ETV Bharat / state

'धान का कटोरा' कहे जाने वाले रोहतास में बेरोजगार हैं मजदूर, राइस मिल बंद होने से बढ़ी परेशानी

रोहतास जिले में कई राइस मिल बंद हैं, इस कारण वहां रह रहे मजदूरों को काफी परेशानी हो रही है. इन मजदूरों के सामने अपने परिवार को पालने की एक बड़ी समस्या है.

rohtas
rohtas
author img

By

Published : Jun 20, 2020, 2:27 PM IST

रोहतास: रोहतास जिले को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां सैकड़ों राइस मिलें हैं, जिनके जरिए लाखों मजदूरों का परिवार चलता है. लेकिन सरकार की तरफ से कई राइस मिलों को बंद कर दिया गया है. इस कारण कई मजदूर बेरोजगार हो गए हैं.

rohtas
सामान हो रहे बर्बाद

दरअसल, कोरोना महामारी के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान भारी संख्या में बाहर काम करने वाले प्रवासी मजदूर अपने गृह जिला पहुंचे हैं. ऐसे में अब उन्हें अपने घरों में ही रहकर रोजी-रोटी की तलाश है. लेकिन यहां कई मिलों के बंद हो जाने के कारण इन मजदूरों के सामने परिवार को पालने के साथ-साथ कई परेशानियां उत्पन्न हो गई हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

राइस मिल चालू होने से मिलेगा रोजगार
इन मजदूरों का कहना है कि अगर बंद राइस मिलों को चालू कर दिया जाए तो हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूरों को अपने घरों में ही रोजगार मिल सकता है. इससे कई मजदूरों के घरों का चूल्हा जलेगा और उनके परिवार में खुशियां लौट आएंगी.

rohtas
मिलों की खस्ता हालत

वहीं, राइस मिल के मालिक ने बताया कि सरकार की गलत नीतियों के कारण पिछले कई सालों से राइस मिल बंद है. अगर सरकार चाहे तो बंद पड़े इन राइस मिलों को चालू करा सकती है. इससे कई लोगों को रोजगार मिल सकता है और बाहर से लौटे प्रवासी मजदूरों के बेरोजगारी की समस्या भी खत्म हो जाएगी.

rohtas
मशीनें हो रही खराब

800 में से लगभग 200 मिलें बंद
सासाराम के बैजला स्थित राइस मिल के मालिक ने बताया कि जिले में 800 के आसपाल मिलें है. जिनमें से लगभग 200 के करीब मिलें पूरी तरह से बंद पड़ी हैं. वहीं, कुछ मिलें लॉकडाउन के दौरान ठप हो गई, बाकि जो बची मिलें है उनमें गिने चुने मजदूर काम कर रहे हैं.

rohtas
800 में से लगभग 200 मिलें बंद

इधर, राइस मिल में काम करने वाले एक मजदूर ने बताया कि लॉकडाउन के कारण रोजगाप पूरी तरह से छीन गया है, बड़ी उम्मीद वे अपने गृह जिला आए थे. लेकिन यहां भी उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है. मजदूर ने बताया कि जिले में कुछ मिलें ही खुली है, उनमें भी काम नहीं हो रहा है.

rohtas
मिलों में नहीं हो रहा काम

मजदूरों के सामने कई परेशानी
बता दें कि एक राइस मिल पर तकरीबन 30 से 35 मजदूर काम करते हैं, जिन्हें महीने का पगार 15 हजार के करीब दिया जाता है. लेकिन लॉकडाउन के कारण मिले बंद है इसलिए कमाई का जरिया भी बंद है. कहीं-कहीं के 24 घंटे काम करने के बावजूद भी मजदूरों को पैसे नहीं मिल रहा है. मजदूरों ने सरकार से गुहार लगाई है कि उन्हें जल्द से जल्द रोजगार मुहैया कराए ताकि उनके परिवार का पालन पोषण हो सके.

rohtas
बंद पड़ी राइस मिल

बहरहाल, देखना होगा कि सरकार इन मजदूरों के लिए क्या सुविधाएं उपलब्ध करा रही है. हालांकि राज्य में मनरेगा के तहत मजदूरों को काम दिया जा रहा है. लेकिन कितने मजदूर इससे लाभांवित हो रहे हैं, ये देखने वाली बात होगी.

rohtas
बदहास स्थिति में राइस मिल

रोहतास: रोहतास जिले को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां सैकड़ों राइस मिलें हैं, जिनके जरिए लाखों मजदूरों का परिवार चलता है. लेकिन सरकार की तरफ से कई राइस मिलों को बंद कर दिया गया है. इस कारण कई मजदूर बेरोजगार हो गए हैं.

rohtas
सामान हो रहे बर्बाद

दरअसल, कोरोना महामारी के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान भारी संख्या में बाहर काम करने वाले प्रवासी मजदूर अपने गृह जिला पहुंचे हैं. ऐसे में अब उन्हें अपने घरों में ही रहकर रोजी-रोटी की तलाश है. लेकिन यहां कई मिलों के बंद हो जाने के कारण इन मजदूरों के सामने परिवार को पालने के साथ-साथ कई परेशानियां उत्पन्न हो गई हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

राइस मिल चालू होने से मिलेगा रोजगार
इन मजदूरों का कहना है कि अगर बंद राइस मिलों को चालू कर दिया जाए तो हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूरों को अपने घरों में ही रोजगार मिल सकता है. इससे कई मजदूरों के घरों का चूल्हा जलेगा और उनके परिवार में खुशियां लौट आएंगी.

rohtas
मिलों की खस्ता हालत

वहीं, राइस मिल के मालिक ने बताया कि सरकार की गलत नीतियों के कारण पिछले कई सालों से राइस मिल बंद है. अगर सरकार चाहे तो बंद पड़े इन राइस मिलों को चालू करा सकती है. इससे कई लोगों को रोजगार मिल सकता है और बाहर से लौटे प्रवासी मजदूरों के बेरोजगारी की समस्या भी खत्म हो जाएगी.

rohtas
मशीनें हो रही खराब

800 में से लगभग 200 मिलें बंद
सासाराम के बैजला स्थित राइस मिल के मालिक ने बताया कि जिले में 800 के आसपाल मिलें है. जिनमें से लगभग 200 के करीब मिलें पूरी तरह से बंद पड़ी हैं. वहीं, कुछ मिलें लॉकडाउन के दौरान ठप हो गई, बाकि जो बची मिलें है उनमें गिने चुने मजदूर काम कर रहे हैं.

rohtas
800 में से लगभग 200 मिलें बंद

इधर, राइस मिल में काम करने वाले एक मजदूर ने बताया कि लॉकडाउन के कारण रोजगाप पूरी तरह से छीन गया है, बड़ी उम्मीद वे अपने गृह जिला आए थे. लेकिन यहां भी उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है. मजदूर ने बताया कि जिले में कुछ मिलें ही खुली है, उनमें भी काम नहीं हो रहा है.

rohtas
मिलों में नहीं हो रहा काम

मजदूरों के सामने कई परेशानी
बता दें कि एक राइस मिल पर तकरीबन 30 से 35 मजदूर काम करते हैं, जिन्हें महीने का पगार 15 हजार के करीब दिया जाता है. लेकिन लॉकडाउन के कारण मिले बंद है इसलिए कमाई का जरिया भी बंद है. कहीं-कहीं के 24 घंटे काम करने के बावजूद भी मजदूरों को पैसे नहीं मिल रहा है. मजदूरों ने सरकार से गुहार लगाई है कि उन्हें जल्द से जल्द रोजगार मुहैया कराए ताकि उनके परिवार का पालन पोषण हो सके.

rohtas
बंद पड़ी राइस मिल

बहरहाल, देखना होगा कि सरकार इन मजदूरों के लिए क्या सुविधाएं उपलब्ध करा रही है. हालांकि राज्य में मनरेगा के तहत मजदूरों को काम दिया जा रहा है. लेकिन कितने मजदूर इससे लाभांवित हो रहे हैं, ये देखने वाली बात होगी.

rohtas
बदहास स्थिति में राइस मिल
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.