रोहतास: रूस-यूक्रेन जंग (Russia Ukraine War) के बीच यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों का आना जारी है. यूक्रेन के लवीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी (Lviv National Medical University of Ukraine) में 6 साल की एमबीबीएस कोर्स कर रही छात्रा याशिता रूस और यूक्रेन बमबारी के बीच अपने शहर रोहतास लौट तो जरूर आई है, लेकिन आज भी वह दहशत में है. लवीव शहर से 28 किलोमीटर दूर पोलैंड के बॉर्डर पर वह किसी तरह पहुंची और शेल्टर होम में रात गुजारने के बाद फ्लाइट से दिल्ली पहुंची. फिर परिजनों से संपर्क कर घर पहुंची है. डालमियानगर के न्यू सिधौली की रहने वाली यशिता वहां के खौफनाक मंजर को याद कर अब भी कांप उठती हैं.
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'यूक्रेन में स्थिति बेहद गंभीर': 'लवीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में 6000 छात्र पढ़ाई करते हैं. काफी संख्या में छात्र-छात्राएं पिछले 1 सप्ताह से एक बंकर में छुपकर अपने आप को बचाते हुए आज भी फंसे हुए हैं. उन्हें ना भोजन मिल रहा है और ना ही पानी. स्थिति दिन पर दिन खराब होती जा रही है. चारों तरफ से गोला-बारूद और सायरन की आवाज गूंज रही हैं. कभी भी छात्रों को इसकी चपेट में आने की संभावना बनी रहती है.' - याशिता यूक्रेन से लौटी छात्रा
'यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई सस्ती': 'यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई सस्ती होने के कारण हम लोगों ने उसे वहां पढ़ाई करने के लिए भेजा था. लेकिन जंग के कारण बहन को डॉक्टर बनाने का सपना अब पूरा होता नहीं दिख रहा है. ऐसे में भारत सरकार से अपील करता हूं कि किसी तरह अच्छे मेडिकल कालेज में दाखिला हो जाए तो उनकी बहन का डॉक्टर बनने का सपना पूरा हो सकेगा.' - यश प्रताप सिंह, यूक्रेन से लौटी छात्रा यशिता के भाई
यशिता के माता-पिता और भाई उसके लौट आने से खुश तो जरूर हैं पर उसके करियर को लेकर उनकी चिंता बढ़ती जा रही है. गौरतलब है कि सरकार यूक्रेन में फंसे छात्रों की लाने की कवायद तेज कर दी है. इसीके तहत यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने रविवार को युद्धग्रस्त देश में फंसे अपने नागरिकों से एक पंजीकरण फॉर्म भरने को कहा, जिसमें उनकी लोकेशन और कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां हों, जो उन्हें निकालने में मदद कर सकें. दूतावास ने कहा कि भारतीय दूतावास कीव, यूक्रेन में फंसे सभी भारतीय नागरिकों से अनुरोध करता है, जो अभी तक अपने संबंधित पते से प्रस्थान नहीं कर सके हैं और तत्काल वहां से निकलना चाहते हैं, वो तत्काल इस फॉर्म को भरें.
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