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इस सूर्य मंदिर का 300 साल पुराना है इतिहास, छठ पर यहां 20 हजार लोग देते हैं अर्घ्य - सारण की खबर

स्थानीय लोगों ने सरकार से इस मंदिर को पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग की है. लोगों ने कहा कि इसे ऐतिहासिक स्थल को रूप में विकसित किया जाना चाहिए.

सारण
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Published : Nov 2, 2019, 12:53 PM IST

सारणः जिले के कोठिया-नरांव गांव स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर उत्तर बिहार का प्रसिद्ध धार्मिक केंद्र है. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मागी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है. छठ पर्व पर पूजा करने के लिए यहां दूर-दराज से लोग आते हैं. मंदिर परिसर में एक तालाब भी है जहां छठ के मौके पर अर्घ्य दिया जाता है.

300 साल पुराना है इतिहास
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास 300 साल पुराना है. पहले मंदिर और इसका परिसर इतना विकसित नहीं था. धीरे-धीरे लोगों की आस्था बढ़ती गयी. फिर जन सहयोग से सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया और एक पोखर भी बनवाया गया. जहां छठ पर्व पर काफी भीड़ उमड़ती है.

सारण
मंदिर परिसर के इस छठ घाट पर हर साल 20 हजार लोग अर्घ्य देते हैं

20 हजार लोग देते हैं अर्घ्य
लोगों ने बताया कि आस-पास के लगभग 25 गांव के लोग यहां पूजा करने आते हैं. साथ ही दूसरे जिले और राज्यों से भी श्रद्धालु यहां छठ मनाने पहुंचते हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक छठ पर्व पर मंदिर परिसर में बने पेखर के घाटों पर हर साल लगभग 20 हजार लोग अर्घ्य देते है.

सारण
मंदिर में स्थापित सूर्य देव की प्रतिमा

दूर-दराज से छठ मनाने आते हैं लोग
मंदिर के व्यवस्थापक राजेश तिवारी ने बताया कि बिहार के अलावा यूपी, बंगाल, महाराष्ट्र सहित अन्य जगहों से लोग जहां छठ मनाने आते हैं. इस इलाके से किसी भी रूप में जुड़ाव रखने वाले या इस मंदिर की प्रसिद्धी को जानने वाले लोग यहां छठ मनाने पहुंचते है.

उन्होंने बताया कि मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु पूरे परिवार के साथ खरना के दिन ही यहां आ जाते हैं. खरना का प्रसाद बना कर सूर्य देव के अर्पित करते हैं. यहीं रात्रि विश्राम करते हैं. फिर अगले दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और उसके अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं.

पेश है खास रिपोर्ट

पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग
स्थानीय लोगों ने सरकार से इस मंदिर को पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग की है. लोगों ने कहा कि इसे ऐतिहासिक स्थल को रूप में विकसित किया जाना चाहिए. इससे इलाके के विकास के साथ-साथ सरकार को भी राजस्व का लाभ होगा.

सारणः जिले के कोठिया-नरांव गांव स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर उत्तर बिहार का प्रसिद्ध धार्मिक केंद्र है. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मागी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है. छठ पर्व पर पूजा करने के लिए यहां दूर-दराज से लोग आते हैं. मंदिर परिसर में एक तालाब भी है जहां छठ के मौके पर अर्घ्य दिया जाता है.

300 साल पुराना है इतिहास
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास 300 साल पुराना है. पहले मंदिर और इसका परिसर इतना विकसित नहीं था. धीरे-धीरे लोगों की आस्था बढ़ती गयी. फिर जन सहयोग से सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया और एक पोखर भी बनवाया गया. जहां छठ पर्व पर काफी भीड़ उमड़ती है.

सारण
मंदिर परिसर के इस छठ घाट पर हर साल 20 हजार लोग अर्घ्य देते हैं

20 हजार लोग देते हैं अर्घ्य
लोगों ने बताया कि आस-पास के लगभग 25 गांव के लोग यहां पूजा करने आते हैं. साथ ही दूसरे जिले और राज्यों से भी श्रद्धालु यहां छठ मनाने पहुंचते हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक छठ पर्व पर मंदिर परिसर में बने पेखर के घाटों पर हर साल लगभग 20 हजार लोग अर्घ्य देते है.

सारण
मंदिर में स्थापित सूर्य देव की प्रतिमा

दूर-दराज से छठ मनाने आते हैं लोग
मंदिर के व्यवस्थापक राजेश तिवारी ने बताया कि बिहार के अलावा यूपी, बंगाल, महाराष्ट्र सहित अन्य जगहों से लोग जहां छठ मनाने आते हैं. इस इलाके से किसी भी रूप में जुड़ाव रखने वाले या इस मंदिर की प्रसिद्धी को जानने वाले लोग यहां छठ मनाने पहुंचते है.

उन्होंने बताया कि मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु पूरे परिवार के साथ खरना के दिन ही यहां आ जाते हैं. खरना का प्रसाद बना कर सूर्य देव के अर्पित करते हैं. यहीं रात्रि विश्राम करते हैं. फिर अगले दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और उसके अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं.

पेश है खास रिपोर्ट

पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग
स्थानीय लोगों ने सरकार से इस मंदिर को पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग की है. लोगों ने कहा कि इसे ऐतिहासिक स्थल को रूप में विकसित किया जाना चाहिए. इससे इलाके के विकास के साथ-साथ सरकार को भी राजस्व का लाभ होगा.

Intro:SLUG:-KOTHEYA NARAN'S SUN TEMPLE
ETV BHARAT NEWS DESK
F.M:-DHARMENDRA KUMAR RASTOGI/ SARAN/BIHAR


Anchor:- सारण की धरती सदियों से ऐतिहासिक रही हैं चाहें वह धार्मिक का क्षेत्र हो या फिर सांस्कृतिक का हो वह हमेशा से विख्यात रही हैं वही कोठिया-नरांव गांव स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर उत्तर बिहार का प्रसिद्ध धार्मिक केन्द्रों के रूप में सुविख्यात है क्योंकि साक्षात देव भगवान भाष्कर का अतिप्राचीन प्रतिमा के समक्ष जो भी मन्नते मांगा हैं उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं तभी तो धीरे-धीरे सूर्य मंदिर की महता पूरे बिहार के साथ ही दूसरे प्रदेशों में भी विख्यात हो रही हैं.

ऐसी मान्यता हैं कि जो भी सच्चे मन से यहां आकर छठ व्रत करता है व पूजा करके मन्नत रखता है उसके मनोरथ जरूर पूर्ण होता हैं और मनोकामना पूर्ण हो जाने पर यही आकर छठ व्रत करता है और रात में यहीं पर कोशी भरता है और रात्री विश्राम करता है. खरना का प्रसाद व अर्घ्य अर्पित करने के लिए यहीं प्रसाद भी बनाते है व्रति व उनके परिजन सूर्य मन्दिर परिसर में रहकर छठ व्रत करते है और भगवान सूर्य के मंदिर में पूजा अर्चना कर कथा श्रवण करते है.







Body:बिहार के औरंगाबाद स्थित सूर्य मंदिर जैसा ही यहां पर छठ पूजा के दिन विहंग दृश्य दिखाई देता हैं जो छठ व्रतियो के लिए आकर्षण का केंद्र बिंदु रहता है. इस स्थल को तपो भूमि के रूप में विख्यात बनाने में इस ऐतिहासिक स्थल पर स्थापित सूर्य मंदिर का उदय यूं ही नही हुआ हैं इसके लिए अयोध्या, मथुरा, वृंदावन, द्वारका, रांची, फतेहा, पंजाब के जालंधर, मथुरा, जनकपुर, असम के प्रधान महंथो से सूर्य मंदिर धाम की स्थापना के सभी मंत्र ग्रहण करने के बाद ही इस तपो भूमि पर सूर्य मंदिर की स्थापना की गई हैं.

सूर्य मंदिर का नौ कुण्डिय महायज्ञ का शुभारंभ सारण जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी व्यास जी व पुलिस अधीक्षक सीआर कासवान सहित कई अधिकारियों द्वारा 26 अप्रैल 1990 को मंदिर के संस्थापक प्रधान पुजारी के अलावे तपस्वी संत समाज द्वारा इस मंदिर की स्थापना किया गया था

Byte:-one to one
राजेश कुमार तिवारी,
राजन सिंह, भाजपा नेता
ओम कृष्ण सिंह, स्थानीय सरपंच




Conclusion:हालांकि इस मंदिर की स्थापना कब हुई थी इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता हैं लेकिन आजादी के बाद ही इस स्थल का जीर्णोद्धार व विकास कार्य शुरू हुआ था
जो आज भी अनवरत जारी है लेकिन अभी तक किसी भी जनप्रतिनिधियों या अधिकारियों द्वारा इस स्थल को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित नही किया गया हैं जबकि आश्वासन सभी ने दिया है.

स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो इस स्थल को भारत के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने की सपना सजाये हुए है अभी तक इस ऐतिहासिक स्थल को विकसित करने हेतु पर्यटन मंत्रालय की ओर से कोई भी कार्य नही हुआ हैं और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा कोई कार्य हुआ हैं,

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