पूर्णियाः कोरोना संक्रमण को लेकर लागू लॉकडाउन में एक तरफ जहां राज्यभर की नदियां निर्मल और पावन हो रही हैं. वहीं शहर की सबसे प्रमुख नदी सौरा को स्वच्छ बनाने में लॉकडाउन भी पूरी तरह फेल साबित हो रहा है. सौरा की सुंदरता और स्वच्छता के नाम पर अब तक लाखों रुपये खर्च कर दिए गए. लेकिन निगम की अनदेखी के कारण आज भी इस नदी में कूड़े का अंबार लगा है.
निगम और नेता जिम्मेवार
दरअसल, सिटी काली मंदिर और कप्तानपुल स्थित सौरा नदी की सफाई को लेकर कई दावे किए जाते रहे हैं. लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है. सौरा की स्वच्छता पर काम करने वाली संस्थाएं , पर्यावरणविद और स्थानीय नदी में बढ़ती गाद का जिम्मेवार निगम और नेताओं को मानते हैं.
प्रशासन की लापरवाही
स्थानीय अभिमन्यु श्रीवास्तव ने बताया कि लॉकडाउन के बावजूद नदी में गंदगी का अंबार लग गया है. साथ ही उन्होंने बताया कि नदी की धार को मोड़ देने से यह मरणासन स्थिति में पहुंच गई है. वहीं, स्थानीय कुणाल केसरी ने बताया कि प्रशासन की तरफ से कभी इसकी सफाई के लिए कुछ नहीं किया जाता. जिनके पास लकड़ी खरीदने के पैसे नहीं होते, वे शव नदी में बहाकर चले जाते हैं.
अनाधिकृत डंपिंग जोन
सौरा स्वच्छता से जुड़े एक्टिविस्ट एसएन झा ने बताया कि नदी की सफाई का मुद्दा कई बार विधानसभा में भी उठाया गया, लेकिन इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया. उन्होंने कहा कि सौरा के महागाद की मुख्य वजह शहर का सबसे बड़ा अनाधिकृत डंपिंग जोन है. शहर का सारा वेस्ट नदी से लगे कप्तानपुल डंपिंग जोन पर अनवरत फेंका जा रहा है. इससे जुड़े अधिकारी और नगर निगम की उदासीनता से आज सौरा बदहाल स्थिति में है.
विलुप्त हो रही सौरा
सौरा नदी पर काम करने वाली संस्थाओं ने बताया कि अगर समय रहते इसे स्वच्छ करने के लिए उपाए नहीं तलाशे गए तो यह धीरे-धीरे विलुप्त हो जाएगी. इसका इतिहास बस पन्नों में दफन हो होकर रह जाएगा.