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समस्तीपुर: यातायात नियमों को लेकर लापरवाही का नतीजा, इस साल अब तक 200 लोगों ने गंवाई जान - सड़क हादसे में मरने वालों की कुल संख्या

जिले में दिन-प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाओं का मामला बढ़ता ही जा रहा है. प्रशासन की लापरवाही के कारण 11 महीनों के अंदर लगभग 200 लोगों ने अपनी जान गंवाई है.

200 लोगों की मौत
200 लोगों की मौत
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Published : Dec 30, 2020, 2:22 PM IST

समस्तीपुर: जिले में यातायात नियमों को लेकर लापरवाही और विभागीय उदासीनता के कारण सड़क पर मौतों की संख्या बढ़ रही है. यदि बीते 11 महीने के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां 238 से ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं में करीब 200 लोगों की जान गई है.

सड़कों पर सुरक्षित यातायात को लेकर चाहे जितने भी नियम प्रभावी हों, लेकिन धरताल पर इसका एक फीसदी भी अमल होता नहीं दिख रहा है. इसका नतीजा रोज तेज रफ्तार और अनट्रेंड ड्राइविंग की वजहों से न जाने कितने लोगों की जान जा रही है. सड़क दुर्घटना से जुड़े बीते 11 महीनों के आंकड़ों पर गौर करें तो जनवरी से नवंबर के बीच करीब 238 सड़क दुर्घटनाओं में 200 लोगों की जान गई है. इसके साथ ही करीब 50 से 60 लोग ऐसे हैं जो दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए हैं.

देखें रिपोर्ट

परिवहन विभाग जिम्मेदारियों से झाड़ रहा पल्ला
बहरहाल इन दुर्घटनाओं के पीछे लोगों के ऊपर जवाबदेही थोप जिला परिवहन विभाग खुद की जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते है. यह सही है कि यातायात नियमों को लेकर लापरवाही सड़क दुर्घटना के पीछे मुख्य वजह है. वहीं सवाल यह उठता है कि क्या परिवहन विभाग नियमों को लेकर गंभीर है. बगैर प्रशिक्षण टू व्हीलर से लेकर हैवी गाड़ियों के ड्राइविंग लाईसेंस का खेल किसी से छुपा नहीं है.
ऑनलाइन लाइसेंस बनाते समय किसी का जांच नहीं किया जा रहा है. कुछ रुपये देकर ट्रक वालों का लाइसेंस बन जा रहा है. प्रशासन दुर्घटना का इंतजार करता है, जिससे उन्हें फायदा हो सके. -उमाशंकर मिश्र, नेता, लोजपा

परिवहन विभाग का होना होगा गंभीर
बहरहाल सड़को पर बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए यह जरूरी हो गया है की सभी लोग यातायात के नियमों के प्रति गंभीर हो. वहीं कागजों पर नियमों का लकीर खींचने वाले परिवहन विभाग को भी इसके लिए गंभीर होना होगा .

जांच के नाम पर खानापूर्ति
सड़कों पर जुगाड़बाजी से दौड़ रहे अवैध वाहन, गाड़ियों के फिटनेस सर्टिफिकेट में लापरवाही के साथ ही सड़कों पर यातायात नियमों को लेकर तैनात पुलिसकर्मियों का जांच के नाम पर खानापूर्ति हो रहा है. बहरहाल सड़को पर बढ़ रहे दुर्घटनाओं को देखते हुए सत्तापक्ष हो या फिर विपक्ष दोनों की उंगली डीटीओ कार्यालय के नाकामियों के तरफ ही उठ रहा है. इस बढ़ते सड़क दुर्घटना को लेकर जिला परिवहन पदाधिकारी ने कहा कि,

'सड़के सिकुड़ती जा रही है. इसके साथ ही गाड़ियों का बोझ बढ़ता जा रहा है. जिले में प्रत्येक महीने औसतन 10 हजार बाइक और करीब 150 फोर व्हीलर का रजिस्ट्रेशन हो रहा है. लोग गाड़ियां जरूर ले रहे लेकिन सड़कों पर यातायात के नियमों में लापरवाही के वजहों सड़क दुर्घटना बढ़ी है.' -राजेश कुमार, डीटीओ

समस्तीपुर: जिले में यातायात नियमों को लेकर लापरवाही और विभागीय उदासीनता के कारण सड़क पर मौतों की संख्या बढ़ रही है. यदि बीते 11 महीने के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां 238 से ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं में करीब 200 लोगों की जान गई है.

सड़कों पर सुरक्षित यातायात को लेकर चाहे जितने भी नियम प्रभावी हों, लेकिन धरताल पर इसका एक फीसदी भी अमल होता नहीं दिख रहा है. इसका नतीजा रोज तेज रफ्तार और अनट्रेंड ड्राइविंग की वजहों से न जाने कितने लोगों की जान जा रही है. सड़क दुर्घटना से जुड़े बीते 11 महीनों के आंकड़ों पर गौर करें तो जनवरी से नवंबर के बीच करीब 238 सड़क दुर्घटनाओं में 200 लोगों की जान गई है. इसके साथ ही करीब 50 से 60 लोग ऐसे हैं जो दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए हैं.

देखें रिपोर्ट

परिवहन विभाग जिम्मेदारियों से झाड़ रहा पल्ला
बहरहाल इन दुर्घटनाओं के पीछे लोगों के ऊपर जवाबदेही थोप जिला परिवहन विभाग खुद की जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते है. यह सही है कि यातायात नियमों को लेकर लापरवाही सड़क दुर्घटना के पीछे मुख्य वजह है. वहीं सवाल यह उठता है कि क्या परिवहन विभाग नियमों को लेकर गंभीर है. बगैर प्रशिक्षण टू व्हीलर से लेकर हैवी गाड़ियों के ड्राइविंग लाईसेंस का खेल किसी से छुपा नहीं है.
ऑनलाइन लाइसेंस बनाते समय किसी का जांच नहीं किया जा रहा है. कुछ रुपये देकर ट्रक वालों का लाइसेंस बन जा रहा है. प्रशासन दुर्घटना का इंतजार करता है, जिससे उन्हें फायदा हो सके. -उमाशंकर मिश्र, नेता, लोजपा

परिवहन विभाग का होना होगा गंभीर
बहरहाल सड़को पर बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए यह जरूरी हो गया है की सभी लोग यातायात के नियमों के प्रति गंभीर हो. वहीं कागजों पर नियमों का लकीर खींचने वाले परिवहन विभाग को भी इसके लिए गंभीर होना होगा .

जांच के नाम पर खानापूर्ति
सड़कों पर जुगाड़बाजी से दौड़ रहे अवैध वाहन, गाड़ियों के फिटनेस सर्टिफिकेट में लापरवाही के साथ ही सड़कों पर यातायात नियमों को लेकर तैनात पुलिसकर्मियों का जांच के नाम पर खानापूर्ति हो रहा है. बहरहाल सड़को पर बढ़ रहे दुर्घटनाओं को देखते हुए सत्तापक्ष हो या फिर विपक्ष दोनों की उंगली डीटीओ कार्यालय के नाकामियों के तरफ ही उठ रहा है. इस बढ़ते सड़क दुर्घटना को लेकर जिला परिवहन पदाधिकारी ने कहा कि,

'सड़के सिकुड़ती जा रही है. इसके साथ ही गाड़ियों का बोझ बढ़ता जा रहा है. जिले में प्रत्येक महीने औसतन 10 हजार बाइक और करीब 150 फोर व्हीलर का रजिस्ट्रेशन हो रहा है. लोग गाड़ियां जरूर ले रहे लेकिन सड़कों पर यातायात के नियमों में लापरवाही के वजहों सड़क दुर्घटना बढ़ी है.' -राजेश कुमार, डीटीओ

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