समस्तीपुर: जिले में 300 से अधिक कोचिंग सरकारी मानकों को धता बताते हुए अपना कारोबार चला रहे हैं. अब इसे विभागीय उदासीनता समझिए या फिर कोई सांठगांठ. शिक्षा विभाग भी इसे लेकर अंजान है. हालांकि जिला शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारी यह दावा जरूर कर रहे हैं कि गलती पाये जाने पर इन कोचिंग संस्थानों पर कार्रवाई होगी.
आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में लगभग 300 से अधिक छोटे बड़े कोचिंग बिना किसी रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं. कुछ रजिस्टर्ड भी हैं तो वहां विभागीय नियमों को लेकर कोई गंभीरता नहीं है. सवाल है कि राज्य में बिहार कोचिंग संस्थान नियंत्रण विनिमय अधिनियम 2010 के तहत सभी कोचिंग संस्थानों को अपना रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. यही नहीं इस अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड संस्थान को लेकर भी मानक बने हैं.
कुकुरमुत्तों की तरफ फैले हैं कोचिंग संस्थान
शहर के काशीपुर, प्रोफेसर कॉलोनी, ताजपुर रोड, बंगाली टोला आदि क्षेत्रों में कुकुरमुत्तों की तरह कोचिंग संस्थान दिख जायेंगे. जहां पढ़ाई से ज्यादा बच्चों का आर्थिक व मानसिक शोषण हो रहा है. इस बारे में जिला शिक्षा पदाधिकारी सत्येंद्र झा ने कहा कि इसे लेकर आंकड़े अभी स्पष्ट नहीं हैं. वहीं डीईओ ने कहा कि नियम को गंभीरता से लागू किया जायेगा.
1 फीसदी कोचिंग का भी नहीं हुआ है रजिस्ट्रेशन
गौरतलब है कि कोचिंग को लेकर सरकार के अधिनियम को लगभग सात वर्ष बीतने को हैं, लेकिन जिले में 1 फीसदी भी कोचिंग संस्थानों का रजिस्ट्रेशन इस आधार पर नहीं हुआ है.