पूर्णिया: सीमांचल के सियासी समर में गृहमंत्री अमित शाह की सद्भावना रैली, महागठबंधन की महारैली के बाद अब एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi Padyatra in Purnea) की एंट्री होने वाली है. 18-19 मार्च को असदुद्दीन ओवैसी पूर्णिया में पदयात्रा करेंगे. साथ ही कई हिस्सों का दौरा करेंगे. एआईएमआईएम की मुस्लिम बहुल सीमांचल में गहरी पकड़ है. 2020 के विधानसभा चुनाव में अपनी शानदार चुनावी पारी खेलते हुए एआईएमआईएम ने 5 सीटें जीतकर सभी दलों को चौंका दिया था. लिहाजा एआईएमआईएम प्रमुख के सीमांचल दौरे को सियासी पंडित काफी अहम मान रहे हैं. महागठबंधन के लिए उनका ये दौरा और भी घातक साबित हो सकता है.
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'एआईएमआईएम की हकीकत समझती है जनता': 2020 में तेजस्वी यादव को सबसे अधिक नुकसान ओवैसी ने ही पहुंचाया था. हालांकि आरजेडी प्रवक्ता डॉ. आलोक राज कहते हैं कि भले ही 2020 के विधानसभा चुनाव में सीमांचल की भोली-भाली जनता एआईएमआईएम की बातों में आ गई थी लेकिन अब जब आई एमआईएमआईएम के 5 में से चार विधायक आरजेडी के खेमे में आ चुके हैं तो जनता भी समझ चुकी है कि ओवैसी की पार्टी चुनाव में बीजेपी के लिए काम करती है.
"मुझे नहीं लगता कि जनता पहले की तरह एआईएमआईएम के झांसे में आएगी. सीमांचल की जनता किसी भी हालत में सांप्रदायिक ताकतों को मजबूत होने नहीं देगी. वैसे भी 5 में से 4 विधायक उनके अब हमारे साथ हैं. असदुद्दीन ओवैसी के लिए सीमांचल दौरे के दौरान भीड़ जुटाना भी मुश्किल हो जाएगा"- डॉ. आलोक राज, आरजेडी प्रवक्ता
'ओवैसी के दौरे से कोई फर्क नहीं पड़ेगा': वहीं, बीजेपी के जिला महामंत्री राजेश रंजन का दावा है कि सीमांचल में भारतीय जनता पार्टी बूथ स्तर पर काम कर रही है. इसलिए ओवैसी का पैदल मार्च यहां फेल साबित होगा. मेरी तो तमाम सियासी पार्टियों को यह नसीहत है कि वह भाजपा के चुनावी स्टाइल को कॉपी करना बंद करें. आगामी चुनावों में एनडीए को यहां भारी सफलता मिलेगी, 2019 में भी हमने अच्छी सफलता पाई थी.
"गृहमंत्री अमित शाह ने सीमांचल में सद्भावना रैली की. इसे देखते हुए महागठबंधन ने अपनी रैली हाल में आयोजित की और अब ओवैसी का सीमांचल के चुनावी मैदान में कूदना भाजपा के चुनावी स्टाइल की कॉपी है. सियासी पार्टी इस मुगालते में ना रहे कि सीमांचल की भोली-भाली जनता इस बार फिर उनके झांसे में आ जाएगी. आगामी लोकसभा और विधानसभा दोनों ही चुनावों में सीमांचल में भाजपा और मोदी का जादू चलेगा"- राजेश रंजन, जिला महामंत्री, बीजेपी
ओवैसी के सीमांचल दौरे से एआईएमआईएम उत्साहित: उधर, ओवैसी के पूर्णिया दौरे से एआईएमआईएम के नेता उत्साहित हैं. पार्टी के अमौर विधानसभा के अध्यक्ष मुकर्रम हुसैन ने कहा कि सियासी पार्टियां लाख गरज लें, सीमांचल में किसी का जादू चलेगा तो बस उसका नाम है असदुद्दीन ओवैसी. उन्होंने दावा किया कि आगामी चुनावों में यहां आईएमआईएम को भारी कामयाबी मिलेगी.
"असदुद्दीन ओवैसी सीमांचल की जनता की आवाज शुरुआत से ही उठाते रहे हैं. पूर्णिया एयरपोर्ट की मांग को लेकर चलाए जा रहे ट्विटर अभियान में भी ओवैसी साहब ने सीमांचल की जनता की आवाज को बुलंद किया. आगामी 18 और 19 मार्च को होने वाले ओवैसी की पदयात्रा में सड़कों पर सीमांचल का विशाल हुजूम उमड़ेगा. सीमांचल की जनता अपने मसीहा को प्यार देने के लिए पलके बिछाए बैठी है"- मुकर्रम हुसैन, नेता, एआईएमआईएम
2020 के चुनाव में 5 सीटों पर एआईएमआईएम की जीत: सीटों के लिहाज से मुस्लिम बहुल सीमांचल के सियासी समीकरण पर गौर करें तो पूर्णिया, अररिया, कटिहार और किशनगंज को मिलाकर लोकसभा की 4 और विधानसभा की 24 सीटें हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान जेडीयू ने 2, जबकि बीजेपी और कांग्रेस ने 1-1 सीट जीती थी. 24 विधानसभा सीटों वाली सीमांचल में बीजेपी ने 2020 के चुनावों में 8, कांग्रेस ने 5 और जेडीयू ने 4 सीटें हासिल की थी. आरजेडी और भाकपा माले के खेमे में 1 -1 सीट गई थी. वहीं 2020 के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने पांच सीटें जीती थीं. अपने शानदार प्रदर्शन से उसने सभी सियासी दलों को चौंका दिया था. हालांकि पिछले साल 5 विधायकों में 4 विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे. एआईएमआईएम विधायकों को तोड़कर तेजस्वी ने ओवैसी को बड़ा झटका दिया था. ऐसे में ओवैसी के सीमांचल दौरे में इस झटके को पाटने की कवायद भी शामिल होगी.
सीमांचल में किसका खेल बिगाड़ेंगे ओवैसी?: दरअसल सीमांचल के मुस्लिम बाहुल वोटरों में अपनी पकड़ दोबारा से मजबूत करने को लेकर वे पूर्णिया के बायसी, अमौर और किशनगंज के कुछ हिस्सों का दौरा करेंगे. जाहिर तौर पर ओवैसी का सीमांचल दौरा न सिर्फ बीजेपी बल्कि महागठबंधन के बने-बनाए सियासी समीकरण को भी बिगाड़ सकता है. महागठबंधन के मुस्लिम फैक्टर फॉर्मूले को मात देने के लिहाज से भी ओवैसी का यह दौरा अहम माना जा रहा है. एआईएमआईएम ने 2020 विधानसभा चुनाव में कुल 20 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे. इनमे से 5 सीटें पार्टी की खेमे में आई थी. उनकी पार्टी को कुल 523,279 वोट मिले थे. वहीं पिछले साल गोपालगंज और कुढ़नी उपचुनाव में भी एआईएमआईएम उम्मीदवार ने महागठबंधन के मुस्लिम वोट में सेंध लगाई थी. जिसका नतीजा रहा बीजेपी ने आसानी से दोनों सीटें जीत ली. ऐसे में सीमांचल में औवेसी की एंट्री महागठबंधन के बने-बनाए सियासी समीकरण पर पानी फेर सकती है.