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सहरसा: जलस्तर घटने से स्पर और स्टर्ड के कटने का बढ़ा खतरा, खौफ के साये में जी रहे ग्रामीण

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Published : Jul 27, 2019, 12:02 AM IST

कोसी नदी में अचानक जलस्तर बढ़ने के बाद तटबंध के बीच बसे गांव बाढ़ की चपेट में आ गए थे. अब उन गांवों के जलस्तर के घटने के साथ ही स्परों, स्टर्ड जो तटबंध पर बने है. उन पर भी खतरा मंडराने लगा है. जिससे बांध टूटने के डर से लोग रातभर जागने को विवश हैं.

सहरसा तटबंध

सहरसा: बिहार के अधिकांश जिलों में बाढ़ ने तबाही मचा रखी है. सहरसा के बहुत से प्रखंड अभी भी बाढ़ की चपेट में है. कोसी नदी में अचानक जलस्तर बढ़ने के बाद तटबंध के बीच बसे गांव बाढ़ की चपेट में आ गए थे. अब उन गांवों के जलस्तर के घटने के साथ ही स्परों, स्टर्ड जो तटबंध पर बने है. उन पर भी खतरा मंडराने लगा है.
स्परों और स्टर्ड पर खतरा
कोसी नदी के जलस्तर घटने से स्परों और स्टर्ड के बिंदुओं पर खतरा मंडराने लगा है. इससे आसपास रहने वाले गांव के लोगों की नींद हराम हो गयी है. बांध टूटने के खौफ से लोग रातभर जागने को विवश हैं. वहीं, महीनों पहले कटाव निरोधी कार्य कर विभाग निश्चिन्त हो गया है. बता दें कि स्परों और स्टर्ड तटबंधों पर बनाया जाता है. जिससे तटबंध सुरक्षित रहता है.

सहरसा में तटबंध टूटने से डर
क्या कह रहे हैं गांव वालेकोशी नदी के किनारे रहने वाले ग्रामीण बताते हैं कि सारी रात सो नहीं पाते हैं. नदी में काफी करंट है. हमेशा मन मे डर लग रहता है कि कब क्या हो जायेगा. स्पर पर काफी दबाब है. तटबंध भी सुरक्षित नहीं है. कहीं कोई सरकारी काम नहीं हो रहा है. कभी भी बांध टूट सकता है.वरीय उपसमाहर्ता ने बतायास्परों और स्टर्ड पर खतरा के सवाल पर वरीय उपसमाहर्ता धीरेंद्र झा ने बताया कि जो भी खतरनाक बिंदु है. वहां निगरानी बरती जा रही है. तटबंध पूरी तरह से सुरक्षित है. डरने वाली बात नहीं है. बहरहाल, कोशी नदी के घटते बढ़ते जलस्तर कब कयामत ला दे यह कहना मुश्किल है. ऐसे में उन नाजुक बिंदुओं पर बरती जा रही लापरवाही एक गंभीर मामला है. जरूरत है ऐसे जगहों पर पूर्ण मुस्तैदी की वरना न सिर्फ कटाव से परेशानी बढ़ेगी बल्कि स्परों और स्टर्ड को भी क्षति पहुंचेगी और इससे तटबंध पर भी खतरा मंडराने लगेगा.

सहरसा: बिहार के अधिकांश जिलों में बाढ़ ने तबाही मचा रखी है. सहरसा के बहुत से प्रखंड अभी भी बाढ़ की चपेट में है. कोसी नदी में अचानक जलस्तर बढ़ने के बाद तटबंध के बीच बसे गांव बाढ़ की चपेट में आ गए थे. अब उन गांवों के जलस्तर के घटने के साथ ही स्परों, स्टर्ड जो तटबंध पर बने है. उन पर भी खतरा मंडराने लगा है.
स्परों और स्टर्ड पर खतरा
कोसी नदी के जलस्तर घटने से स्परों और स्टर्ड के बिंदुओं पर खतरा मंडराने लगा है. इससे आसपास रहने वाले गांव के लोगों की नींद हराम हो गयी है. बांध टूटने के खौफ से लोग रातभर जागने को विवश हैं. वहीं, महीनों पहले कटाव निरोधी कार्य कर विभाग निश्चिन्त हो गया है. बता दें कि स्परों और स्टर्ड तटबंधों पर बनाया जाता है. जिससे तटबंध सुरक्षित रहता है.

सहरसा में तटबंध टूटने से डर
क्या कह रहे हैं गांव वालेकोशी नदी के किनारे रहने वाले ग्रामीण बताते हैं कि सारी रात सो नहीं पाते हैं. नदी में काफी करंट है. हमेशा मन मे डर लग रहता है कि कब क्या हो जायेगा. स्पर पर काफी दबाब है. तटबंध भी सुरक्षित नहीं है. कहीं कोई सरकारी काम नहीं हो रहा है. कभी भी बांध टूट सकता है.वरीय उपसमाहर्ता ने बतायास्परों और स्टर्ड पर खतरा के सवाल पर वरीय उपसमाहर्ता धीरेंद्र झा ने बताया कि जो भी खतरनाक बिंदु है. वहां निगरानी बरती जा रही है. तटबंध पूरी तरह से सुरक्षित है. डरने वाली बात नहीं है. बहरहाल, कोशी नदी के घटते बढ़ते जलस्तर कब कयामत ला दे यह कहना मुश्किल है. ऐसे में उन नाजुक बिंदुओं पर बरती जा रही लापरवाही एक गंभीर मामला है. जरूरत है ऐसे जगहों पर पूर्ण मुस्तैदी की वरना न सिर्फ कटाव से परेशानी बढ़ेगी बल्कि स्परों और स्टर्ड को भी क्षति पहुंचेगी और इससे तटबंध पर भी खतरा मंडराने लगेगा.
Intro:सहरसा...कोशी का अचानक जलस्तर बढ़ने के बाद जहां तटबंध के बीच बसे के गाँव बाढ़ के चपेट में आ गए थे,वही अब जलस्तर के घटने के साथ ही स्परों, स्टर्ड के साथ तटबंध के खतरनाक बिंदुओं पर खतरा मंडराने लगा है फलस्वरूप उस खतरनाक बिंदुओं के आसपास रहने वाले गाँव के लोगों की नींदे हराम हो गयी है।बाँध टूटने के खौफ से लोग रतजगा करने को विवश है।वही महीनों पूर्व कटाव निरोधी कार्य कर विभाग निश्चिन्त हो गया है।पेश है एक रिपोर्ट...


Body:दरअसल नेपाल व आसपास हुई बारिश से अचानक कोशी का जलस्तर अचानक से बढ़ गया था,जिससे कोशी तटबंध के अंदर बसे दर्जनों पंचायत के लोग बाढ़ के चपेट में आ गए थे।वही अब जलस्तर घटने के बाद तटबंध के कई खतरनाक बिंदुओं पर नदी का दबाब बढ़ गया था।जिससे कई स्पर, स्टर्ड के साथ तटबंध पर भी खतरा बढ़ गया है।कोशी नदी के किनारे रहने वाले ग्रामीण बताते है कि सारी रात सो नही पाते है,नदी में काफी करंट है हमेशा मन मे डर लग रहता है कि कब क्या हो जायेगा।स्पर पर काफी दबाब है तटबंध भी सुरक्षित नही है।कही कोई सरकारी काम नही हो रहा है कभी भी बाँध टूट सकता है।रात भर नींद नही आती है।वही तटबंध की सुरक्षा को लेकर जब वरीय उपसमाहर्ता धीरेंद्र झा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जो भी खतरनाक बिंदु है वहाँ निगरानी बरती जा रही है,तटबंध पूरी तरह से सुरक्षित है डरने वाली बात नही है।


Conclusion:बहरहाल कोशी नदी के घटते बढ़ते जलस्तर कब कयामत ला दे यह कहना मुश्किल है।ऐसे में उन नाजुक बिंदुओं पर बरती जा रही लापरवाही एक गंभीर मामला है,जरूरत है ऐसे स्थलों पर पूर्ण मुस्तैदी की वरना न सिर्फ कटाव से परेशानी बढ़ेगी,बल्कि स्परों,व स्टर्ड को क्षति पहुँचने से तटबंध पर भी खतरा मंडराने लगेगी।
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