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समस्तीपुर: बिना रजिस्ट्रेशन के 300 से अधिक कोचिंग का हो रहा संचालन

कोचिंग को लेकर सरकार के अधिनियम को लगभग सात वर्ष बीतने को हैं, लेकिन जिले में 1 फीसदी भी कोचिंग संस्थानों का रजिस्ट्रेशन इस आधार पर नहीं हुआ है.

कोचिंग संस्थान
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Published : May 13, 2019, 8:02 AM IST

समस्तीपुर: जिले में 300 से अधिक कोचिंग सरकारी मानकों को धता बताते हुए अपना कारोबार चला रहे हैं. अब इसे विभागीय उदासीनता समझिए या फिर कोई सांठगांठ. शिक्षा विभाग भी इसे लेकर अंजान है. हालांकि जिला शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारी यह दावा जरूर कर रहे हैं कि गलती पाये जाने पर इन कोचिंग संस्थानों पर कार्रवाई होगी.

आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में लगभग 300 से अधिक छोटे बड़े कोचिंग बिना किसी रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं. कुछ रजिस्टर्ड भी हैं तो वहां विभागीय नियमों को लेकर कोई गंभीरता नहीं है. सवाल है कि राज्य में बिहार कोचिंग संस्थान नियंत्रण विनिमय अधिनियम 2010 के तहत सभी कोचिंग संस्थानों को अपना रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. यही नहीं इस अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड संस्थान को लेकर भी मानक बने हैं.

जानकारी देते समस्तीपुर डीईओ

कुकुरमुत्तों की तरफ फैले हैं कोचिंग संस्थान

शहर के काशीपुर, प्रोफेसर कॉलोनी, ताजपुर रोड, बंगाली टोला आदि क्षेत्रों में कुकुरमुत्तों की तरह कोचिंग संस्थान दिख जायेंगे. जहां पढ़ाई से ज्यादा बच्चों का आर्थिक व मानसिक शोषण हो रहा है. इस बारे में जिला शिक्षा पदाधिकारी सत्येंद्र झा ने कहा कि इसे लेकर आंकड़े अभी स्पष्ट नहीं हैं. वहीं डीईओ ने कहा कि नियम को गंभीरता से लागू किया जायेगा.

1 फीसदी कोचिंग का भी नहीं हुआ है रजिस्ट्रेशन
गौरतलब है कि कोचिंग को लेकर सरकार के अधिनियम को लगभग सात वर्ष बीतने को हैं, लेकिन जिले में 1 फीसदी भी कोचिंग संस्थानों का रजिस्ट्रेशन इस आधार पर नहीं हुआ है.

समस्तीपुर: जिले में 300 से अधिक कोचिंग सरकारी मानकों को धता बताते हुए अपना कारोबार चला रहे हैं. अब इसे विभागीय उदासीनता समझिए या फिर कोई सांठगांठ. शिक्षा विभाग भी इसे लेकर अंजान है. हालांकि जिला शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारी यह दावा जरूर कर रहे हैं कि गलती पाये जाने पर इन कोचिंग संस्थानों पर कार्रवाई होगी.

आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में लगभग 300 से अधिक छोटे बड़े कोचिंग बिना किसी रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं. कुछ रजिस्टर्ड भी हैं तो वहां विभागीय नियमों को लेकर कोई गंभीरता नहीं है. सवाल है कि राज्य में बिहार कोचिंग संस्थान नियंत्रण विनिमय अधिनियम 2010 के तहत सभी कोचिंग संस्थानों को अपना रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. यही नहीं इस अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड संस्थान को लेकर भी मानक बने हैं.

जानकारी देते समस्तीपुर डीईओ

कुकुरमुत्तों की तरफ फैले हैं कोचिंग संस्थान

शहर के काशीपुर, प्रोफेसर कॉलोनी, ताजपुर रोड, बंगाली टोला आदि क्षेत्रों में कुकुरमुत्तों की तरह कोचिंग संस्थान दिख जायेंगे. जहां पढ़ाई से ज्यादा बच्चों का आर्थिक व मानसिक शोषण हो रहा है. इस बारे में जिला शिक्षा पदाधिकारी सत्येंद्र झा ने कहा कि इसे लेकर आंकड़े अभी स्पष्ट नहीं हैं. वहीं डीईओ ने कहा कि नियम को गंभीरता से लागू किया जायेगा.

1 फीसदी कोचिंग का भी नहीं हुआ है रजिस्ट्रेशन
गौरतलब है कि कोचिंग को लेकर सरकार के अधिनियम को लगभग सात वर्ष बीतने को हैं, लेकिन जिले में 1 फीसदी भी कोचिंग संस्थानों का रजिस्ट्रेशन इस आधार पर नहीं हुआ है.

Intro:जिले में कोचिंग का काला खेल चल रहा । एक आंकड़ो के अनुसार 300 से अधिक कोचिंग सरकार के मानकों को धत्ता बताते हुए अपना कारोबार चला रहे है । अब इसे विभागीय उदासीनता समझिए या फिर कोई साँठगाँठ , विभाग भी इसको लेकर अंजान बैठा है । वैसे अब जिला शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारी यह जरूर दावा कर रहे है की , अगर गलत होंगे तो कार्यवाही होगी ।


Body:जिले में पहले ही नियम के उलट प्राइवेट स्कूल का खेल विभाग के ऊपर पसवाल खड़े कर रहा । वंही अब कोचिंग का काला खेल भी यंहा पूरी तरह से परवान पर है । अगर आंकड़ो पर गौर करे तो जिले में लगभग 300 से अधिक छोटे बड़े कोचिंग बिना कोई रजिस्ट्रेशन के चल रहे । वंही अगर कुछ रजिस्टर्ड है भी तो , वँहा विभागीय नियमों को लेकर कोई गंभीरता नही । सवाल है की बिहार में , बिहार कोचिंग संस्थान नियंत्रण बिनिमय अधिनियम 2010 के तहत सभी कोचिंग संस्थानों को अपना रजिस्ट्रेशन करवाना है । यही नही इस अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड संस्थान को लेकर मानक भी बने है । लेकिन जिले में इस कानून का न कोचिंग संस्थान को खौफ है और न विभाग को इससे कोई मतलब । जिले के सुदूर इलाकों को तो छोड़ दे , अगर जिला मुख्यालय में ही गौर करे तो , शहर के काशीपुर , प्रोफेसर कॉलोनी , ताजपुर रोड , बंगाली टोला आदि क्षेत्रों में आपको कुकुरमुत्तों की तरह कोचिंग संस्थान दिख जायेंगे । जंहा पढ़ाई से ज्यादा बच्चों का आर्थिक व मानसिक शोषण हो रहा । छोटे छोटे कमरों में भेड़ बकरी के तरह छात्रों को कोचिंग कराया जा रहा । वैसे इस मामले पर जिला शिक्षा पदाधिकारी सत्येंद्र झा खुद उलझे नजर आए । दरअसल विभाग के पास यह आंकड़े भी साफ नही है की , कितने कोचिंग जिले में रजिस्टर्ड है और कितने कोचिंग नियम को ताख पर रख अपना एक तरह से कारोबार चला रहे । वैसे डीईओ ने यह जरूर कहा की , नियम को गंभीरता से अब पालन होगा वंही रजिस्टर्ड कोचिंग अगर नियमों के प्रति गंभीर नही होंगे तो , उनका रजिस्ट्रेशन भी कैंसिल हो सकता है ।

बाईट - सतेंद्र झा , डीईओ , समस्तीपुर ।


Conclusion:गौरतलब है की कोचिंग को लेकर सरकार के अधिनियम का लगभग सात वर्ष बीतने को है , लेकिन जिले में 1 फीसदी भी कोचिंग संस्थानों का रजिस्ट्रेशन इसके आधार पर नही हुआ । जब रजिस्ट्रेशन ही नही तो सरकार के नियमों से इन्हें क्या लेना देना । वंही विभाग है की , सब चलता है के सोच पर अपना डयूटी निभा रहा ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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