पूर्णिया: 64वीं बीपीएससी परीक्षा ( BPSC Exam) के नतीजे घोषित किए जा चुके हैं. जिले भर से कई नौनिहालों ने इस कठिन परीक्षा में अपना परचम लहराया है. जिले के अभिषेक नंद ने जहां 138वां रैंक हासिल किया है. तो वहीं सामाजिक मिथकों को तोड़ते हुए तरन्नुम ने तीसरे प्रयास में बीपीएससी परीक्षा पास कर ली है. उनका चयन जिला कल्याण पदाधिकारी के लिए हुआ है. वहीं बड़े भाई की मौत के बाद उनके सपनों को पूरा करने के लिए बीपीएससी की पढ़ाई में भीड़ने वाले कुमार उत्कर्ष ने अपने पहले ही प्रयास में बाजी मारते हुए 746वां रैंक हासिल किया है.
ये भी पढ़ें- दरभंगा के अनुराग आनंद बने 64वीं बीपीएससी परीक्षा के तीसरे टॉपर
तरन्नुम ने तोड़ा समाज का मिथ्य
जिले के सुदूर ग्रामीण इलाके की छात्रा तरन्नुम 64वीं लोक सेवा आयोग की परीक्षा में अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी के तौर पर चयनित हुईं हैं. तरन्नुम ऐसे समाज से आती हैं जहां लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा अभिशाप से कम नहीं. जिले के बायसी अनुमंडल के मलहरिया पंचायत की रहने वाली तरन्नुम किसान मसूद आलम की बेटी हैं. तरन्नुम तीसरे प्रयास में जिला कल्याण पदाधिकारी के पद पर चयनित हुईं हैं. तरन्नुम सात भाई बहनों में दूसरे स्थान पर हैं. तरन्नुम की प्रारंभिक शिक्षा पूर्णिया में हुई और उच्च शिक्षा पटना में. इस दौरान उन्होंने नेट की परीक्षा में भी बाजी मारी.
ये भी पढ़ें- बिटिया हो तो विनीता जैसी: पहले SI बनकर नाम किया रोशन, अब BPSC पास कर बनी अधिकारी
रेगुलर स्टडी से बनाया राहों को आसान
वहीं तरन्नुम के पिता मसूद आलम की माने तो मुस्लिम समुदाय के कुलहरिया बिरादरी से आने वाली तरन्नुम ऐसी पहली लड़की हैं. जिसने इतनी बड़ी कामयाबी हासिल की है. 'इस समाज में लड़कियां उच्च शिक्षा अमूमन नहीं प्राप्त करती. जरूरी नहीं कि बीपीएससी और यूपीएससी जैसी परीक्षा को पास करने के लिए 18 घंटे पढ़ाई की जाए. रेगुलर स्टडी हो और कांसेप्ट क्लियर हो तो किसी भी परीक्षा में बड़ी ही आसानी से सफलता अर्जित की जा सकती है.' : तरन्नुम, बीपीएससी सफल अभ्यर्थी
ये भी पढ़ें- Sheohar: पहले प्रयास में साक्षी ने पास की BPSC परीक्षा, बनीं सामाजिक सुरक्षा विभाग में सहायक निदेशक
पहले ही प्रयास में मिला 786वां स्थान
वहीं अपने पहले ही प्रयास में बीपीएससी जैसे कठिन परीक्षा में 786 रैंक हासिल करने वाले कुमार उत्कर्ष बताते हैं उनके बड़े भाई का सपना था कि वे एक बड़े अफसर बने. लेकिन एक सड़क दुर्घटना में उनकी भाई की मौत हो गई. जिसके बाद उनकी बड़ी मां ने उनके सारे किताबों को उत्कर्ष को सौंप दिया. फिर क्या था, बड़े भाई के सपने को पूरा करने में उत्कर्ष भिड़ गए. सेल्फ स्टडी और ऑनलाइन स्टडी से कुमार उत्कर्ष ने अपने पहले ही प्रयास में बीपीएससी जैसी कठिन परीक्षा को पास कर लिया. उत्कर्ष को 786वां रैंक हासिल हुआ है.