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रोहतास: खोखला साबित हो रहा सरकार का दावा, बच्चों को नहीं मिल रहा है मिड डे मील

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Published : Oct 18, 2019, 2:46 PM IST

सुशासन बाबू के राज में बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं. उन्हें मध्यान भोजन भी नहीं दिया जा रहा है. प्रिंसिपल साहब के फरमान से सैकड़ों बच्चों को मध्यान्ह भोजन से वंचित होना पड़ता है.

बच्चों को नहीं मिल रहा है मिड डे मील

रोहतास: शिक्षा के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च करने का सरकारी दावा खोखला साबित हो रहा है. इसकी बानगी दिखी जिले के करगहर प्रखंड के पिपरा मध्य विद्यालय में. जहां बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ाया जा रहा है. इतना ही नहीं, यहां बच्चों के लिये मीड डे मील की भी व्यवस्था नहीं है.

नितीश बाबू के सरकारी स्कूल में इन दिनों कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. यहां शिक्षक बच्चों के साथ नाइंसाफी करते हैं. मध्यान भोजन के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा किया जाता है. लेकिन इस स्कूल में प्रिंसिपल साहब के फरमान से सैकड़ों बच्चों को मध्यान्ह भोजन से वंचित होना पड़ता है.

rohtas
जमीन पर बैठकर पढ़ रहे बच्चे

खोखला साबित हो रहा सरकार का दावा
इतना ही नहीं, स्कूल में बेंच और डेस्क रहने के बावजूद भी बच्चों को जमीन पर बैठा दिया जाता है. लेकिन इसका अफसोस न तो स्कूल प्रशासन को है और ना ही शिक्षा विभाग के आला अधिकारी को. ऐसे में शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा महज खोखला साबित हो रहा है. सरकार के नुमाइंदे ही बच्चों की हकमारी करने पर लगे हैं.

रिपोर्ट देखिये

मामले की होगी जांच
ईटीवी भारत की टीम ने जब पिपरा मध्य विद्यालय की पड़ताल की तो मध्यान्ह भोजन की असलियत सामने आई. मामले पर जब जिला शिक्षा पदाधिकारी से बात की गी तो उन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए स्कूल से रिपोर्ट मांगी जिसमें यह बात सामने आई कि स्कूल प्रशासन द्वारा मध्यान भोजन में लापरवाही बरती जा रही है. डीईओ प्रेमचंद ने कहा कि मामले की जांच होगी. जो भी दोषी होंगे उनपर कार्रवाई की जाएगी.

रोहतास: शिक्षा के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च करने का सरकारी दावा खोखला साबित हो रहा है. इसकी बानगी दिखी जिले के करगहर प्रखंड के पिपरा मध्य विद्यालय में. जहां बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ाया जा रहा है. इतना ही नहीं, यहां बच्चों के लिये मीड डे मील की भी व्यवस्था नहीं है.

नितीश बाबू के सरकारी स्कूल में इन दिनों कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. यहां शिक्षक बच्चों के साथ नाइंसाफी करते हैं. मध्यान भोजन के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा किया जाता है. लेकिन इस स्कूल में प्रिंसिपल साहब के फरमान से सैकड़ों बच्चों को मध्यान्ह भोजन से वंचित होना पड़ता है.

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जमीन पर बैठकर पढ़ रहे बच्चे

खोखला साबित हो रहा सरकार का दावा
इतना ही नहीं, स्कूल में बेंच और डेस्क रहने के बावजूद भी बच्चों को जमीन पर बैठा दिया जाता है. लेकिन इसका अफसोस न तो स्कूल प्रशासन को है और ना ही शिक्षा विभाग के आला अधिकारी को. ऐसे में शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा महज खोखला साबित हो रहा है. सरकार के नुमाइंदे ही बच्चों की हकमारी करने पर लगे हैं.

रिपोर्ट देखिये

मामले की होगी जांच
ईटीवी भारत की टीम ने जब पिपरा मध्य विद्यालय की पड़ताल की तो मध्यान्ह भोजन की असलियत सामने आई. मामले पर जब जिला शिक्षा पदाधिकारी से बात की गी तो उन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए स्कूल से रिपोर्ट मांगी जिसमें यह बात सामने आई कि स्कूल प्रशासन द्वारा मध्यान भोजन में लापरवाही बरती जा रही है. डीईओ प्रेमचंद ने कहा कि मामले की जांच होगी. जो भी दोषी होंगे उनपर कार्रवाई की जाएगी.

Intro:रोहतास. जिले जिले के करगहर प्रखंड के मदन राय पिपरा गांव के मध्य विद्यालय में स्कूल प्रशासन के द्वारा लापरवाही एक बार फिर से देखने को मिली है.


Body:गौरतलब है कि सरकार शिक्षा के नाम पर करोड़ों खर्च करने का दावा करती है। लेकिन यह दावा कितना सच है इसकी जमीनी तस्वीर से रूबरू कराने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने करगहर प्रखंड के पिपरा मध्य विद्यालय स्कूल का पड़ताल किया। जिसमें लापरवाही सामने देखने को मिली। नितीश बाबू का सरकारी स्कूल इन दिनों कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। सुशासन बाबू के शिक्षा के मंदिर में बच्चों के साथ होती है नाइंसाफी। क्योंकि बच्चों के निवाले पर शिक्षकों की होती है काली नजर। कुछ ऐसा ही मामला जिले के करगहर प्रखंड के मदन राय पिपरा मध्य विद्यालय का है। जहां शिक्षक बच्चों के साथ नाइंसाफी करते हैं। मध्यान भोजन के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा किया जाता है। लेकिन इस स्कूल में प्रिंसिपल साहब के फरमान से सैकड़ों बच्चों को मध्यान्ह भोजन से वंचित हो जाना पड़ता है। क्योंकि प्रिंसिपल साहब ने इस स्कूल में मध्यान्ह भोजन ही नहीं बनवाया था। इतना ही नहीं स्कूल में बेंच और डेस्क रहने के बावजूद बच्चों को जमीन पर बैठा दिया जाता है। लेकिन इसका अफसोस न तो स्कूल प्रशासन को है और ना ही शिक्षा विभाग के आला अधिकारी को है। शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए का बजट खर्च करने का दावा महज खोखला साबित हो रहा है। क्योंकि सरकार के नुमाइंदे ही बच्चों की हकमारी करने पर लगे हैं। लिहाजा ईटीवी की पड़ताल में जब मध्यान भोजन की असलियत सामने आई तो इसकी जानकारी लेने के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी से सवाल किया गया। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने फौरन इस पर कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट मांगी। जिसमें यह बात सामने आई कि स्कूल प्रशासन के द्वारा मध्यान्ह भोजन में लापरवाही बरती जा रही है। बहरहाल इस मामले के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी दोषियों के खिलाफ कब करवाई करते हैं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।


Conclusion:बहरहाल जिस तरह से लगातार शिक्षा के नाम पर स्कूल प्रशासन के द्वारा लूट खसोट मचाया जा रहा है। उससे बच्चों की हक लमारी होना लाजमी है। लेकिन ऐसे शिक्षकों विभाग को कार्रवाई करना उचित नहीं लगता।

बाइट। डीईओ प्रेमचंद
बाइट। प्रभारी स्कूल
पीटीसी
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