सहरसा: बिहार के सहरसा में आए दिनों हजारों रेलयात्री रेलवे स्टेशन पर शुद्ध पेयजल की व्यवस्था (Passengers upset due to non availability of drinking water) नहीं होने से परेशान है. पर्व त्योहारों को लेकर एक तरफ यात्री दूर-दूर से अपने घर पहुंच रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ रेलवे स्टेशन पर बुनियादी सुविधाओं के अभाव से यात्रियों में निराशा है. स्टेशन पर शुद्ध पेयजल की व्यवस्था न होने के कारण लोग पैसे देकर पानी खरीदने को मजबूर है.
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यात्रियों के प्रति लापरवाह रेलवे विभाग : इन दिनों रेल यात्रियों की अत्यधिक भीड़ को देखकर रेलवे विभाग उत्साहित है. रोजाना हजारों यात्रियों के यात्रा करने से रेलवे को लाखों का राजस्व मिल रहा है. जिसके कारण रेलवे नई नई ट्रेन चला रही है. त्योहारों में रेल यात्रियों की सुविधा के लिए प्रतिदिन नई दिल्ली, अंबाला, अमृतसर, पंजाब सहित अन्य जगहों के लिए अतिरिक्त पूजा स्पेशल ट्रेन का परिचालन कर रही है. वहीं दूसरी तरफ स्थानीय रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर यात्री को दी जाने वाली सुविधा के प्रति पूरी तरह लापरवाह बनी हुई है. यात्रियों को स्टेशन पर शुद्ध पानी तक नसीब नहीं हो रहा है.
शुद्ध पानी ना मिलने से यात्री परेशान: स्थानीय रेलवे जंक्शन पर रेल यात्रियों को शुद्ध पानी पीने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. उन्हें 20 रुपया प्रति लीटर पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है. रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर न तो एक भी चापाकल लगा हुआ है और न ही शुद्ध पेयजल की कोई अतिरिक्त व्यवस्था ही की गई है. स्थानीय रेलवे स्टेशन पर कुल 5 प्लेटफार्म संचालित हो रहे हैं. जिसमें प्लेटफार्म नंबर-1 पर 2 रुपए शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के दो स्टाल बने हुए थे. वहीं प्लेटफार्म नंबर-2 पर भी शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए तीन स्टॉल कार्यरत थे. जबकि प्लेटफार्म नंबर-3 पर एक स्टॉल कार्यरत था. लेकिन कोरोना संक्रमण से पूर्व सभी स्टॉलों का अनुबंध खत्म हो गया. वही रेलवे स्टेशन पर प्लेटफार्म नंबर 1 से लेकर 5 तक कई जगहों पर नलके लगाए गए हैं. लेकिन आयरन की अधिक मात्रा होने के कारण वो पीने लायक नहीं है.
रेलवे विभाग ने चापाकल हटाने को लेकर निकाला था फरमान: रेलवे विभाग ने एक तुगलकी फरमान जारी किया था. जिसके तहत रेलवे स्टेशन के सभी प्लेटफार्म से चापाकल को हटा दिया गया. स्थानीय रेलवे स्टेशन के विभिन्न प्लेटफार्म पर अवस्थित चापाकल को भी हटा दिया गया है. ऐसे में पांच प्लेटफार्म में से किसी भी प्लेटफार्म पर कोई चापाकल नहीं है. जिसके कारण रेल यात्रियों को शुद्ध पानी पीने के लिए या तो स्टेशन से बाहर चापाकल की तलाश करनी पड़ती है या बोतल बंद पानी पीना पड़ता है.
"छठ खत्म हो गया है. वे लोग दिहारी मजदूरी करने के लिए अमृतसर जा रहे हैं. सहरसा रेलवे स्टेशन पर पानी का आभाव है. यहां नलके से निकलने वाला पानी पीने में अच्छा नहीं लगता है. चापाकल नहीं है. रेलवे विभाग लापरवाही बरत रहा है".- दिलेश्वर पासवान, रेलयात्री
"रेलवे भाड़ा में बढ़ोतरी कर दिया है लेकिन स्टेशन पर सुविधा का अभाव है. पहले 2 रुपए लीटर का शुद्ध पानी मिलता था. अब 20 रुपए में एक बोतल पानी खरीदना पड़ता है. रेलवे को 2 रुपए लीटर पानी के स्टॉल को चालू करना चाहिए. यह गरीब के लिए बहुत अच्छा था".- दीपक शर्मा, रेलयात्री
"शुद्ध पानी पीने के स्टॉल का लाइसेंस खत्म हो गया था। रिनुअल की प्रक्रिया हो रही है। जल्द ही फिर से शुद्ध पानी का स्टॉल शुरू कर दिया जाएगा".- वीरेंद्र कुमार, मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी, हाजीपुर जोन
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