सहरसा: बिहार के सहरसा में पटना से राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर भेजी गई तीन सदस्यीय कायाकल्प की टीम शुक्रवार को सदर अस्पताल पहुंची थी. कायाकल्प की टीम ने रविवार को दूसरे दिन भी सदर अस्पताल सहरसा का निरीक्षण ( kayakalp team inspected Saharsa Sadar Hospital) किया. इस दौरान अस्पताल में लगे अग्निशमन यंत्र को एक्सपायर्ड पाया. इस टीम में राज्य स्वास्थ्य समिति के डॉ राजीव कुमार झा, स्टेट यूनिसेफ के तुषारकांत उपाध्याय सहित अन्य अधिकारी शामिल थे.
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एक साल में रिफिल कराना होता है अग्निशमन सिलेंडरः कायाकल्प टीम ने सदर अस्पताल स्थित ओपीडी, दवा काउंटर, अस्पताल परिसर, एसएनसीयू , लेबर रूम, प्रसूति वार्ड, महिला सर्जिकल वार्ड, एनसीडी, डेंटल क्लीनिक, दवा भंडार कक्ष सहित अन्य वार्डों का निरीक्षण किया. टीम के निरीक्षण के दौरान एसएनसीयू में लगे अग्निशमन संयंत्र की रिफिलिंग की तारीख को देख सभी सकते में आ गए. सभी सिलेंडर पुराना था. लगभग सभी सिलेंडर पर रिफिलिंग की तारीख वर्ष 2017 या वर्ष 2018 अंकित थी. इसकी फिर से रिफिलिंग नहीं कराई गई थी. अग्निशमन विभाग के अनुसार किसी भी अग्निशमन यंत्र के सिलेंडर में भरे केमिकल की लाइफ मात्र एक साल ही होती है.
एक साल के बाद जम जाता है केमिकलः एक साल के दौरान सिलेंडर का इस्तेमाल नहीं हुआ तो सिलेंडर के अंदर का केमिकल जम जाता है. इससे आग पर काबू नहीं किया जा सकता है. यानी यंत्र पूरी तरह फेल्योर हो जाएगी. सूत्रों की माने तो सदर अस्पताल में लगाया गया सभी अग्निशमन यंत्र निजी कंपनी से लिया गया है. जिसे वर्षों से रिफिलिंग भी नहीं किया गया है. ऐसे में जांच टीम ने अस्पताल प्रबंधन को कई सुझाव दिए.गौरतलब हो कि बीते दिनों अग्निशमन विभाग द्वारा भी सदर अस्पताल के सभी यंत्र की जांच की गई थी. इसमें भी यंत्र के बेकार होने की बातें कही गई थी. इस कारण अग्निशमन विभाग द्वारा एनओसी नहीं दिया गया है.
स्टोर इंचार्ज मिले गायब : वहीं टीम ने जब दवा भंडार की जांच की तो वहां से स्टोर इंचार्ज फार्मासिस्ट पंकज मंडल गायब मिले. कायाकल्प की टीम ने जांच में क्या पाया, इससे संबंधित सवाल पूछे जाने पर टीम के सदस्यों ने कुछ भी बताने से साफ इंकार कर दिया. टीम ने कहा कि जांच में जो भी अच्छाई या समस्या दिखी है. उसकी रिपोर्ट विभाग को सौंपी जाएगी.