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रोहतासः लाखों के उपकरण के बावजूद प्रयोगशाला की हालत बदतर, कैसे सीखेंगे बच्चे?

गौरतलब, है कि सरकार एक तरफ जहां हाई स्कूलों में स्मार्ट क्लास का उद्घाटन कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ हाई स्कूलों में आज भी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. शिक्षकों की कमी से आए दिन बच्चे यूं ही बिना पढ़े वापस घर लौट जाते हैं.

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Published : Dec 15, 2019, 12:43 PM IST

रोहतासः बिहार में शिक्षा का स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है. ताजा मामला रोहतास जिले के करगहर प्रखंड के खानेठी उत्क्रमित हाई स्कूल का है. जहां शिक्षकों का अभाव होने के कारण प्रयोगशाला की पढ़ाई नहीं होती. लाखों रुपये खर्च कर प्रयोगशाला के लिए उपकरण मंगाये गये थे. लेकिन अभी तक उसका उपयोग नहीं किया जा सका है.

गौरतलब, है कि सरकार एक तरफ जहां हाई स्कूलों में स्मार्ट क्लास का उद्घाटन कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ हाई स्कूलों में आज भी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. शिक्षकों की कमी से आए दिन बच्चे यूं ही बिना पढ़े ही वापस घर लौट जाते हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

प्रयोगशाला के लिए मंगाये गये उपकरण
जिले के करगहर प्रखंड के खानेठी उत्क्रमित हाई स्कूल में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. जहां लाखों रुपए खर्च कर प्रयोगशाला के लिए उपकरण मंगाये गये. लेकिन आलम यह है की शिक्षकों के अभाव में अब तक प्रयोगशाला की पढ़ाई शुरू नहीं हुई. ऐसे में सवाल उठना लाजमी हो गया है कि बिना प्रयोगशाला किए छात्रों को कैसे नंबर मिल जाता है.

यह भी पढ़ेः लालू यादव से पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह ने की मुलाकात

शिक्षकों की कमी
इस बारे में जब हाई स्कूल के प्रिंसिपल से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि 3 सौ बच्चे पर महज 2 टीचर है. ऐसे में पूरी क्लास भी ले पाना असंभव हो जाता है, तो ऐसे में प्रयोगशाला का क्लास लेना कहां से संभव है. शिक्षकों की कमी होने की वजह से ही साइंस और मैथ के टीचर आर्ट्स सब्जेक्ट को भी पढ़ाने का काम करते हैं.

बिना प्रयोगशाला के ही पास हो जाते हैं बच्चे
आपको बता दें कि करोड़ों रुपया खर्च कर सरकारी स्कूलों में प्रयोगशाला को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए सरकार ने फंड भी मुहैया कराया है. लेकिन शिक्षकों की कमी होने की वजह से स्कूल में पर्याप्त मात्रा में उपकरण होने के बावजूद प्रयोगशाला को सुचारू ढंग से नहीं चालू किया जा सका है. ऐसे में बच्चे हाई स्कूल एग्जाम बिना प्रयोगशाला की ही पास कर जाते हैं. वहीं, अधिकारी भी इस पर कोई सख्त रूप नहीं अपनाते है. अधिकारियों के इस रवैया से बच्चों के भविष्य से भी खिलवाड़ हो रहा है.

रोहतासः बिहार में शिक्षा का स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है. ताजा मामला रोहतास जिले के करगहर प्रखंड के खानेठी उत्क्रमित हाई स्कूल का है. जहां शिक्षकों का अभाव होने के कारण प्रयोगशाला की पढ़ाई नहीं होती. लाखों रुपये खर्च कर प्रयोगशाला के लिए उपकरण मंगाये गये थे. लेकिन अभी तक उसका उपयोग नहीं किया जा सका है.

गौरतलब, है कि सरकार एक तरफ जहां हाई स्कूलों में स्मार्ट क्लास का उद्घाटन कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ हाई स्कूलों में आज भी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. शिक्षकों की कमी से आए दिन बच्चे यूं ही बिना पढ़े ही वापस घर लौट जाते हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

प्रयोगशाला के लिए मंगाये गये उपकरण
जिले के करगहर प्रखंड के खानेठी उत्क्रमित हाई स्कूल में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. जहां लाखों रुपए खर्च कर प्रयोगशाला के लिए उपकरण मंगाये गये. लेकिन आलम यह है की शिक्षकों के अभाव में अब तक प्रयोगशाला की पढ़ाई शुरू नहीं हुई. ऐसे में सवाल उठना लाजमी हो गया है कि बिना प्रयोगशाला किए छात्रों को कैसे नंबर मिल जाता है.

यह भी पढ़ेः लालू यादव से पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह ने की मुलाकात

शिक्षकों की कमी
इस बारे में जब हाई स्कूल के प्रिंसिपल से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि 3 सौ बच्चे पर महज 2 टीचर है. ऐसे में पूरी क्लास भी ले पाना असंभव हो जाता है, तो ऐसे में प्रयोगशाला का क्लास लेना कहां से संभव है. शिक्षकों की कमी होने की वजह से ही साइंस और मैथ के टीचर आर्ट्स सब्जेक्ट को भी पढ़ाने का काम करते हैं.

बिना प्रयोगशाला के ही पास हो जाते हैं बच्चे
आपको बता दें कि करोड़ों रुपया खर्च कर सरकारी स्कूलों में प्रयोगशाला को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए सरकार ने फंड भी मुहैया कराया है. लेकिन शिक्षकों की कमी होने की वजह से स्कूल में पर्याप्त मात्रा में उपकरण होने के बावजूद प्रयोगशाला को सुचारू ढंग से नहीं चालू किया जा सका है. ऐसे में बच्चे हाई स्कूल एग्जाम बिना प्रयोगशाला की ही पास कर जाते हैं. वहीं, अधिकारी भी इस पर कोई सख्त रूप नहीं अपनाते है. अधिकारियों के इस रवैया से बच्चों के भविष्य से भी खिलवाड़ हो रहा है.

Intro:रोहतास. बिहार में शिक्षा का स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है. ताजा मामला रोहतास जिले के करगहर प्रखंड के खानेठी उत्क्रमित हाई स्कूल का है।


Body:गौरतलब है कि सरकार एक तरफ जहां हाई स्कूलों में स्मार्ट क्लास इसका उद्घाटन कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ हाई स्कूलों में आज भी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। शिक्षकों की कमी से आए दिन बच्चे यूं ही बिना पढ़े ही वापिस घर लौट जाते हैं। कुछ ऐसा ही नजारा जिले के करगहर प्रखंड के खानेठी उत्क्रमित हाई स्कूल का है। जहां लाखों रुपए खर्च कर प्रयोगशाला के लिए उपकरण मंगाया गया। लेकिन बदनसीबी का आलम यह है की शिक्षकों के अभाव में अब तक प्रयोगशाला की पढ़ाई शुरू नहीं की जा सकी है। जाहिर है ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि बिना प्रयोगशाला किए छात्रों को कैसे नंबर मिल जाता है। वही इस बारे में जब हाई स्कूल के प्रिंसिपल से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि 300 बच्चे पर महज 2 टीचर है। ऐसे में पूरी क्लास भी ले पाना असंभव हो जाता है तो ऐसे में प्रयोगशाला का क्लास लेना कहां से संभव है। उन्होंने बताया कि शिक्षकों की कमी होने की वजह से ही साइंस और मैथ के टीचर आर्ट्स सब्जेक्ट को भी पढ़ाने का काम करते हैं। आपको बता दें कि करोड़ों रुपया खर्च कर सरकारी स्कूलों में प्रयोगशाला को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए सरकार ने फंड भी मुहैया कराया। लेकिन शिक्षकों की कमी होने की वजह से स्कूल में पर्याप्त मात्रा में उपकरण होने के बावजूद प्रयोगशाला को सुचारू ढंग से नहीं चालू किया जा सका है। ऐसे में बच्चे हाई स्कूल एग्जाम बिना प्रयोगशाला की ही पास कर जाते हैं। वही अधिकारी भी इस पर कोई सख्त रूप नहीं अपनाते है। जाहिर है अधिकारी के ढुलमुल रवैया से बच्चों के भविष्य पर ग्रहण लग रहा है।


Conclusion:जाहिर है शिक्षा विभाग के अधिकारी को चाहिए कि ऐसे स्कूलों की मॉनिटरिंग कर जल्द से जल्द वहां पर शिक्षकों की व्यवस्था की जाए और प्रयोगशाला को सुचारू ढंग से चलाने का काम किया जाए। ताकि बच्चों को तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ प्रयोगशाला का भी ज्ञान दिया जा सके।


बाइट। डीईओ प्रेमचंद रोहतास

पीटूसी
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