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1947 से पूर्णिया के झंडा चौक पर 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि में फहराया जाता है तिरंगा

पूर्णिया के ऐतिहासिक झंडा चौक पर सन 1947 में 14-15 अगस्त की मध्य रात्रि को ठीक 12 बजकर 01 मिनट पर भारतीय झंडा फहराया गया था. तब से लेकर आज तक जिलेवासी उस परंपरा को निभाते आ रहे हैं. 14-15 अगस्त की मध्य रात्रि ठीक 12 बजकर 01 मिनट पर पूर्णिया के लोग झंडा फहराएंगे.

Augustaugust
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Published : Aug 14, 2020, 7:42 AM IST

Updated : Aug 15, 2020, 1:17 AM IST

पूर्णियाः 74 वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए जहां देश 15 अगस्त की सुबह का इंतजार कर रहा होगा. वहीं बिहार के पूर्णिया जिले के लोग वर्षों से चली आ रही परंपरा को कायम रखते हुए 14-15 अगस्त की मध्य रात्रि ठीक 12 बजकर 01 मिनट पर देश की आजादी का जश्न मनाते नजर आएंगे. राष्ट्रगान की मधुर गूंज के बीच ऐतिहासिक स्थल झंडा चौक पर इतिहास दोहराया जाएगा. लिहाजा इस स्वतंत्रता दिवस जानेंगे क्या है. इस अनूठे परंपरा के पीछे की वजह. क्यों फहराया जाता है यहां 14 अगस्त की मध्य रात्रि को ही भारतीय तिरंगा.

indian
समाजसेवी दिलीप कुमार दीपक

7 दशक से कायम है यह अनोखी परंपरा
दरसअल, शहर का ऐतिहासिक झंडा चौक स्वयं उस रात का साक्षी है, जब सन 1947 में 14 अगस्त की मध्य रात्रि को ठीक 12 बजकर 01 मिनट पर भारतीय झंडा फहराया गया. 7 दशक के बाद आज भी यहां झंडोत्तोलन की यह अनोखी परंपरा कायम है. हालांकि इस बार लॉकडाउन को लेकर जलेबियां और आजादी के जश्न में डूबे लोगों का हुजूम गैरहाजिर होगा. मगर उत्साह और उमंग में कहीं से कोई कमी नहीं आएगी.

August
ऐतिहासिक झंडा चौक

आजादी के दिवानों ने फहराया था तिरंगा
ईटीवी भारत से बातचीत में झंडा चौक से जुड़ी 14 अगस्त 1947 की स्वर्णिम रात का चित्रण करते हुए समाजसेवी दिलीप कुमार दीपक कहते हैं कि 14 अगस्त 1947 की रात ठीक 12 बजे जैसे ही रेडियो पर लार्ड माउंटबेटन के भारत को स्वतंत्र गणराज्य बनाए जाने की घोषणा हुई. असहयोग, दांडी और जेल भरो जैसे आंदोलनों में जिले से सक्रिय भूमिका निभाने वाले कांग्रेस नेता रामेश्वर प्रसाद सिंह और सती नाथ भादुड़ी जैसे आजादी के परवाने इतने उत्साहित हो गए कि बगैर किसी देरी के भट्टा बाजार स्थित चौक पर ठीक 12 बजकर 01 मिनट पर झंडा फहरा दिया और तभी से इस चौक को झंडा चौक के नाम से पुकारा जाने लगा.

'यहां झंडोत्तोलन करना खुद को स्वर्णिम पल का साक्षी बनाने जैसा'
आजादी के इस दौर को याद करते हुए स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोते विपुल कुमार सिंह बताते हैं कि इस ऐतिहासिक झंडा चौक पर तब पंचलाइट की रोशनी में गूंजते राष्ट्रगान की आवाज समूचे सीमांचल में गूंजी थी. वे बताते हैं कि ऐतिहासिक झंडा चौक पर सन 1947 के बाद कई सालों तक स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह ने तिरंगा फहराया. हालांकि इसके बाद कई दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों, समाजसेवियों व कई बड़े प्रशासनिक अधिकारियों ने इस ऐतिहासिक झंडा चौक पर झंडोत्तोलन कर खुद को स्वर्णिम पल का साक्षी बनाया.

पेश है खास रिपोर्ट

10 बजे से जुटने लगते हैं लोग
बीते कुछ सालों से यह जिम्मेदारी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोते विपुल कुमार सिंह ने संभाल रखी है. हर साल 14 अगस्त की रात 10 बजे से ही लोग जुटने लगते हैं. रंगीले झालरों और देश भक्ति गीतों के बीच यह ऐतिहासिक स्थल जैसे खुशी से झूम रहा हो. इसके बाद सब मिलजुलकर ठीक 12 बजकर 01 मिनट पर तिरंगा फहराते हैं. एक दूसरे को आजादी की असंख्य कामनाएं देते हुए राष्ट्रीय मिठाई और जलेबी से मुंह मीठा कराते हैं.

पूर्णियाः 74 वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए जहां देश 15 अगस्त की सुबह का इंतजार कर रहा होगा. वहीं बिहार के पूर्णिया जिले के लोग वर्षों से चली आ रही परंपरा को कायम रखते हुए 14-15 अगस्त की मध्य रात्रि ठीक 12 बजकर 01 मिनट पर देश की आजादी का जश्न मनाते नजर आएंगे. राष्ट्रगान की मधुर गूंज के बीच ऐतिहासिक स्थल झंडा चौक पर इतिहास दोहराया जाएगा. लिहाजा इस स्वतंत्रता दिवस जानेंगे क्या है. इस अनूठे परंपरा के पीछे की वजह. क्यों फहराया जाता है यहां 14 अगस्त की मध्य रात्रि को ही भारतीय तिरंगा.

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समाजसेवी दिलीप कुमार दीपक

7 दशक से कायम है यह अनोखी परंपरा
दरसअल, शहर का ऐतिहासिक झंडा चौक स्वयं उस रात का साक्षी है, जब सन 1947 में 14 अगस्त की मध्य रात्रि को ठीक 12 बजकर 01 मिनट पर भारतीय झंडा फहराया गया. 7 दशक के बाद आज भी यहां झंडोत्तोलन की यह अनोखी परंपरा कायम है. हालांकि इस बार लॉकडाउन को लेकर जलेबियां और आजादी के जश्न में डूबे लोगों का हुजूम गैरहाजिर होगा. मगर उत्साह और उमंग में कहीं से कोई कमी नहीं आएगी.

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ऐतिहासिक झंडा चौक

आजादी के दिवानों ने फहराया था तिरंगा
ईटीवी भारत से बातचीत में झंडा चौक से जुड़ी 14 अगस्त 1947 की स्वर्णिम रात का चित्रण करते हुए समाजसेवी दिलीप कुमार दीपक कहते हैं कि 14 अगस्त 1947 की रात ठीक 12 बजे जैसे ही रेडियो पर लार्ड माउंटबेटन के भारत को स्वतंत्र गणराज्य बनाए जाने की घोषणा हुई. असहयोग, दांडी और जेल भरो जैसे आंदोलनों में जिले से सक्रिय भूमिका निभाने वाले कांग्रेस नेता रामेश्वर प्रसाद सिंह और सती नाथ भादुड़ी जैसे आजादी के परवाने इतने उत्साहित हो गए कि बगैर किसी देरी के भट्टा बाजार स्थित चौक पर ठीक 12 बजकर 01 मिनट पर झंडा फहरा दिया और तभी से इस चौक को झंडा चौक के नाम से पुकारा जाने लगा.

'यहां झंडोत्तोलन करना खुद को स्वर्णिम पल का साक्षी बनाने जैसा'
आजादी के इस दौर को याद करते हुए स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोते विपुल कुमार सिंह बताते हैं कि इस ऐतिहासिक झंडा चौक पर तब पंचलाइट की रोशनी में गूंजते राष्ट्रगान की आवाज समूचे सीमांचल में गूंजी थी. वे बताते हैं कि ऐतिहासिक झंडा चौक पर सन 1947 के बाद कई सालों तक स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह ने तिरंगा फहराया. हालांकि इसके बाद कई दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों, समाजसेवियों व कई बड़े प्रशासनिक अधिकारियों ने इस ऐतिहासिक झंडा चौक पर झंडोत्तोलन कर खुद को स्वर्णिम पल का साक्षी बनाया.

पेश है खास रिपोर्ट

10 बजे से जुटने लगते हैं लोग
बीते कुछ सालों से यह जिम्मेदारी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोते विपुल कुमार सिंह ने संभाल रखी है. हर साल 14 अगस्त की रात 10 बजे से ही लोग जुटने लगते हैं. रंगीले झालरों और देश भक्ति गीतों के बीच यह ऐतिहासिक स्थल जैसे खुशी से झूम रहा हो. इसके बाद सब मिलजुलकर ठीक 12 बजकर 01 मिनट पर तिरंगा फहराते हैं. एक दूसरे को आजादी की असंख्य कामनाएं देते हुए राष्ट्रीय मिठाई और जलेबी से मुंह मीठा कराते हैं.

Last Updated : Aug 15, 2020, 1:17 AM IST
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