रोहतास: रोहतास जिले को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां सैकड़ों राइस मिलें हैं, जिनके जरिए लाखों मजदूरों का परिवार चलता है. लेकिन सरकार की तरफ से कई राइस मिलों को बंद कर दिया गया है. इस कारण कई मजदूर बेरोजगार हो गए हैं.
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दरअसल, कोरोना महामारी के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान भारी संख्या में बाहर काम करने वाले प्रवासी मजदूर अपने गृह जिला पहुंचे हैं. ऐसे में अब उन्हें अपने घरों में ही रहकर रोजी-रोटी की तलाश है. लेकिन यहां कई मिलों के बंद हो जाने के कारण इन मजदूरों के सामने परिवार को पालने के साथ-साथ कई परेशानियां उत्पन्न हो गई हैं.
राइस मिल चालू होने से मिलेगा रोजगार
इन मजदूरों का कहना है कि अगर बंद राइस मिलों को चालू कर दिया जाए तो हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूरों को अपने घरों में ही रोजगार मिल सकता है. इससे कई मजदूरों के घरों का चूल्हा जलेगा और उनके परिवार में खुशियां लौट आएंगी.
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वहीं, राइस मिल के मालिक ने बताया कि सरकार की गलत नीतियों के कारण पिछले कई सालों से राइस मिल बंद है. अगर सरकार चाहे तो बंद पड़े इन राइस मिलों को चालू करा सकती है. इससे कई लोगों को रोजगार मिल सकता है और बाहर से लौटे प्रवासी मजदूरों के बेरोजगारी की समस्या भी खत्म हो जाएगी.
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800 में से लगभग 200 मिलें बंद
सासाराम के बैजला स्थित राइस मिल के मालिक ने बताया कि जिले में 800 के आसपाल मिलें है. जिनमें से लगभग 200 के करीब मिलें पूरी तरह से बंद पड़ी हैं. वहीं, कुछ मिलें लॉकडाउन के दौरान ठप हो गई, बाकि जो बची मिलें है उनमें गिने चुने मजदूर काम कर रहे हैं.
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इधर, राइस मिल में काम करने वाले एक मजदूर ने बताया कि लॉकडाउन के कारण रोजगाप पूरी तरह से छीन गया है, बड़ी उम्मीद वे अपने गृह जिला आए थे. लेकिन यहां भी उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है. मजदूर ने बताया कि जिले में कुछ मिलें ही खुली है, उनमें भी काम नहीं हो रहा है.
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मजदूरों के सामने कई परेशानी
बता दें कि एक राइस मिल पर तकरीबन 30 से 35 मजदूर काम करते हैं, जिन्हें महीने का पगार 15 हजार के करीब दिया जाता है. लेकिन लॉकडाउन के कारण मिले बंद है इसलिए कमाई का जरिया भी बंद है. कहीं-कहीं के 24 घंटे काम करने के बावजूद भी मजदूरों को पैसे नहीं मिल रहा है. मजदूरों ने सरकार से गुहार लगाई है कि उन्हें जल्द से जल्द रोजगार मुहैया कराए ताकि उनके परिवार का पालन पोषण हो सके.
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बहरहाल, देखना होगा कि सरकार इन मजदूरों के लिए क्या सुविधाएं उपलब्ध करा रही है. हालांकि राज्य में मनरेगा के तहत मजदूरों को काम दिया जा रहा है. लेकिन कितने मजदूर इससे लाभांवित हो रहे हैं, ये देखने वाली बात होगी.
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