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मुजफ्फरपुर-छपरा रेल लाइन का निर्माण कार्य सालों से ठप्प, सरकार बदलते ही काम  हुआ बंद

इस विषय पर कोई भी रेल अधिकारी बोलने को तैयार नहीं. यूपीए सरकार के कार्यकाल में बिहार में जो भी रेल प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा था, उसकी स्थिति अब बद से बदतर है.

मुजफ्फरपुर-छपरा रेल लाइन की जमीन
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Published : Mar 4, 2019, 9:36 AM IST

छपराः मुजफ्फरपुर के लिये वाया रेवा घाट होकर छपरा- मुजफ्फरपुर नई रेल लाइन के निर्माण कार्य ठप्प पड़ा है. इसका शिलान्यास तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने रेल मंत्री के कार्य काल के दौरान किया था. लेकिन उत्तर बिहार के सबसे बड़ा औद्योगिक नगर मुजफ्फरपुर से छपरा को जोड़ने का सपना आज भी अधुरा है.

इस रेल लाइन का निर्माण लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री के कार्यकाल के दौरान खूब तेजी से चला. स्थानीय लोगों को इस रेल परियोजना से काफी उम्मीदें जगी. इस रेल लाइन के बनने के बाद छपरा से मुजफ्फरपुर की दूरी काफी कम हो जायेगी. उत्तर बिहार का सबसे बड़े औद्योगिक नगर से छपरा सीधे तौर पर जुड़ जाएगा. छपरा ग्रामीण स्टेशन से शुरू हो रही यह नई रेल लाइन रेवा घाट में गंडक नदी पार कर मुजफ्फरपुर जिले के सरैया से होकर मुजफ्फरपुर तक जाती.

बयान देते स्थानीय लोग

कई जगहों पर थी ठहराव की बात
इसके लिये छपरा जिले के चार से पांच जगहों अलोनी, गड़खा, भेल्दी, सोनहो, मकेर स्टेशनों का निर्माण भी प्रस्तावित है. जमीन का अधिग्रहण करके मुआवजा भी दिया जा चुका है. इसके बाद भी काम पूरी तरह से बंद है. स्टे्ट हाईवे 102के समानातंर बनने वाले इस रेल लाइन को रेवा घाट में गंडक नदी पुल के पूर्व दिशा में पर16 पीलर पुल का निर्माण कार्य भी शुरु किया गया. लेकिन पूरा नहीं हुआ.

ठेकेदारों ने किया काम बंद
यूपीए की सरकार के शासन से हटते ही इस परियोजना पर भी ग्रहण लग गया. इस रेल लाइन का कार्य पूरी तरह से बंद हो गया. यहां स्थानीय लोगों ने बताया कि विगत चार पांच सालों से काम पूरी तरह से बंद है. वहीं, ठेकेदारों को पेमेंट नहीं मिलने के कारण ठेकेदारों ने काम बंद कर अपना कैम्प भी बंद कर दिया है.

muzaffarpur chhapra rail line
मुजफ्फरपुर-छपरा रेल लाइन

लोगों में है काफी निराशा
काम बंद होने से यहां के निवासियों में गहरी हताशा है. 78,153किमी के इस रेल लाइन के निर्माण में क़रीब430,07करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित राशि थी. जिसमें 285,07करोड़ की राशि भी 2008 में ही जारी कर दी गई. जिसमें लगभग 12से 13 स्टेशन, 13 मेगा ब्रिज के साथ-साथ लगभग 109 छोटे पुल के साथ 26r ub का भीनिर्माण होना था. इसके साथ ही इस रेल लाइन के बन जाने के बाद छपरा से मुजफ्फरपुर की दूरी लगभग 50 किमी कम हो जाती.

टोप्पो लैंड के विवाद में है जमीन
वहीं, इस परियोजना के बाद जब जमीन का सर्वे हुआ तो कुछ जमीन टोप्पो लैंड के विवाद में भी आ गई. जिस पर नियमानुसार कोई खरीद बिक्री नहीं कर सकता. बहरहाल इस रेल लाइन का निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप्प है. इस विषय पर कोई भी रेल अधिकारी बोलने को तैयार नहीं. यूपीए सरकार के कार्यकाल में बिहार में जो भी रेल प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा था, उसकी स्थिति अब बद से बदतर है. इनमें से कई परियोजना या तो बंद हो चुकी हैया राशि नहीं मिलने के कारण बंद होने के कगार पर है.

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छपराः मुजफ्फरपुर के लिये वाया रेवा घाट होकर छपरा- मुजफ्फरपुर नई रेल लाइन के निर्माण कार्य ठप्प पड़ा है. इसका शिलान्यास तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने रेल मंत्री के कार्य काल के दौरान किया था. लेकिन उत्तर बिहार के सबसे बड़ा औद्योगिक नगर मुजफ्फरपुर से छपरा को जोड़ने का सपना आज भी अधुरा है.

इस रेल लाइन का निर्माण लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री के कार्यकाल के दौरान खूब तेजी से चला. स्थानीय लोगों को इस रेल परियोजना से काफी उम्मीदें जगी. इस रेल लाइन के बनने के बाद छपरा से मुजफ्फरपुर की दूरी काफी कम हो जायेगी. उत्तर बिहार का सबसे बड़े औद्योगिक नगर से छपरा सीधे तौर पर जुड़ जाएगा. छपरा ग्रामीण स्टेशन से शुरू हो रही यह नई रेल लाइन रेवा घाट में गंडक नदी पार कर मुजफ्फरपुर जिले के सरैया से होकर मुजफ्फरपुर तक जाती.

बयान देते स्थानीय लोग

कई जगहों पर थी ठहराव की बात
इसके लिये छपरा जिले के चार से पांच जगहों अलोनी, गड़खा, भेल्दी, सोनहो, मकेर स्टेशनों का निर्माण भी प्रस्तावित है. जमीन का अधिग्रहण करके मुआवजा भी दिया जा चुका है. इसके बाद भी काम पूरी तरह से बंद है. स्टे्ट हाईवे 102के समानातंर बनने वाले इस रेल लाइन को रेवा घाट में गंडक नदी पुल के पूर्व दिशा में पर16 पीलर पुल का निर्माण कार्य भी शुरु किया गया. लेकिन पूरा नहीं हुआ.

ठेकेदारों ने किया काम बंद
यूपीए की सरकार के शासन से हटते ही इस परियोजना पर भी ग्रहण लग गया. इस रेल लाइन का कार्य पूरी तरह से बंद हो गया. यहां स्थानीय लोगों ने बताया कि विगत चार पांच सालों से काम पूरी तरह से बंद है. वहीं, ठेकेदारों को पेमेंट नहीं मिलने के कारण ठेकेदारों ने काम बंद कर अपना कैम्प भी बंद कर दिया है.

muzaffarpur chhapra rail line
मुजफ्फरपुर-छपरा रेल लाइन

लोगों में है काफी निराशा
काम बंद होने से यहां के निवासियों में गहरी हताशा है. 78,153किमी के इस रेल लाइन के निर्माण में क़रीब430,07करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित राशि थी. जिसमें 285,07करोड़ की राशि भी 2008 में ही जारी कर दी गई. जिसमें लगभग 12से 13 स्टेशन, 13 मेगा ब्रिज के साथ-साथ लगभग 109 छोटे पुल के साथ 26r ub का भीनिर्माण होना था. इसके साथ ही इस रेल लाइन के बन जाने के बाद छपरा से मुजफ्फरपुर की दूरी लगभग 50 किमी कम हो जाती.

टोप्पो लैंड के विवाद में है जमीन
वहीं, इस परियोजना के बाद जब जमीन का सर्वे हुआ तो कुछ जमीन टोप्पो लैंड के विवाद में भी आ गई. जिस पर नियमानुसार कोई खरीद बिक्री नहीं कर सकता. बहरहाल इस रेल लाइन का निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप्प है. इस विषय पर कोई भी रेल अधिकारी बोलने को तैयार नहीं. यूपीए सरकार के कार्यकाल में बिहार में जो भी रेल प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा था, उसकी स्थिति अब बद से बदतर है. इनमें से कई परियोजना या तो बंद हो चुकी हैया राशि नहीं मिलने के कारण बंद होने के कगार पर है.

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Intro:रेल लाईन का निर्माण अधर में छ्परा।छपरा मुजफ्फरपुर रेल लाइन का निर्माण कार्य ठप्प। छपरा।पंकज श्रीवास्तव।छपरा से मुजफ्फरपुर के लिये वाया रेवा घाट होकर नई रेल लाइन के निर्माण का शिलान्यास तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने रेल मंत्री के कार्य काल के दौरान किया था।इस रेल लाइन का निर्माण लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री के कार्यकाल के दौरान खूब तेजी से चला।स्थानीय लोगों को इस रेल परियोजना से काफी उम्मीदें जगी कीइस रेल लाइन के बनने के बाद मुजफ्फरपुर की दूरी काफी कम हो जायेगी।और उत्तर बिहार का सबसे बड़ा औद्योगिक नगर से छपरा सीधे तौर पर जुड़ जाएगा। छपरा ग्रामीण स्टेशन से शुरू हो रही यह नई रेल लाइन रेवा घाट में गंडक नदी पार कर मुजफ्फरपुर ज़िले के सरैया होकर मुजफ्फरपुर तक जाती।इसके लिये छपरा जिले के चार से पांच जगहों पर अलोनी, गड़खा, भेल्दी, सोनहो,मकेर स्टेशनों का निर्माण भी प्रस्तावित है का ज़मीन का अधिग्रहण भी होकर मुआवजा भी दिया जा चुका है।इसके बाद काम पूरी तरह से बंद है।स्टे्ट हाई वे 102के समानातंर बनने वाले इस रेल लाइन को रेवा घाट में गंडक नदी के पुल के पूर्व दिशा में पुल का निर्माण कार्य भी शुरु किया गया।और रेवाघाट में गंडक नदी पर16 पीलर का निर्माण कार्य भी शुरू हुआ।


Body:लेकिन तब तक यूपीए की सरकार के शासन से हटते ही इस परियोजना पर भी ग्रहण लग गया। और इस रेल लाइन का कार्य पूरी तरह से बंद हो गया।यहां कर स्थानीय लोगों ने बताया कि विगत चार पांच सालों से काम पूरी तरह से बंद हैं वही ठेकेदारों को पेमेंट नही मिलने के कारण ठेकेदारों ने काम बंद कर अपना कैम्प भी बंद कर दिया है।वही मकेर प्रखंड में अवस्थित ठहरा मौजा गांव के लोगों को इस रेल लाइन के बनने से जिन लोगों की जमीनी गयी है उन्हें मुआवाज और रोजगार मिलने की पूरी समभावना थी।लेकिन रेल लाइन का काम बंद होने से यहां के निवासियों में गहरी हताशा है।78,153किमी के इस रेल लाइन के निर्माण में क़रीब430,07करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित राशि थी।जिसमें 285,07करोड़ की राशि भी2008मे ही जारी कर दी गयी जिसमे लगभग 12से 13 स्टेशन, 13 मेगा ब्रिज के साथ साथ लगभग 109छोटेपुल के साथ26r u b का भीनिर्माण होना था।इसके साथ ही इस रेल लाइन के बन जाने के बाद छपरा से मुजफ्फरपुर की दूरी लगभग 50 किमी कम हो जाती।


Conclusion:वही इस परियोजना के बाद जब जमीन का सर्वे हुआ तो कुछ जमीन टोप्पो लैंड के विवाद में भी आ गयी।जिस पर नियमानुसार कोई खरीद बिक्री नही कर सकता है।बहरहाल इस रेल लाइन का निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप्प हैं।और इस विषय पर कोई भी रेल अधिकारी बोलने से बचते रहे।वही अब यह देखना होगा कि इस बजट में जो राशि नई रेल निर्माण के मद में रखी गई हैं।उसमें इस परियोजना के मद कोई राशि एलाट हुयी है या नही।या फिर इस परियोजना को राशि मिलने के लिए अगले रेल बजट का इंतजार करना पड़ेगा।वही यूपीए सरकार के कार्यकाल में बिहार में जो भी रेल प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा था।उसकी स्थिति अब बद से बद्तर हैं।इनमें से कई परियोजना या तो बंद हो चुकी हैं या राशि नही मिलने के कारण बंद होने के कगार पर है।उन्ही में एक परियोजना छपरा मुजफ्फरपुर नई रेल लाइन भी है। बाईट।,मकेर प्रखंड के ठहरा मौजा गांव के ग्रामीणों का। बाईट।मनोज कुमार स्थानीय मामलो के जानकार।
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