सहरसा : बिहार के बाढ़ग्रस्त इलाके में (flood affected area in Saharsa) एक गांव से दूसरे गांव जाने के लिए लोगों का एकमात्र सहारा नाव है. सहरसा में लोग जान जोखिम में डालकर उस नाव पर सफर करते हैं. कई बार तो नाव दुर्घटनाग्रस्त भी हो चुकी है. न जाने कितने लोगों की जान नाव दुर्घटना में गई है लेकिन जो व्यवस्था उन जगहों पर होनी चाहिए, वह नहीं दिख रही है.
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लोग वर्षों से पुल और सड़क की मांग कर रहे हैं लेकिन उन लोगों की मांगे अब तक पूरी नहीं हो सकी हैं. यह तस्वीर सहरसा जिले के महीर्षि प्रखंड के घोघसम घाट की है जहां प्रतिदिन सैकड़ों लोग नाव पर जान जोखिम में डालकर एक गांव से दूसरे गांव जाते हैं. कहा जाता है कि अगर कोई बीमार पड़ जाए तो इसी तरह नाव पर लादकर उसे अस्पताल लाया जाता है. कई लोगों की जान बीच नदी में ही जा चुकी है. ऐसे में नाव पर सवार लोगों ने अपना दुख बयां किया है. उन्होंने बताया कि हम लोगों को देखने वाला कोई नहीं है, सिर्फ चुनाव के समय में जनप्रतिनिधि वोट मांगने के लिए आते हैं लेकिन चुनाव जीत जाने के बाद सारी समस्या भूल जाते हैं.
लोगों ने बताया कि प्रतिदिन जिल्लत की जिंदगी हम लोग जीते हैं. जब बाढ़ का समय आता है तब मुसीबतें और बढ़ जाती हैं. घर से निकलना दुश्वार हो जाता है. सरकार कान में तेल डाल कर सोई हुई है. प्रशासन की व्यवस्था इस इलाके में नहीं दिख रही है. अब देखना होगा कि आखिरकार सरकार और प्रशासन की नींद कब तक खुलती है और कब बाढ़ प्रभावित इलाकों में सुविधा मुहैया कराई जाती है.
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