ETV Bharat / state

समस्तीपुर: पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री पूजा की तैयारी, शुक्रवार को महिलाएं रखेंगी व्रत

author img

By

Published : May 21, 2020, 12:27 PM IST

महिलाएं व्रत के दिन बरगद के पेड़ की पूजा करती है और उपवास रखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है. धर्म शास्त्र में भी इसका जिक्र मिलता है कि इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस ले आई थी. इसी कारण इस व्रत का नाम वट सावित्री पड़ा.

वट सावित्री पूजा की तैयारी
वट सावित्री पूजा की तैयारी

समस्तीपुर: जिले से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक बट सावित्री पूजा की तैयारी जोरों पर है. शुक्रवार को वट सावित्री व्रत है. इस दिन हिंदू महिलाएं अपने रीति रिवाज के अनुसार पति के दीर्घायु के लिए व्रत रखेंगी. मान्यता है कि इस दिन उपवास और पूजा करने वाली महिलाओं के पति पर आया संकट टल जाता है और उनकी आयु लंबी होती है. वट सावित्री पूजा में आम और लीची का खास महत्व है. यह व्रत महिलाओं के लिए खास माना जाता है.

वट सावित्री पूजा की तैयारी में लगी महिलाएं
लॉकडाउन के कारण से महिलाएं गंगा स्नान तो नहीं कर सकेंगी. ऐसे में महिलाएं इस बार घर पर ही बरगद के पेड़ की पूजा करेंगी. कई दिन पहले से ही महिलाओं ने अपने घर के आंगन में बरगद के पौधे को लगा दिया है. महिलाओं ने कहा कि घर में ही स्नान कर इस संकट काल के समय में वे व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करेंगे. हिंदू धर्म में प्रकृति जनित सूर्य, नदी, पेड़ पौधे आदि को पूजने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

samastipur
वट सावित्री पूजा की तैयारी

पूजा करने की विधि
मान्यताओं के अनुसार इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद नए वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें. 24 बरगद का फल और 24 पुड़िया अपने आंचल में रखकर वट वृक्ष की पूजा करें. जल चढ़ाकर वृक्ष पर हल्दी, रोली और अक्षत लगाकर फल, मिठाई आदि अर्पित करें. धूप दीप दान करने के बाद कच्चे सूत को लपेटते हुए 12 बार वृक्ष की परिक्रमा करें. वहीं, हर प्रतिमा के बाद भिंगा फूला चना चढ़ाएं और इसके बाद व्रत कथा पढ़ें. फिर 12 कच्चे धागे वाली माला व्हिच पर चढ़ाएं और दूसरी खुद पहन लें. 6 बार इस माले को विकसित से बदले और 11 चने और वटवृक्ष की लाल रंग की कली को पानी से निकलकर व्रत खोलने का नियम पूरा करें.

पूजा का महत्व
बता दें कि महिलाएं इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करती है और उपवास रखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है. धर्म शास्त्र में भी इसका मिलता है कि इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस ले आई थी. इसी कारण इस व्रत का नाम वट सावित्री पड़ा. वट सावित्री व्रत के दिन सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का भी विधान है. मान्यता है कि शादीशुदा जिंदगी में किसी भी प्रकार की परेशानी चल रही हो तो इस उपवास के करने से सही हो जाता है.

समस्तीपुर: जिले से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक बट सावित्री पूजा की तैयारी जोरों पर है. शुक्रवार को वट सावित्री व्रत है. इस दिन हिंदू महिलाएं अपने रीति रिवाज के अनुसार पति के दीर्घायु के लिए व्रत रखेंगी. मान्यता है कि इस दिन उपवास और पूजा करने वाली महिलाओं के पति पर आया संकट टल जाता है और उनकी आयु लंबी होती है. वट सावित्री पूजा में आम और लीची का खास महत्व है. यह व्रत महिलाओं के लिए खास माना जाता है.

वट सावित्री पूजा की तैयारी में लगी महिलाएं
लॉकडाउन के कारण से महिलाएं गंगा स्नान तो नहीं कर सकेंगी. ऐसे में महिलाएं इस बार घर पर ही बरगद के पेड़ की पूजा करेंगी. कई दिन पहले से ही महिलाओं ने अपने घर के आंगन में बरगद के पौधे को लगा दिया है. महिलाओं ने कहा कि घर में ही स्नान कर इस संकट काल के समय में वे व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करेंगे. हिंदू धर्म में प्रकृति जनित सूर्य, नदी, पेड़ पौधे आदि को पूजने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

samastipur
वट सावित्री पूजा की तैयारी

पूजा करने की विधि
मान्यताओं के अनुसार इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद नए वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें. 24 बरगद का फल और 24 पुड़िया अपने आंचल में रखकर वट वृक्ष की पूजा करें. जल चढ़ाकर वृक्ष पर हल्दी, रोली और अक्षत लगाकर फल, मिठाई आदि अर्पित करें. धूप दीप दान करने के बाद कच्चे सूत को लपेटते हुए 12 बार वृक्ष की परिक्रमा करें. वहीं, हर प्रतिमा के बाद भिंगा फूला चना चढ़ाएं और इसके बाद व्रत कथा पढ़ें. फिर 12 कच्चे धागे वाली माला व्हिच पर चढ़ाएं और दूसरी खुद पहन लें. 6 बार इस माले को विकसित से बदले और 11 चने और वटवृक्ष की लाल रंग की कली को पानी से निकलकर व्रत खोलने का नियम पूरा करें.

पूजा का महत्व
बता दें कि महिलाएं इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करती है और उपवास रखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है. धर्म शास्त्र में भी इसका मिलता है कि इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस ले आई थी. इसी कारण इस व्रत का नाम वट सावित्री पड़ा. वट सावित्री व्रत के दिन सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का भी विधान है. मान्यता है कि शादीशुदा जिंदगी में किसी भी प्रकार की परेशानी चल रही हो तो इस उपवास के करने से सही हो जाता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.