सारण(छपरा): छपरा (Chapra) में इन दिनों एनजीटी (NGT) के आदेश पर खनुआ नाला (Khanua Nala) पर बनी दुकानों को तोड़ा जा रहा है. जिला प्रशासन द्वारा खनुआ नाले पर बनी दुकानों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है. पहले चरण में दो दुकानों को हटाया गया था, उसके बाद दूसरे चरण में 20 दुकानों को तोड़ दिया गया था. वहीं नगर निगम मार्केट में बनी 65 दुकानों पर भी प्रशासन का बुलडोजर चला. इस कार्रवाई से दुकानदारों में गहरी नाराजगी है. वहीं उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (Tarkishore Prasad) ने दुकानदारों का पुनर्वास करने का आश्वासन दिया है.
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अभी तक 22 दुकानों को जिला प्रशासन ने तोड़ दिया है. वहीं जिलाधिकारी कार्यालय से सटे नगर निगम मार्केट में बनी 65 दुकानों को गुरुवार की सुबह से ही जिला प्रशासन ने तोड़ने की कार्रवाई शुरु कर दी है. दोपहर होते होते यह मार्केट पूरी तरह से मलवे में तब्दील हो गया.
दुकानों को ध्वस्त करने के लिए चार चार बुलडोजरों को मौके पर लाया गया था. भारी पुलिस बल की मौजूदगी में इस मार्केट को तोड़ने का कार्य किया जा रहा है. छपरा में खनुआ नाला पर से दुकानें हटाने की प्रक्रिया शुरु हो गयी है, इससे बहुत हद तक शहर में जल जमाव की समस्या (Water Logging Problem) का खात्मा हो जाने की उम्मीद है. लेकिन इन सबके बीच यहां के दुकानदारो के सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. इतने सारे दुकानदारों के सामने बेरोजगारी की समस्या भी मुंह बाए खड़ी है.
वहीं शहर की ह्र्दयस्थली में अवस्थित यह मार्केट आज की तारीख में मलबे के ढेर में तब्दील हो गया है. वहीं इन दुकानदारों के पुनर्वास पर भी जल्द से जल्द जिला प्रशासन और राज्य सरकार को ध्यान देने की जरुरत है. लेकिन इनकी ओर कोई भी देखने को तैयार नहीं है.
वहीं छपरा में अपने सरकारी दौरे पर आए उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद से इस बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने दुकानदारों को पुनर्वासित करने का आश्वासन दिया. वहीं सारण सांसद राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि दुकानदारों के लिए सरकार सोचेगी और फिलहाल यह चिंता का विषय है.
"खनुआ नाला के जाम के कारण कई तरह की कठिनाइयां थी. जलजमाव हो रहा था. अब कठिनाई को दूर करने के लिए कार्रवाई की जा रही है. जो दुकानदार हटेंगे उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी."- तारकिशोर प्रसाद, डिप्टी सीएम, बिहार
बता दें कि टोडरमल के समय में छपरा शहर के मध्य मे सामान को लाने ले जाने के लिए एक नहर का निर्माण किया गया था जिसमे नाव चला करती थी और परिवहन का यह एक मात्र साधन भी था. समय के साथ साथ यह नहर एक गंदे नाले में तब्दील हो गया. उसके बाद जिला प्रशासन ने वर्ष 1995 में इस नाले पर 286 दुकानों का निर्माण करा कर लोगों को अलॉट कर दिया.
"सड़क तो बन जाने दीजिए इतना बढ़िया सड़क प्राप्त होगा आप सभी को. दुकानदारों के पुनर्वास के लिए सरकार निर्णय लेगी. निश्चित रुप से ये चिंता का विषय है."- राजीव प्रताप रूडी, सारण के सांसद
कुछ समय के बाद इस नाले का प्रवाह अवरुद्ध हो गया और छपरा शहर में भयंकर जलजमाव शुरू हो गया. उसके बाद स्थानीय लोगों ने कोर्ट कचहरी की शरण ली. एनजीटी का आदेश आया कि खनुआ नाले को उसके वास्तविक स्वरूप में लाया जाए. उसके बाद यह कार्रवाई की जा रही है.
शहर की साफ सफाई के नाम पर खनुआ नाले की दुकानों को तोड़ा जा रहा है. इसके कारण सैंकड़ों दुकानदार विस्थापित हुए हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि इन दुकानदारों ने यहां अतिक्रमण नहीं किया था बल्कि बकायदा उन्हें दुकानें एलॉट की गई थी. अब दुकानों के तोड़े जाने से ये सभी बेरोजगार हो गए हैं, और सरकार से पुनर्वास की मांग कर रहे हैं. अब देखने वाली बात होगी कि कब तक सरकार इनलोंगों का पुनर्वास करती है.
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