समस्तीपुरः प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से मनमानी फीस वसूल रहे हैं. पांच साल के अंदर निजीस्कूलों नेफीस में 11 से 18 फिसदी तक की बढ़ोतरी कर दी है. वीत्तीय वर्ष में इसमें और इजाफा होने वाला है, लिहाजा माता-पिता पर अधिक बोझ पड़ने वाला है.
हर साल फीस बढ़ानेको लेकर नीजी स्कूलों का कहना है कि मंहगाई के साथ-साथ हमें शिक्षकों की सैलेरी भी बढ़ानी पड़ती है. इसके साथ ही अगर अभिभावकों को अपने बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देना है फीस में बढ़ोतरी जायज है.
सरकारी नियंत्रण से बाहर निजीस्कूल
बिहार कैबिनेट ने भले ही निजीविद्यालयों पर नकेल कसने को लेकर प्राइवेट स्कूल रेगुलेशन बिल 2019 पर मुहर लगा दी हो,लेकिन इन स्कूलों पर सरकार का नियंत्रण नजर नहीं आ रहा.आंकड़ो की माने तो जिले में 700 से ज्यादाप्राइवेट स्कूल है.जिसमेंसे सही रिकोर्ड केवल 491 स्कूलों के ही हैं. वहीं, अगर इसमें लगने वालीफीस पर गौर करे तो बीते पांच वर्षों में समस्तीपुरके सभी निजी विद्यालयों में11 से 18 फीसदी की फीस बढ़ोतरी की गई है.
अतिरिक्त सुविधाओं के नाम पर वसूलते हैं मनमानी फीस
प्राइवेट स्कूल बच्चों को डायरी, ऐनुअल चार्ज, स्पोर्ट्स फीस, एग्जाम फीस, स्कील डेवलपमेंट और न जाने कौन-कौनसे चार्ज के नाम पर अतिरिक्त पैसा वसूल करते हैं. जिसका असर अभिभावकों की जेब पर पड़ता है.प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन से जुड़े लोगों का कहना है किक्वालिटी एजुकेशन के लिए अच्छे शिक्षक परमोटी रकम खर्च की जाती है. इसलिए माता-पिता को समझना होगा कि बेहतर शिक्षा के लिए थोड़ा ज्यादा खर्च तो करना ही पड़ेगा.
जिला शिक्षा अधिकारी सत्येंद्र झा का कहना है कि नियमों को दरकिनार करने पर प्राईवेट स्कूल प्रबंधको की मीटींग बुलाई जाएगी. नियम न मानने पर उनका रजिस्ट्रेशन रद्द भी किया जा सकता है. लेकिन सवाल यहीं है कि यह दावा तो अधिकारी कई सवालों से कर रहे हैं लेकिन पैरेंट्स की जेब पर इसका कोई असर नहीं होता.