पूर्णिया: बिहार के पूर्णिया में भी रक्षाबंधन काे लेकर असमंजस की स्थिति थी. लोगों का मत राखी बांधने के शुभ समय (raksha bandhan shubh muhurat 2022) को लेकर 11 और 12 में बंटा हुआ था, लेकिन जिसका उदय उसका अस्त की मान्यता को लेकर 11 अगस्त को ही जिले में रक्षाबंधन मनाया जा रहा है. बहनों ने पूरे जोर-शोर से अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करते हुए उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा.
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दूर रहने वाले भाइयों ने भी बंधवाई राखीः पूरे दो वर्ष के बाद इस बार कई भाई जो काफी दूर रहते हैं, अपनी बहन के पास जाकर राखी बंधवा सके. कोरोना की वजह से जो भाई राखी पर अपनी बहनों से नहीं मिल पाए थे, उनकी खुशी देखते ही बन रही है. पटना से पूर्णिया पहुंचे नीरज की माने तो कोविड-19 में लोग अपनों से दूरी बना लिए थे. इसकी वजह, एक दूसरे की जिंदगी को सुरक्षित रखना था. दो वर्ष बाद आज उन्हें मौका मिला. अपने मां से मिलने का और वह पटना से बस पकड़कर पूर्णिया अपनी बहन से मिल अपनी कलाई पर रक्षा सूत्र बंधवाया. भाई-बहन की आंखों में खुशी की चमक भी दिखी. वहीं शालू बताती है कि दो वर्ष के बाद उसका भाई स्कूल के हॉस्टल से रक्षाबंधन के दिन अपने बहन के पास पहुंचा है 2 वर्ष में भाई बहन की दूरी का एहसास कोविड-19 जैसी महामारी बीमारी ने बतला दिया.
रक्षाबंधन काे लेकर असमंजसः लोगों का मत इस बात को लेकर विभाजित था कि रक्षाबंधन कब है. क्योंकि इस साल कई जगह पर दिनांक 12 को भी रक्षाबंधन मनाया जा रहा है. किंतु अधिकांश लोगों ने इसे आज ही मनाया. यह मानते हुए कि जिसका उदय होता है उसका ही अस्त होता है. बहनों की मानें तो रक्षा सूत्र भाई की लंबी आयु और उसकी रक्षा के लिए बांधी जाती है और सभी पर्व एक ही दिन होता है. मगर बहुत से लोग काल सूत्र को मानते हैं और कभी-कभी इसी वजह से कोई भी पर्व दाे दिन हो जाता है, लेकिन पूर्वज वर्षों से जिसका उदय उसी का अस्त मानते आ रहे हैं और उसी वजह से बहनें आज अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती दिखीं.
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