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पिता की कमी पूरी कर रहे प्रिंस, LJP के हो सकते हैं नए कद्दावर नेता - prince raj

साल 2019 लोजपा को एक अलग अनुभव दे गया. रामचंद्र पासवान का अचानक चले जाना और पार्टी को प्रिंस के रुप में नया युवा चेहरा मिलना, पासवान और लोक जन शक्ति परिवार को हमेशा ही याद रहेगा

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Published : Dec 27, 2019, 7:01 AM IST

समस्तीपुर: लोक जन शक्ति पार्टी और पासवान परिवार साल 2019 को शायद कभी ना भूल सके. इस साल लोजपा ने रामचंद्र पासवान के रुप में अपने एक अहम नेता को खोया तो परिवार ने अपने प्यारे सदस्य को. वहीं इस नुकसान ने पार्टी को प्रिंस राज के रुप में एक मजबूत सहारा भी दिया, जिसके कंधों पर पार्टी की अहम जिम्मेदारी दी गई.

21 जुलाई 2019 को रामचंद्र पासवान का निधन
चार बार लोकसभा में जिले का प्रतिनिधित्व करने वाले सासंद रामचंद्र पासवान का निधन 21 जुलाई 2019 को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में हार्ट अटैक की वजह से हो गया. इसी साल उन्होंने चौथी बार लोकसभा के जंग में अपने विरोधी को बड़े मतों से शिकस्त दी थी. 1 जनवरी 1962 को खगड़िया जिले में जन्मे रामचंद्र पासवान की सियासी कर्मभूमि सही मायनों में समस्तीपुर ही रही. वर्तमान परिसीमन से पहले साल 1999 में वे जिले के रोसड़ा सुरक्षित सीट से सांसद चुने गए, 2004 में उन्होंने फिर जीत को दोहराया. हालांकि 2009 में उन्हें यह सीट गंवानी पड़ी, लेकिन नए परिसीमन में फिर वे समस्तीपुर सुरक्षित सीट पर 2014 और 2019 में अपनी जीत का परचम लहराने में कामयाब हुए.

samastipur
दिवंगत सांसद रामचंद्र पासवान (फाइल फोटो)

विरोधी दलों के साथ भी अच्छे रिश्ते
चौथी बार इस सीट पर बड़े अंतर से मिली इस जीत के जश्न में डूबे लोजपा नेता और कार्यकर्ताओं को 12 जुलाई को एक बुरी खबर ने झकझोर दिया. रामचंद्र पासवान को अचानक दिल का दौरा पड़ने की वजह से उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एडमिट किया गया था,जहां 21 जुलाई को उनका निधन हो गया. हंसमुख और मिलनसार रामचंद्र पासवान के इस सियासी सफर में उनका विरोधी दलों के साथ भी काफी अच्छा रिश्ता रहा. सियासी अदावत कभी आपसी व्यवहार पर हावी नहीं हुई. विपक्षी भी मानते हैं कि 2019 में उनसे एक सियासी साथी दूर हो गया.

समस्तीपुर सांसद पर ईटीवी भारत की विशेष रिपोर्ट

प्रिंस राज बने पार्टी के तारणहार
इन परिस्थितियों में पार्टी के लिए युवा नेता प्रिंस राज पासवान, पार्टी के बड़े तारणहार बनकर उभरे. रामचंद्र पासवान के असमय निधन से खाली हुई समस्तीपुर सुरक्षित लोकसभा सीट पर इस युवा नेता ने बड़ी सूझबूझ से पांचवीं बार लोजपा के इस गढ़ को बचाया. 2019 में हुए लोकसभा उपचुनाव में उन्होंने ना सिर्फ अपने विरोधियों को पटखनी दी बल्कि लोजपा में एक बड़े चेहरे के तौर पर भी उभरे. इस साल उनके सर से पिता का छाया छीन गया, वहीं इसी साल उनके सियासी भविष्य को एक अलग दिशा मिला. महज 24 वर्ष का यह युवा आज लोकसभा में समस्तीपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहा है. इसके साथ ही प्रिंस प्रदेश में पार्टी को मजबूती देने की कवायद में भी जुटे हैं. काफी कम उम्र में प्रिंस ने चुनौतियों का सामना करते हुए इस सियासी दंगल में खुद को मजबूत किया. विरोधी भी लोजपा के इस युवा नेता और समस्तीपुर के सांसद के कायल हैं.

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लोगों से बातचीत करते युवा सांसद प्रिंस राज पासवान

2019 में लोजपा को अलग अनुभव
कुल मिलाकर साल 2019 लोजपा को एक अलग अनुभव दे गया. रामचंद्र पासवान का अचानक चले जाना और पार्टी को प्रिंस के रुप में नया युवा चेहरा मिलना, पासवान और लोक जन शक्ति परिवार को हमेशा ही याद रहेगा.

पिता की कमी पूरी कर रहे प्रिंस, LJP के हो सकते हैं नए कद्दावर नेता

समस्तीपुर: लोक जन शक्ति पार्टी और पासवान परिवार साल 2019 को शायद कभी ना भूल सके. इस साल लोजपा ने रामचंद्र पासवान के रुप में अपने एक अहम नेता को खोया तो परिवार ने अपने प्यारे सदस्य को. वहीं इस नुकसान ने पार्टी को प्रिंस राज के रुप में एक मजबूत सहारा भी दिया, जिसके कंधों पर पार्टी की अहम जिम्मेदारी दी गई.

21 जुलाई 2019 को रामचंद्र पासवान का निधन
चार बार लोकसभा में जिले का प्रतिनिधित्व करने वाले सासंद रामचंद्र पासवान का निधन 21 जुलाई 2019 को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में हार्ट अटैक की वजह से हो गया. इसी साल उन्होंने चौथी बार लोकसभा के जंग में अपने विरोधी को बड़े मतों से शिकस्त दी थी. 1 जनवरी 1962 को खगड़िया जिले में जन्मे रामचंद्र पासवान की सियासी कर्मभूमि सही मायनों में समस्तीपुर ही रही. वर्तमान परिसीमन से पहले साल 1999 में वे जिले के रोसड़ा सुरक्षित सीट से सांसद चुने गए, 2004 में उन्होंने फिर जीत को दोहराया. हालांकि 2009 में उन्हें यह सीट गंवानी पड़ी, लेकिन नए परिसीमन में फिर वे समस्तीपुर सुरक्षित सीट पर 2014 और 2019 में अपनी जीत का परचम लहराने में कामयाब हुए.

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दिवंगत सांसद रामचंद्र पासवान (फाइल फोटो)

विरोधी दलों के साथ भी अच्छे रिश्ते
चौथी बार इस सीट पर बड़े अंतर से मिली इस जीत के जश्न में डूबे लोजपा नेता और कार्यकर्ताओं को 12 जुलाई को एक बुरी खबर ने झकझोर दिया. रामचंद्र पासवान को अचानक दिल का दौरा पड़ने की वजह से उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एडमिट किया गया था,जहां 21 जुलाई को उनका निधन हो गया. हंसमुख और मिलनसार रामचंद्र पासवान के इस सियासी सफर में उनका विरोधी दलों के साथ भी काफी अच्छा रिश्ता रहा. सियासी अदावत कभी आपसी व्यवहार पर हावी नहीं हुई. विपक्षी भी मानते हैं कि 2019 में उनसे एक सियासी साथी दूर हो गया.

समस्तीपुर सांसद पर ईटीवी भारत की विशेष रिपोर्ट

प्रिंस राज बने पार्टी के तारणहार
इन परिस्थितियों में पार्टी के लिए युवा नेता प्रिंस राज पासवान, पार्टी के बड़े तारणहार बनकर उभरे. रामचंद्र पासवान के असमय निधन से खाली हुई समस्तीपुर सुरक्षित लोकसभा सीट पर इस युवा नेता ने बड़ी सूझबूझ से पांचवीं बार लोजपा के इस गढ़ को बचाया. 2019 में हुए लोकसभा उपचुनाव में उन्होंने ना सिर्फ अपने विरोधियों को पटखनी दी बल्कि लोजपा में एक बड़े चेहरे के तौर पर भी उभरे. इस साल उनके सर से पिता का छाया छीन गया, वहीं इसी साल उनके सियासी भविष्य को एक अलग दिशा मिला. महज 24 वर्ष का यह युवा आज लोकसभा में समस्तीपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहा है. इसके साथ ही प्रिंस प्रदेश में पार्टी को मजबूती देने की कवायद में भी जुटे हैं. काफी कम उम्र में प्रिंस ने चुनौतियों का सामना करते हुए इस सियासी दंगल में खुद को मजबूत किया. विरोधी भी लोजपा के इस युवा नेता और समस्तीपुर के सांसद के कायल हैं.

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लोगों से बातचीत करते युवा सांसद प्रिंस राज पासवान

2019 में लोजपा को अलग अनुभव
कुल मिलाकर साल 2019 लोजपा को एक अलग अनुभव दे गया. रामचंद्र पासवान का अचानक चले जाना और पार्टी को प्रिंस के रुप में नया युवा चेहरा मिलना, पासवान और लोक जन शक्ति परिवार को हमेशा ही याद रहेगा.

Intro:साल 2019 कई कड़वी यादों के साथ हमसे विदा ले रहा । अगर जिले की बात की जाये तो , इस वर्ष जिले ने अपने सांसद व लोजपा ने अपने बड़े स्तंभ को खोया है । दरअसल चार बार लोकसभा में जिले का प्रतिनिधित्व करने वाले सासंद रामचंद्र पासवान का निधन इसी वर्ष जुलाई में , हार्ट अटैक के वजह से हो गया ।


Body:21 जुलाई 2019 , दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में समस्तीपुर लोकसभा के सांसद रामचंद्र पासवान ने आखरी सांसे ली । वैसे इसी वर्ष उन्होंने चौथी बार लोकसभा के जंग में अपने विरोधी को बड़े मतों से शिकस्त दिया था । 1 जनवरी 1962 को खगड़िया जिले में जन्मे रामचंद्र पासवान का सियासी कर्मभूमि सही मायनों में समस्तीपुर ही रहा । वर्तमान परिसीमन से पहले वर्ष 1999 में वे जिले के रोसड़ा सुरक्षित सीट से सांसद चुने गए । 2004 में उन्होंने फिर जीत को दोहराया , वैसे 2009 में उन्हें यह सीट गंवानी पड़ी । लेकिन नए परिसीमन में फिर वे समस्तीपुर सुरक्षित सीट पर 2014 व 2019 में अपने जीत का परचम लहराया । बाहरहाल चौथी बार इस सीट पर बड़े अंतर से मिले इस जीत के जश्न में डूबे लोजपा नेता व कार्यकर्ताओं को 12 जुलाई को एक बुरी खबर ने झकझोर दिया । दरअसल रामचंद्र पासवान को अचानक दिल का दौरा पड़ने की वजह से उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एडमिट किया गया था । जंहा 21 जुलाई को उनका निधन हो गया । बहरहाल यह साल तो जरूर विदा हो रहा , लेकिन लोजपा नेता व कार्यकर्ताओं के जेहन में इस साल से जुड़ी कड़वी यादें हमेशा याद रहेगा ।

बाईट - नीरज भारद्वाज , नेता , लोजपा ।

वीओ - हँसमुख व मिलनसार रामचंद्र पासवान के इस सियासी सफर में उनका विरोधी दलों के साथ भी काफी अच्छा रिश्ता रहा । सियासी अदावत कभी आपसी व्यवहार पर हावी नहीं हुआ , बरहाल विरोधी भी मानते हैं कि इस 2019 में उनसे एक सियासी साथी को दूर कर दिया ।

बाईट - राकेश ठाकुर , नेता , राजद ।


Conclusion:वैसे बदलते समय चक्र के साथ यह साल इतिहास जरूर बन जाएगा , लेकिन लोक जनशक्ति पार्टी के लिए इस वर्ष से जुड़ी कड़वी यादें हमेशा एक ताजे जख्म के तरह जरूर पीड़ा देगा ।

क्लोजिंग पीटीसी ।
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