समस्तीपुर: 19 जनवरी को प्रदेशभर में आयोजित मानव श्रृंखला को लेकर सियासी सवाल उठ रहे हैं. विरोधी खेमा सरकार की इस श्रृंखला के चलते लोगों को होने वाली समस्याओं और रुपयों की बर्बादी को लेकर सवाल उठा रहा है. विपक्ष का आरोप है कि सरकारी अमला ह्यूमन चेन की तैयारी में जुटा है. लिहाजा, सरकारी दफ्तरों में लोगों के काम नहीं हो रहे हैं.
बिहार सरकार जल जीवन हरियाली के साथ-साथ बाल विवाह, दहेज प्रथा, मद्य निषेध जैसे कुरीतियों को समाज से खात्मा को लेकर मानव श्रृंखला बनवा रही है. इसे सफल बनाने के लिए सरकारी मशीनरी जोर शोर से लगी हुई है. सत्ताधारी दल समेत अन्य कई संगठन इसको लेकर अपनी-अपनी तैयारी में जुटे हैं. लेकिन राजद सरकार की जल जीवन हरियाली योजना को लेकर कई सवाल उठा रही है.
अफसर नहीं सुन रहे लोगों की समस्याएं- राजद
दरअसल, जिले में जिस तरह इस योजना के तहत विभिन्न पोखरों के आसपास बसे लोगों को हटाया गया है. उससे राजद इस मुद्दे पर लगातार आंदोलन कर रही है. पार्टी के नेताओ ने इस योजना के आधे अधूरे मकसद पर सवाल उठाते हुए कहा कि जल जीवन हरियाली के तहत गरीब लोगों को सड़क पर ला दिया गया. राजद नेता रोमा भारती ने कहा कि लोगों को बिना वैकल्पिक व्यवस्था के साथ बेघर कर दिया गया.
उन्होंने कहा कि इस शृंखला के नाम पर पैसे पानी के तरह बहाये जा रहे हैं. जिले के किसी भी सरकारी दफ्तर में लोगों से जुड़ा कोई काम नहीं हो रहा है. सरकारी महकमा सिर्फ और सिर्फ मानव श्रृंखला की तैयारी में जुटा है.
मानव श्रृंखला का सकारात्मक असर- लोजपा
वैसे विपक्ष के इन आरोपों पर एनडीए के सहयोगी पार्टी लोजपा के नेता उमाशंकर मिश्रा ने माकूल जवाब देने के बजाए विपक्ष की सोच पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे आयोजनों के जरिए पर्यावरण को लेकर एक बड़ा जागरूकता कार्यक्रम चला रही है. इसके पहले आयोजित हुई श्रृंखला का सकारात्मक असर हुआ है.
- गौरतलब है कि जिले में एक बड़ा वर्ग मानव श्रृंखला के विरोध में हैं उनका मानना है कि इससे लोगों को परेशानी हो रही है. राजद इस मामले के जरिये जिले में अपनी अलग सियासी साख मजबूत करने में जुटा है.