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11 महीने के बच्चे को गंभीर बीमारी, आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं करा पा रहे माता-पिता

रोसड़ा प्रखंड के मिर्जापुर भटोतर वार्ड नंबर 7 निवासी राम कुमार अपने 11 माह के बीमार बच्चे के इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं.

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Published : Jun 14, 2020, 4:51 PM IST

Updated : Jun 18, 2020, 10:35 PM IST

समस्तीपुर: जिला के रोसड़ा प्रखंड अंतर्गत मिर्जापुर भटोतर गांव निवासी राम कुमार महतो अपने 11 माह के बीमार बच्चे के इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं. जन्म के बाद से ही बच्चे के सिर का अधिक विकास हो रहा है, जबकि शरीर का विकास नहीं हो रहा है. इससे बच्चा काफी कमजोर स्थिति में है. वहीं, आर्थिक हालत खराब होने के कारण माता-पिता बच्चे का इलाज नहीं करा पा रहे हैं.

वार्ड नंबर 7 निवासी राम कुमार की पत्नी कंचन कुमारी ने पिछले साल मई में रोसड़ा अनुमंडल अस्पताल में इस बच्चे को जन्म दिया. बच्चे की गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टर सौरभ कुमार ने बच्चे को सदर अस्पताल रेफर कर दिया. रोसड़ा से सरकारी व्यवस्था के तौर पर सिर्फ एंबुलेंस उपलब्ध कराया गया. वहीं सदर अस्पताल में भी बच्चे का समुचित इलाज नहीं किया गया.

बीमार बच्चा
बीमार बच्चा

पीएमसीएच में भी नहीं किया गया इलाज
बाद में बच्चे को बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच रेफर कर दिया गया. पीएमसीएच में भी माता-पिता को निराशा ही हाथ लगी. पीएमसीएच में भी बच्चे का इलाज नहीं किया जा सका. थक-हारकर परिजन वापस अपने घर आ गए. फिर भी बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए माता-पिता लगातार जद्दोजहद कर रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

तिल-तिल मरता देखने को विवश!
जानकारी देते हुए आशा कर्मी ने बताया कि जन्म के समय से ही बच्चे के सिर का विकास अधिक हो रहा है, लेकिन शरीर का विकास नहीं हो पा रहा है. इससे बच्चा जिंदगी और मौत से पिछले 11 महीनों से लड़ रहा है. बता दें कि गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चे के परिजन आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं. इस कारण बच्चे का समुचित इलाज नहीं हो रहा है. सरकारी अस्पतालों का चक्कर लगाकर घर लौटे माता-पिता काफी निराश हैं. बेबस मां-बाप अपने बच्चे को तिल-तिल मरता देखने को विवश हैं. अब तो उन्हें बस सरकारी मदद की ही आस बची है.

समस्तीपुर: जिला के रोसड़ा प्रखंड अंतर्गत मिर्जापुर भटोतर गांव निवासी राम कुमार महतो अपने 11 माह के बीमार बच्चे के इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं. जन्म के बाद से ही बच्चे के सिर का अधिक विकास हो रहा है, जबकि शरीर का विकास नहीं हो रहा है. इससे बच्चा काफी कमजोर स्थिति में है. वहीं, आर्थिक हालत खराब होने के कारण माता-पिता बच्चे का इलाज नहीं करा पा रहे हैं.

वार्ड नंबर 7 निवासी राम कुमार की पत्नी कंचन कुमारी ने पिछले साल मई में रोसड़ा अनुमंडल अस्पताल में इस बच्चे को जन्म दिया. बच्चे की गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टर सौरभ कुमार ने बच्चे को सदर अस्पताल रेफर कर दिया. रोसड़ा से सरकारी व्यवस्था के तौर पर सिर्फ एंबुलेंस उपलब्ध कराया गया. वहीं सदर अस्पताल में भी बच्चे का समुचित इलाज नहीं किया गया.

बीमार बच्चा
बीमार बच्चा

पीएमसीएच में भी नहीं किया गया इलाज
बाद में बच्चे को बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच रेफर कर दिया गया. पीएमसीएच में भी माता-पिता को निराशा ही हाथ लगी. पीएमसीएच में भी बच्चे का इलाज नहीं किया जा सका. थक-हारकर परिजन वापस अपने घर आ गए. फिर भी बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए माता-पिता लगातार जद्दोजहद कर रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

तिल-तिल मरता देखने को विवश!
जानकारी देते हुए आशा कर्मी ने बताया कि जन्म के समय से ही बच्चे के सिर का विकास अधिक हो रहा है, लेकिन शरीर का विकास नहीं हो पा रहा है. इससे बच्चा जिंदगी और मौत से पिछले 11 महीनों से लड़ रहा है. बता दें कि गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चे के परिजन आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं. इस कारण बच्चे का समुचित इलाज नहीं हो रहा है. सरकारी अस्पतालों का चक्कर लगाकर घर लौटे माता-पिता काफी निराश हैं. बेबस मां-बाप अपने बच्चे को तिल-तिल मरता देखने को विवश हैं. अब तो उन्हें बस सरकारी मदद की ही आस बची है.

Last Updated : Jun 18, 2020, 10:35 PM IST
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