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प्राइवेट स्कूलों ने कर दिया साफ, क्वालिटी एडुकेशन चाहिए तो फीस बढ़ानी पड़ेगी

प्राइवेट स्कूलों पर सरकार का नियंत्रण नजर नहीं आ रहा. आंकड़ो की माने तो जिले में 700 से ज्यादा प्राइवेट स्कूल है. जिसमें से सही रिकोर्ड केवल 491 स्कूलों के ही हैं

फीस
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Published : Feb 22, 2019, 6:07 PM IST

समस्तीपुरः प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से मनमानी फीस वसूल रहे हैं. पांच साल के अंदर निजीस्कूलों नेफीस में 11 से 18 फिसदी तक की बढ़ोतरी कर दी है. वीत्तीय वर्ष में इसमें और इजाफा होने वाला है, लिहाजा माता-पिता पर अधिक बोझ पड़ने वाला है.

हर साल फीस बढ़ानेको लेकर नीजी स्कूलों का कहना है कि मंहगाई के साथ-साथ हमें शिक्षकों की सैलेरी भी बढ़ानी पड़ती है. इसके साथ ही अगर अभिभावकों को अपने बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देना है फीस में बढ़ोतरी जायज है.

सरकारी नियंत्रण से बाहर निजीस्कूल

बिहार कैबिनेट ने भले ही निजीविद्यालयों पर नकेल कसने को लेकर प्राइवेट स्कूल रेगुलेशन बिल 2019 पर मुहर लगा दी हो,लेकिन इन स्कूलों पर सरकार का नियंत्रण नजर नहीं आ रहा.आंकड़ो की माने तो जिले में 700 से ज्यादाप्राइवेट स्कूल है.जिसमेंसे सही रिकोर्ड केवल 491 स्कूलों के ही हैं. वहीं, अगर इसमें लगने वालीफीस पर गौर करे तो बीते पांच वर्षों में समस्तीपुरके सभी निजी विद्यालयों में11 से 18 फीसदी की फीस बढ़ोतरी की गई है.

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मनमानी फीस वसूल रहे प्राइवेट स्कूल

अतिरिक्त सुविधाओं के नाम पर वसूलते हैं मनमानी फीस

प्राइवेट स्कूल बच्चों को डायरी, ऐनुअल चार्ज, स्पोर्ट्स फीस, एग्जाम फीस, स्कील डेवलपमेंट और न जाने कौन-कौनसे चार्ज के नाम पर अतिरिक्त पैसा वसूल करते हैं. जिसका असर अभिभावकों की जेब पर पड़ता है.प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन से जुड़े लोगों का कहना है किक्वालिटी एजुकेशन के लिए अच्छे शिक्षक परमोटी रकम खर्च की जाती है. इसलिए माता-पिता को समझना होगा कि बेहतर शिक्षा के लिए थोड़ा ज्यादा खर्च तो करना ही पड़ेगा.

जिला शिक्षा अधिकारी सत्येंद्र झा का कहना है कि नियमों को दरकिनार करने पर प्राईवेट स्कूल प्रबंधको की मीटींग बुलाई जाएगी. नियम न मानने पर उनका रजिस्ट्रेशन रद्द भी किया जा सकता है. लेकिन सवाल यहीं है कि यह दावा तो अधिकारी कई सवालों से कर रहे हैं लेकिन पैरेंट्स की जेब पर इसका कोई असर नहीं होता.

समस्तीपुरः प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से मनमानी फीस वसूल रहे हैं. पांच साल के अंदर निजीस्कूलों नेफीस में 11 से 18 फिसदी तक की बढ़ोतरी कर दी है. वीत्तीय वर्ष में इसमें और इजाफा होने वाला है, लिहाजा माता-पिता पर अधिक बोझ पड़ने वाला है.

हर साल फीस बढ़ानेको लेकर नीजी स्कूलों का कहना है कि मंहगाई के साथ-साथ हमें शिक्षकों की सैलेरी भी बढ़ानी पड़ती है. इसके साथ ही अगर अभिभावकों को अपने बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देना है फीस में बढ़ोतरी जायज है.

सरकारी नियंत्रण से बाहर निजीस्कूल

बिहार कैबिनेट ने भले ही निजीविद्यालयों पर नकेल कसने को लेकर प्राइवेट स्कूल रेगुलेशन बिल 2019 पर मुहर लगा दी हो,लेकिन इन स्कूलों पर सरकार का नियंत्रण नजर नहीं आ रहा.आंकड़ो की माने तो जिले में 700 से ज्यादाप्राइवेट स्कूल है.जिसमेंसे सही रिकोर्ड केवल 491 स्कूलों के ही हैं. वहीं, अगर इसमें लगने वालीफीस पर गौर करे तो बीते पांच वर्षों में समस्तीपुरके सभी निजी विद्यालयों में11 से 18 फीसदी की फीस बढ़ोतरी की गई है.

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मनमानी फीस वसूल रहे प्राइवेट स्कूल

अतिरिक्त सुविधाओं के नाम पर वसूलते हैं मनमानी फीस

प्राइवेट स्कूल बच्चों को डायरी, ऐनुअल चार्ज, स्पोर्ट्स फीस, एग्जाम फीस, स्कील डेवलपमेंट और न जाने कौन-कौनसे चार्ज के नाम पर अतिरिक्त पैसा वसूल करते हैं. जिसका असर अभिभावकों की जेब पर पड़ता है.प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन से जुड़े लोगों का कहना है किक्वालिटी एजुकेशन के लिए अच्छे शिक्षक परमोटी रकम खर्च की जाती है. इसलिए माता-पिता को समझना होगा कि बेहतर शिक्षा के लिए थोड़ा ज्यादा खर्च तो करना ही पड़ेगा.

जिला शिक्षा अधिकारी सत्येंद्र झा का कहना है कि नियमों को दरकिनार करने पर प्राईवेट स्कूल प्रबंधको की मीटींग बुलाई जाएगी. नियम न मानने पर उनका रजिस्ट्रेशन रद्द भी किया जा सकता है. लेकिन सवाल यहीं है कि यह दावा तो अधिकारी कई सवालों से कर रहे हैं लेकिन पैरेंट्स की जेब पर इसका कोई असर नहीं होता.

Intro:जिले में संचालित प्राइवेट स्कूलों का जारी है अभिवावक पर फीस का डोज । आश्चर्य इस बात का है की नियमों को दरकिनार कर इन नीजि स्कूलों के संचालकों ने बीते पांच वर्षों के अंदर 11 से 18 फीसदी तक फीस की बढ़ोतरी कर दी है । यह बोझ अगले वित्तीय वर्ष बच्चों के माता पिता पर और बढ़ने वाला है । वंही सम्बन्धित विभाग इसको लेकर मंथन की तारीख तय करने में व्यस्त है तो नीजि विद्यालयों से जुड़े लोग मंहगाई व क्वालिटी एडुकेशन का राग अलाप रहे ।


Body:बिहार कैबिनेट ने भले ही नीजि विद्यालयों पर नकेल कसने को लेकर प्राइवेट स्कूल रेगुलेशन बिल 2019 पर मुहर लगाया हो । लेकिन अगर इस जिले की बात की जाए तो यंहा नीजि स्कूलों में लगने वाले शुल्क पर कोई नियंत्रण नही है । आंकड़ो की माने तो जिले में 700 से अधिक प्राइवेट स्कूल है । वंही अगर इसमें लगने वाले फीस पर गौर करे तो बीते पांच वर्षों में जिले में सभी स्तर के इन विद्यालयों में 11 से 18 फीसदी की फीस बढ़ोतरी की है । प्राइवेट स्कूल के द्वारा अभिवावकों पर फीस का डोज कई तरह से पड़ रहा । चाहे सुविधा के नाम पर हो या फिर कांपी किताब खरीद के नाम पर । इन विद्यालयों के बेतहाशा फीस से अभिवावक की कमर तोड़ दी है । वैसे जब इस बाबत प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन से जुड़े लोगों से जानकारी ली गयी तो , उनका अलग ही रोना है । उनका मानना है की क्वालिटी एजुकेशन को लेकर अच्छे शिक्षक के पीछे मोटी रकम खर्च होती है । अभिवावक को भी यह समझना होगा की वेहतर पढ़ाई को लेकर थोड़ा खर्च तो करना होगा । वैसे यह जरूर कहते है की , आगे सरकार की मर्जी ।

बाईट - संजय कुमार , प्रिंसिपल , नीजि विद्यालय ।

वीओ - वैसे भले ही नीजि विद्यालयो के प्रवन्धक सरकार के निर्देशों की बात करते हो । लेकिन हकीकत यही है की जिले में इसपर विभाग का कोई नियंत्रण नही । विभागीय सूत्रों के अनुसार जिले में चलने वाले 700 से अधिक स्कूलों चल रहे । लेकिन विभाग के फाईलो में महज 491 स्कूलों से ही जुड़ी जानकारी है ।वैसे जिले में नीजि विद्यालयो के फीस नियंत्रण पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने यह सिर्फ दिलाशा दिया की , जल्द इन विद्यालयो के संचालकों के साथ बैठक की जायेगी व फीस का भी निर्धारण होगा । जो इस नियम के खिलाफ जायेंगे उनका रजिस्ट्रेशन कैंसिल होगा ।

बाईट - सतेंद्र झा , जिला शिक्षा पदाधिकारी ।


Conclusion:अब अगर नीजि विद्यालयों को लेकर कैबिनेट का फरमान व जिले में अनियंत्रित नीजि विद्यालयों पर नकेल सही तरीके से लगा तो , काफी लोगो को राहत मिलेगा । जानकारी तो यह भी है की इन नीजि विद्यालयों में एडमिशन का दौर शुरु हो चुका है और चर्चा इस बात की है की । इस साल फीस में सात से आठ फीसदी बढ़ोतरी हो सकती है ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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