरुआत में मरीजों को क्या दिक्कत हुई? इस को दबाने के लिए प्रशासन की तरफ से भी कोई दबाब दिया गया? इस टीम ने दिनभर घूम-घूम कर लोगों से बात की. छपरा शराब कांड का सच जानने की कोशिश की. मानव अधिकार आयोग के लोगों के द्वारा यह भी पूछा गया कि वह शराब कहां से पिए थे? मरने से पहले पीड़ितों ने परिजनों को क्या बताया? शरीर में कब तकलीफ शुरू हुई? कब अस्पताल पहुंचाया गया? अस्पताल में क्या-क्या सुविधाएं मिलीं? रेफर किया गया तो अस्पताल द्वारा क्या सुविधा दी गईं? परिवार वालों से सभी बिंदुओं पर जानकारी कलेक्ट की गई.

छपराः जहरीली शराबकांड (chapra poisonous liquor case) में जांच के लिए बिहार के छपरा पहुंची राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम ने मृतकों के परिवार वालों से मुलाकात कर इस मामले में पूरी जानकारी ली. ग्रामीण परिवेश के लोगों से ग्रामीण भाषा में और अन्य लोगों से अधिकारियों (NHRC team investigation in chapra) ने सामान्य भाषा में पूछताछ की. आयोग की टीम ने लोगों से यह भी पूछा कि प्रशासनिक दबाव में आप लोगों ने लाशों को जहां तहां जलवाया कि अपने मन से. कुछ लोगों ने इस बात को स्वीकार किया कि प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कहा गया कि 'ठंड लगने से मौत की बात कहोगे तो 5 लाख मिलेगा. जहरीली शराब से मौत की बात कहोगे तो एक पैसा नहीं मिलेगा'.

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प्रशासनिक पदाधिकारियों में हड़कंपः वहीं, मानव अधिकार आयोग की टीम के छपरा पहुंचने के बाद से ही प्रशासनिक पदाधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है. टीम गुरुवार को तीसरे दिन भी जिले में डटी रही और सीएस एवं डीएस से 2 घंटे तक पूछताछ की. आधिकारियों ने सिर्फ प्रशासनिक पुष्टि किए गए 42 मृतकों के परिजनों से ही नहीं बल्कि मरने वाले 74 लोगों के घर जाकर जानकारी जुटाई. सभी प्रभावित इलाकों में जाकर टीम ने गांव के लोगों से पूछताछ की है. बता दें कि छपरा के मढ़ौरा, मशरक, इशुआपुर में ज्यादा कैजुअलटी हुई थी.

जहरीली शराबकांड में NHRC की घर-घर दस्तक: छपरा में हुए जहरीली शराबकांड (Saran Hooch Tragedy ) के बाद मानव अधिकार आयोग की टीम मशरक समेत प्रभावित इलाकों में पीड़ित परिवारों से घूम-घूम कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. टीम ने परिवार वालों से पूछा कि घटना कैसे हुई ? जो मौतें हुईं उसका कारण क्या था? मानव अधिकार आयोग की टीम मशरक पहुंची और उसके बाद मढ़ौरा के हुसेपुर, छपिया टोला, मशरक के जद्दू मोड़ बैंक, छपरा गोगिया, बहरौली, गोपालपुर, रोहिल्ला, महुली, चांदपुरा में भी टीम ने पहुंचकर मृतक के परिजनों से बात की. एक-एक पीड़ित परिजनों के घर जाकर विस्तृत रूप से पूछताछ की.

मानवाधिकार आयोग की टीम पूछ रही ये सवाल: मानव अधिकार आयोग ने लोगों से यह भी पूछा की शुरुआत में मरीजों को क्या दिक्कत हुई? इस को दबाने के लिए प्रशासन की तरफ से भी कोई दबाब दिया गया? इस टीम ने दिनभर घूम-घूम कर लोगों से बात की. छपरा शराब कांड का सच जानने की कोशिश की. मानव अधिकार आयोग के लोगों के द्वारा यह भी पूछा गया कि वह शराब कहां से पिए थे? मरने से पहले पीड़ितों ने परिजनों को क्या बताया? शरीर में कब तकलीफ शुरू हुई? कब अस्पताल पहुंचाया गया? अस्पताल में क्या-क्या सुविधाएं मिलीं? रेफर किया गया तो अस्पताल द्वारा क्या सुविधा दी गईं? परिवार वालों से सभी बिंदुओं पर जानकारी कलेक्ट की गई.

Last Updated : Dec 23, 2022, 9:39 AM IST
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