छपराः मुजफ्फरपुर के लिये वाया रेवा घाट होकर छपरा- मुजफ्फरपुर नई रेल लाइन के निर्माण कार्य ठप्प पड़ा है. इसका शिलान्यास तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने रेल मंत्री के कार्य काल के दौरान किया था. लेकिन उत्तर बिहार के सबसे बड़ा औद्योगिक नगर मुजफ्फरपुर से छपरा को जोड़ने का सपना आज भी अधुरा है.
इस रेल लाइन का निर्माण लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री के कार्यकाल के दौरान खूब तेजी से चला. स्थानीय लोगों को इस रेल परियोजना से काफी उम्मीदें जगी. इस रेल लाइन के बनने के बाद छपरा से मुजफ्फरपुर की दूरी काफी कम हो जायेगी. उत्तर बिहार का सबसे बड़े औद्योगिक नगर से छपरा सीधे तौर पर जुड़ जाएगा. छपरा ग्रामीण स्टेशन से शुरू हो रही यह नई रेल लाइन रेवा घाट में गंडक नदी पार कर मुजफ्फरपुर जिले के सरैया से होकर मुजफ्फरपुर तक जाती.
कई जगहों पर थी ठहराव की बात
इसके लिये छपरा जिले के चार से पांच जगहों अलोनी, गड़खा, भेल्दी, सोनहो, मकेर स्टेशनों का निर्माण भी प्रस्तावित है. जमीन का अधिग्रहण करके मुआवजा भी दिया जा चुका है. इसके बाद भी काम पूरी तरह से बंद है. स्टे्ट हाईवे 102के समानातंर बनने वाले इस रेल लाइन को रेवा घाट में गंडक नदी पुल के पूर्व दिशा में पर16 पीलर पुल का निर्माण कार्य भी शुरु किया गया. लेकिन पूरा नहीं हुआ.
ठेकेदारों ने किया काम बंद
यूपीए की सरकार के शासन से हटते ही इस परियोजना पर भी ग्रहण लग गया. इस रेल लाइन का कार्य पूरी तरह से बंद हो गया. यहां स्थानीय लोगों ने बताया कि विगत चार पांच सालों से काम पूरी तरह से बंद है. वहीं, ठेकेदारों को पेमेंट नहीं मिलने के कारण ठेकेदारों ने काम बंद कर अपना कैम्प भी बंद कर दिया है.
लोगों में है काफी निराशा
काम बंद होने से यहां के निवासियों में गहरी हताशा है. 78,153किमी के इस रेल लाइन के निर्माण में क़रीब430,07करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित राशि थी. जिसमें 285,07करोड़ की राशि भी 2008 में ही जारी कर दी गई. जिसमें लगभग 12से 13 स्टेशन, 13 मेगा ब्रिज के साथ-साथ लगभग 109 छोटे पुल के साथ 26r ub का भीनिर्माण होना था. इसके साथ ही इस रेल लाइन के बन जाने के बाद छपरा से मुजफ्फरपुर की दूरी लगभग 50 किमी कम हो जाती.
टोप्पो लैंड के विवाद में है जमीन
वहीं, इस परियोजना के बाद जब जमीन का सर्वे हुआ तो कुछ जमीन टोप्पो लैंड के विवाद में भी आ गई. जिस पर नियमानुसार कोई खरीद बिक्री नहीं कर सकता. बहरहाल इस रेल लाइन का निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप्प है. इस विषय पर कोई भी रेल अधिकारी बोलने को तैयार नहीं. यूपीए सरकार के कार्यकाल में बिहार में जो भी रेल प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा था, उसकी स्थिति अब बद से बदतर है. इनमें से कई परियोजना या तो बंद हो चुकी हैया राशि नहीं मिलने के कारण बंद होने के कगार पर है.