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सूखे ने उड़ाई किसानों की नींद, सरकारी फाइलों पर ही उग रही फसल

जिले में सिंचाई को लेकर सरकारी नलकूप के आंकड़े तो लगभग 254 के करीब हैं. लेकिन, सभी महज शो पीस बने हुए हैं. एक भी नलकूप काम के लायक नहीं बचा है.

परेशान किसान
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Published : Jun 9, 2019, 12:42 PM IST

Updated : Jun 9, 2019, 12:53 PM IST

समस्तीपुर: धरती का राजा किसान इन दिनों सूखे की चपेट में आने से परेशान है. जिले में खरीफ फसल को लेकर कृषि विभाग लंबी चौड़ी कार्य योजना बनाये बैठा है. लेकिन, मौसम की करवट नहीं लेने की वजह से फसल को काफी नुकसान हो रहा है. वहीं, कई जगह सरकारी नलकूप नहीं होने से फसलों को पानी तक नहीं मिल रहा है.

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सूखी नदी

जिले में बढ़ती गर्मी से जल स्तर काफी नीचे चला गया है, जिससे किसान अपने बूते ही खेतों की सिंचाई करने पर मजबूर हैं. किसान पानी के अभाव में ही धान का बिचड़ा गिरा रहे हैं. बारिश नहीं होने से किसान को फसलों को सींचने में परेशानी हो रही है. किसान खुद के पैसे से फसलों को बचाने में लगे हैं. ऐसे में सरकार की तरफ से किसी प्रकार की सहायता नहीं मिलने से किसानों की समस्या बढ़ती जा रही है.

किसानों की समस्या
किसानों की माने तो बारिश नहीं आने से उनकी चिन्ता सताई जा रही है. उनका कहना है कि बारिश नहीं होने की वजह से फसल को नुकसान हो रहा है. वहीं, यहां एक भी बोरिंग नहीं है. जिससे फसलों को सींचा जा सके. वहीं, दूसरे किसान ने बताया कि सूखा पड़ने से गन्ना का फसल नष्ट हो रहा है. जिस पोखर की सहायता से फसलों में पानी डालते थे. वह पोखर भी सूख चुका है. ऐसे में सारा काम छोड़कर घर पर दिन गुजर रहा है. उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि फसलों का नुकसान होने पर किसान तो खुदखुशी ही करेगा.

कृषि विभाग की तरफ से हो रही कोशिश
जिला के कृषि विभाग पदाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि बारिश के मौसम में किसानों को असुविधा हुई है. कृषि विभाग की तरफ से हर तरह की कोशिश की जा रही है. ताकि किसानों की समस्या को दूर किया जा सके. उन्होंने बताया कि गर्मी की वजह से पानी का स्तर नीचे चला गया है. जिससे बोरिंग से भी पानी नहीं आ रहा है. हालांकि, मौसम विभाग के अनुसार जून के बीच में बारिश की दस्तक देने की संभावना है.

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चंद्रशेखर सिंह, जिला कृषी पदाधिकारी

2019-20 की कार्य योजना
जिले में वित्तीय वर्ष 2019-20 में खरीफ फसल को लेकर जिला कृषि विभाग की कार्य योजना की बात करें तो 67 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य तय किया गया है. इसको लेकर जिले के सभी 20 प्रखंडों में 670 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा गिराने का लक्ष्य है. इसके अलावा अन्य खरीफ फसल, जैसे मक्के को लेकर 34 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया गया है. साथ ही दलहन व तेलहन की फसल लगभग 12 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित है. वहीं, इसके संसाधनों पर गौर करें तो प्रकृति किसानों से रूठी है. अन्नदाता पानी की एक-एक बूंद के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.

नलकूप बने शो पीस
जिले में सिंचाई को लेकर सरकारी नलकूप के आंकड़े तो लगभग 254 के करीब हैं. लेकिन, सभी महज शो पीस बने हुए हैं. एक भी नलकूप काम के लायक नहीं बचा है. वहीं, लगभग 37 हजार से ज्यादा निजी नलकूप हैं. जलस्तर नीचे चले जाने के कारण अधिकतर काम नहीं कर रहे हैं. कृषि विभाग ने अपनी लंबी चौड़ी कार्य योजना बना ली है. लेकिन, इसको पूरा करने में सक्षम होना किसानों की किस्मत पर निर्भर करता है.

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बारिश नहीं होने से किसान परेशान

इतनी हैं कृषि योग्य जमीनें
बता दें कि जिले में करीब 200724 हेक्टेयर कृषि योग्य जमीन हैं. लेकिन, सिंचाई के अभाव में सब बेकार होता जा रहा है. बीते दस वर्षों से बारिश अच्छी नहीं होने की वजह से जमीन बंजर हो रहा है. सरकारी व्यवस्थाएं भी दुरुस्त नहीं हो पाई हैं. गंगा, गंडक, बागमती, जमुआरी जैसी आधा दर्जन से ज्यादा बड़ी नदियां लगभग सूख चुकी हैं. प्रकृति ने किसानों की कमर तोड़ रखी है और सरकारी महकमा प्रकृति के भरोसे अपनी फाइलों पर ही फसल उगा रहा है.

समस्तीपुर: धरती का राजा किसान इन दिनों सूखे की चपेट में आने से परेशान है. जिले में खरीफ फसल को लेकर कृषि विभाग लंबी चौड़ी कार्य योजना बनाये बैठा है. लेकिन, मौसम की करवट नहीं लेने की वजह से फसल को काफी नुकसान हो रहा है. वहीं, कई जगह सरकारी नलकूप नहीं होने से फसलों को पानी तक नहीं मिल रहा है.

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सूखी नदी

जिले में बढ़ती गर्मी से जल स्तर काफी नीचे चला गया है, जिससे किसान अपने बूते ही खेतों की सिंचाई करने पर मजबूर हैं. किसान पानी के अभाव में ही धान का बिचड़ा गिरा रहे हैं. बारिश नहीं होने से किसान को फसलों को सींचने में परेशानी हो रही है. किसान खुद के पैसे से फसलों को बचाने में लगे हैं. ऐसे में सरकार की तरफ से किसी प्रकार की सहायता नहीं मिलने से किसानों की समस्या बढ़ती जा रही है.

किसानों की समस्या
किसानों की माने तो बारिश नहीं आने से उनकी चिन्ता सताई जा रही है. उनका कहना है कि बारिश नहीं होने की वजह से फसल को नुकसान हो रहा है. वहीं, यहां एक भी बोरिंग नहीं है. जिससे फसलों को सींचा जा सके. वहीं, दूसरे किसान ने बताया कि सूखा पड़ने से गन्ना का फसल नष्ट हो रहा है. जिस पोखर की सहायता से फसलों में पानी डालते थे. वह पोखर भी सूख चुका है. ऐसे में सारा काम छोड़कर घर पर दिन गुजर रहा है. उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि फसलों का नुकसान होने पर किसान तो खुदखुशी ही करेगा.

कृषि विभाग की तरफ से हो रही कोशिश
जिला के कृषि विभाग पदाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि बारिश के मौसम में किसानों को असुविधा हुई है. कृषि विभाग की तरफ से हर तरह की कोशिश की जा रही है. ताकि किसानों की समस्या को दूर किया जा सके. उन्होंने बताया कि गर्मी की वजह से पानी का स्तर नीचे चला गया है. जिससे बोरिंग से भी पानी नहीं आ रहा है. हालांकि, मौसम विभाग के अनुसार जून के बीच में बारिश की दस्तक देने की संभावना है.

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चंद्रशेखर सिंह, जिला कृषी पदाधिकारी

2019-20 की कार्य योजना
जिले में वित्तीय वर्ष 2019-20 में खरीफ फसल को लेकर जिला कृषि विभाग की कार्य योजना की बात करें तो 67 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य तय किया गया है. इसको लेकर जिले के सभी 20 प्रखंडों में 670 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा गिराने का लक्ष्य है. इसके अलावा अन्य खरीफ फसल, जैसे मक्के को लेकर 34 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया गया है. साथ ही दलहन व तेलहन की फसल लगभग 12 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित है. वहीं, इसके संसाधनों पर गौर करें तो प्रकृति किसानों से रूठी है. अन्नदाता पानी की एक-एक बूंद के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.

नलकूप बने शो पीस
जिले में सिंचाई को लेकर सरकारी नलकूप के आंकड़े तो लगभग 254 के करीब हैं. लेकिन, सभी महज शो पीस बने हुए हैं. एक भी नलकूप काम के लायक नहीं बचा है. वहीं, लगभग 37 हजार से ज्यादा निजी नलकूप हैं. जलस्तर नीचे चले जाने के कारण अधिकतर काम नहीं कर रहे हैं. कृषि विभाग ने अपनी लंबी चौड़ी कार्य योजना बना ली है. लेकिन, इसको पूरा करने में सक्षम होना किसानों की किस्मत पर निर्भर करता है.

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बारिश नहीं होने से किसान परेशान

इतनी हैं कृषि योग्य जमीनें
बता दें कि जिले में करीब 200724 हेक्टेयर कृषि योग्य जमीन हैं. लेकिन, सिंचाई के अभाव में सब बेकार होता जा रहा है. बीते दस वर्षों से बारिश अच्छी नहीं होने की वजह से जमीन बंजर हो रहा है. सरकारी व्यवस्थाएं भी दुरुस्त नहीं हो पाई हैं. गंगा, गंडक, बागमती, जमुआरी जैसी आधा दर्जन से ज्यादा बड़ी नदियां लगभग सूख चुकी हैं. प्रकृति ने किसानों की कमर तोड़ रखी है और सरकारी महकमा प्रकृति के भरोसे अपनी फाइलों पर ही फसल उगा रहा है.

Intro:जिले में खरीफ फसल को लेकर कृषि विभाग लंबी चौड़ी कार्ययोजना बनाये बैठा है, लेकिन वह भी मौसम के भरोसे। जिले में सरकारी नलकूप व्यवस्था पूरी तरह नकार है। जल स्तर नीचे चले जाने के कारण अपने बलबूते खेतों की सिंचाई करना किसानों के लिए एक बड़ी समस्या साबित हो रहा। सवाल पानी के अभाव में धान का बिचड़ा गिराना मुश्किल है तो, कैसे जिले में खरीफ को लेकर विभागीय लक्ष्य पूरा होगा। वाहिनी सवाल यह भी, क्या प्रकृति के साथ साथ इस बार किसानों पर सिस्टम भी कहर बरपायेगा।


Body:जिले में वित्तीय वर्ष2019-20 में खरीफ फसल को लेकर अगर जिला कृषि विभाग के कार्ययोजना पर गौर करें तो,67 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य तय किया गया है। वही इसको लेकर जिले के सभी 20 प्रखंडों में 670 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा गिराने का लक्ष्य है। यही नहीं अन्य खरीफ फसल, जैसे मक्के को लेकर 34 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया गया है। साथ ही दलहन व तेलहन को लेकर भी लगभग 12 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित है। लेकिन अब संसाधनों पर गौर करें तो, प्रकृति जिले में किसानों से रूठी है। बेचारे अन्नदाता पानी की एक-एक बूंद के लिए जद्दोजहद कर रहे । जिले में सिंचाई को लेकर सरकारी नलकूप के आंकड़े तो लगभग 254 के करीब है, लेकिन सब के सब बेकार है। वैसे लगभग 37 हजार से ज्यादा निजी नलकूप है, लेकिन जलस्तर नीचे चले जाने के कारण अधिकतर काम नहीं कर रहे। सवाल अगर सिंचाई की व्यवस्था नहीं तो किसान कैसे करेंगे खरीफ का फसल और कैसे पूरा होगा विभागीय लक्ष्य। वैसे जिला कृषि विभाग भी मौसम के भरोसे अपनी लंबी चौड़ी कार्ययोजना बनाये बैठा है।


बाईट- चंद्रशेखर सिंह ,जिला कृषि पदाधिकारी।



वीओ- वैसे तो जिले में करीब200724 हेक्टेयर कृषि योग्य जमीन है। लेकिन सिंचाई के अभाव में सब बेकार होते चले जा रहे। बारिश बीते दस वर्षों से दगा दे रहा, सरकारी व्यवस्थाओं का हाल बेहाल है। गंगा, गंडक ,बागमती, जमुआरी जैसे आधे दर्जन से ज्यादा बड़ी नदियां लगभग सूख चुकी है। जलस्तर का हाल बेहाल है। प्रकृति ने किसानों की कमर तोड़ रखी है, और यह सरकारी महकमा भी प्रकृति के भरोसे अपनी फाइलों पर फसल उगा रहा। किसानों का मानना है कि, जो कुछ फसल पहले से खेत में लगे हैं उसे बचाना तो मुश्किल है अब खरीफ का क्या सोचे।


बाईट- किसान।


Conclusion:सवाल कई है, क्या सिस्टम भी प्रकृति के भरोसे किसानों को छोड़ दिया है। अगर नहीं तो, क्यों नहीं पूरी तरह ठप पड़े नलकूपों को सुधारा जा रहा। यही नहीं लगभग 116 विभिन्न सिंचाई परियोजना का जिले में कोई अतापता नहीं। लेकिन जिला कृषि विभाग है कि, मौसम के भरोसे खरीफ का सिर्फ लक्ष्य तय कर निश्चिंत बैठा है।


अमित कुमार की रिपोर्ट।
Last Updated : Jun 9, 2019, 12:53 PM IST
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