रोहतास: आमतौर हिन्दू धर्म में प्रथा है कि बेटे ही अपने पिता को मुखाग्नि देते हैं और पुरूष ही शव का अंतिम संस्कार (Funeral) करते हैं. रोहतास में एक महिला ने अपने बड़े पिता की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार करने की रस्म निभाकर एक मिसाल पेश किया है. जोकि आसपास में चर्चा का विषय बना हुआ. इस संस्कार को लेकर अब लोग कह रहे हैं कि इस महिला ने उन लोगों की सोच काे बदलने का एक प्रयास किया है जो बेटियों की अपेक्षा बेटों को तवज्जों देते हैं।
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बता दें कि डालमियानगर की रहने वाली सीमा कुमारी जोकि पेशे से शिक्षिका हैं. उन्होंने बताया कि उनके बड़े पिता कामता सिंह जोकि अविवाहित थे और विकलांग थे. उनकी मौत होने पर परिजन उन्हें अंतिम संस्कार के लिए घाट पर ले गये. जब मुखाग्नि देने की बात आयी तो मैने कहा कि हमने अपने बड़े पिता की जिंदगी भर सेवा की है. ऐसे में मुखाग्नि देने का अधिकार भी मेरा है.
समाज में आज भी महिलाओं को लेकर कई तरह की भ्रांतियां सामने आती है. कुछ लोग अभी भी महिलाओं के साथ सौतेला व्यवहार करते हैं. तमाम तरह की भ्रंतियों को पीछे छोड़ते हुए सीमा कुमारी ने महिलाओं के लिए समाज में एक उदाहरण पेश किया है.
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वहीं, इस मामले में स्थानीय समाजसेवी डब्बू सिंह ने कहा कि आज महिलाओं ने यह साबित कर दिया कि वो किसी तरह से पीछे नहीं है. इससे समाज में एक अनुकरणीय संदेश जाएगा.