सारण: यूं तो विपक्षी लालू यादव के राज को बिहार में जंगल राज कहते हैं पर ये भी सच है कि लालू यादव ने अपनी जनता के लिए काफी काम किया है. लालू यादव की लोकप्रियता भी कम नहीं है. आज भी लोग लालू यादव की बातों और उनके अलग अंदाज में किए जाने वाले कामों को लेकर दीवाने हैं. ये बात उस वक्त की है जब लालू यादव सारण से सांसद हुआ करते थे.
लालू ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए की थी पहल: सारण में सांसद रहते हुए लालू यादव ने वहां के लोगों के लिए काफी कुछ किया था. खास तौर पर जिले में शिक्षा जगत के विकास के लिए उन्होंने अपने सांसद निधि से करोड़ों रुपए छात्रों के नाम कर दिए. लेकिन आज वो करोड़ों रुपए पानी की तरह बर्बाद हो रहे हैं.
छात्रों के लिए सासंद निधि से दी बसें: राजद सुप्रीमो ने अपने कार्यकाल के दौरान छात्र-छात्राओं के आवागमन के साधन को सुगम बनाने के लिए अपने सांसद निधि से सारण के कॉलेजों में आने-जाने के लिए करोड़ों रुपए की लागत से दो-दो बसें दी थी. लेकिन वो बस महज हाथी के दांत बन कर रह गए हैं. बसों की स्थिती खस्ताहाल हो चुकी है.
लालू के सांसद रहने तक बसों का हुआ उपयोग: इन बसों से छात्रों को आवागमन में काफी सहूलीयत भी हुई थी. जब तक लालू यादव सांसद रहे, तब तक यह सेवा चलती भी रही. लेकिन जैसे ही लालू प्रसाद यादव की सांसदी खत्म हुई. उसके बाद आवागमन के इस साधन पर ग्रहण लग गया.
कबाड़ में तब्दील हुई बसें: उस समय के बाद से आज तक ये बसें कॉलेजों के बाहर ही जस की तस खड़ी हैं. अगर इन बसों की हालत देखी जाए तो यह खड़े-खड़े पूरी तरह से कबाड़ का ढेर बन कर रह गई है. जाड़ा , गर्मी और बरसात झेलते-झेलते ये बसें पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. असामाजिक तत्वों के द्वारा इन्हे तोड़ भी दिया गया है,
जगदम कॉलेज के बसों की स्थिति और खराब: छपरा के जय प्रकाश विश्वविद्यालय, राजेंद्र कॉलेज, जगदम कॉलेज, जय प्रकाश महिला विद्यालय सहित जिले के कई महाविधालय को लालू प्रसाद यादव ने अपने संसदीय राशि से बस खरीद कर दी थी. सबसे ज्यादा खराब स्थिति छपरा के जगदम कॉलेज में खड़ी बसों का है. यहां बसों को आग के हवाले कर दिया गया, जिससे बसें राख बन गई.
लोगों में दिखा गुस्सा: इधर इस मामले को लेकर जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने स्थानीय लोगों से बात की तो लोगों का गुस्सा साफ झलक रहा था. लोगों का कहना था कि लालू प्रसाद यादव ने जिस राशि को खर्च कर छात्र छात्राओं के लिए यह काम किया था. बीते कुछ सालों से उनके इस प्रयास को पूरी तरह से नेस्तानाबूद किया गया है.
छात्रों को आने-जाने में होती है परेशानी: लोगों ने बताया कि जय प्रकाश विश्वविद्यालय जाने के लिए छात्र-छात्राओं को काफी मशक्कत करनी पड़ती है, क्योंकि जय प्रकाश विश्वविद्यालय शहर से काफ़ी दूर है. अगर आज बस को कबाड़ में फेंकने की जगह उसका सही तरीके से मेंटेनेंस कर प्रयोग किया जाता तो बच्चों को काफी सहूलियत होती.
कॉलेज प्रशासन कर रहा बसों की अनदेखी: लोगों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से लेकर महाविधालय प्रशासन तक पर इस पूरे मामले को लेकर आरोप लगाया. लोगों का साफ कहना था कि शिक्षा विभाग और प्रशासन इस मामले में कई सालों से पूरी तरह से उदासीन रहा. जिसका परिणाम है कि करोड़ों की राशि से लाई गई बसें कबाड़ के रूप में कॉलेज परिसर में खड़ी है. उनका कहना है कि अभी भी इनकी मरम्मती कराई जाती है, तो इन्हें उपयोग में लाया जा सकता है.
"पूर्व सांसद लालू यादव का यह प्रयास बहुत अच्छा था, लेकिन सही तरीके से मैनेजमेंट नहीं हो सका. जिसके वजह से ये बसें कबाड़ बन गई. मौसम की मार झेल कर बसें सड़ती, गलती जा रही है. अगर अभी भी इनकी मरम्मती करा कर इनसे काम लिया जाए तो छात्रों को काफी सहूलीयत होगी."- कामेश्वर राय, स्थानीय
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