समस्तीपुर: 2022 आने में महज 9 महीने बांकी है. पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी वादों में एक यह भी वायदा किया था कि 2022 तक देश के किसानों की आय दुगुणी हो जाएगी. इसके लिए केंद्र की तरफ से कई ऐसे योजानएं चालायी गयीं, जिनके बदौलत किसानों की तकदीर और उनके घर की तस्वीर बदली जा सके. पर उनके इन योजनाओं में से एक मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना प्रदेश के समस्तीपुर में धूल फांकती नजर आ रही है. जिसके बदौलत किसान अपने मिट्टी की उर्वरा क्षमता जान कर, उसके अनुरूप फसल लगा कर अपने दिन बहुतेरे कर सकें.
लक्ष्य 11 हजार, जांच 2978
इस योजना को लागू हुए पांच साल बीत गए लेकिन जिले में अभी तक यह योजना अधिकारियों के फाइलों में दब कर बस धूल फांक रही है. जिले में बीते वित्तीय वर्ष 2020-21 में मृदा जांच का लक्ष्य 11हजार के लगभग मिट्टी जांच संग्रह का लक्ष्य रखा गया था, जबकि महज 965 किसानों को ही मृदा स्वास्थ्य कार्ड अब तक दिया गया. वहीं, जिले में इस योजना के बाद कुल मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आंकड़ों को देखें तो , महज 2978 मिट्टी के नमूनों की जांच हुई है.
सरकारी उदासीनता और लापरवाही के चलते जिले में धड़ल्ले से किसान रसायनिक उर्वरकों का उपयोग कर रहे हैं. जिससे एक तरफ मिट्टी की उर्वरक क्षमता पर भी असर पड़ रहा है. तो वहीं, दूसरी और रसायनिक खादों से उपजे फल, सब्जी और अनाज लोगों के स्वास्थ्य पर खासे असर कर रहे हैं. वहीं, इस बाबत अधिकारी बात करने पर कन्नी काटते दिखे.
क्या है मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना-
मृदा स्वास्थ्य कार्ड के जरिये किसान अपने खेतों में उपलब्ध नाइट्रोजन, फॉस्फोरस , पोटाश जैसी कार्बनिक पदार्थ की मात्रा जान सकते हैं. जिससे वेबजह रसायनिक खादों के इस्तेमाल को रोका जा सकता है. मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 फरवरी, 2015 को राजस्थान के सूरतगढ़ में शुरू किया था. यह योजना देश के किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करने के लिए राज्य सरकारों को मदद देती है.
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