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पूर्णिया: जिले में बनाए गए हैं कई भव्य पंडाल, श्रद्धालुओं की उमड़ रही भीड़ - बनाए गए हैं कई भव्य पंडाल

शहर के तंग ट्रैफिक और पूजा पंडालों की भीड़ से दूर ईटीवी भारत की मदद से आप महज एक क्लिक में जिले के सभी पूजा पंडालों और प्रतिमाओं का दर्शन कर सकते हैं.

मां दुर्गा
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Published : Oct 6, 2019, 8:04 PM IST

पूर्णिया: पूरे बिहार में दुर्गा पूजा की धूम दिख रही है. अष्टमी को होने वाली मां महागौरी की आराधना के साथ ही सभी पूजा पंडालों में आस्था का जनसैलाब उमड़ना शुरू हो गया है. लिहाजा, शहर के तंग ट्रैफिक और पूजा पंडालों की भीड़ से दूर ईटीवी भारत की मदद से आप महज एक क्लिक में जिले के सभी पूजा पंडालों और प्रतिमाओं का दर्शन कर सकते हैं.

कप्तानपाड़ा ग्रीनवैली पूजा पंडाल
गुलाबबाग का यह पूजा पंडाल विशेष अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है. पंडाल से लेकर लाइटिंग और मूर्तियों की बनावट सबकुछ आकर्षक और आश्चर्य का अनुभव देने वाला है. इस पूजा पंडाल को गंगा-जमुनी एकता के तर्ज पर विकसित किए जाने के साथ ही वीर शिवाजी महाराज और उनके किले का लुक दिया गया है. जहां भारतीय तिरंगा इसकी भव्यता में और भी चार-चांद लगा रहा है. इस पूजा पंडाल पर 20 लाख रुपए खर्च किए गया है. बता दें कि यहां बंगाल और बिहार संस्कृति की मिली जुली छाप दिखाई पड़ती है. इसे जिले का सबसे बेहतरीन पूजा पंडालों में गिना जा रहा है.

purnea
तिरंगा झंडा पूजा पंडाल

श्री श्री 108 दुर्गापूजा समिति खुश्कीबाग
पूर्णिया स्टेशन रोड के पास यह पूजा पंडाल हर वर्ष एक नए कांसेप्ट के लिए जाना जाता है. इस रीत को कायम रखते हुए इस बार यहां के पूजा पंडाल को बोरे और रस्सी से बनाया गया है. जितना अनोखा और खूबसूरत ये पंडाल है, उतना ही बंगाली आर्टिस्ट की ओर से तैयार की गई मां दुर्गा की प्रतिमा है. यहां आने पर सभी पूजा पंडालों की अपेक्षा एक अलग एहसास होता है. बता दें कि इस पूजा पंडाल पर कुल 7 लाख की राशि खर्च की गई है. यह पूरी तरह बंगाली संस्कृति से प्रभावित है.

purnea
पूजा पंडाल

रजनी चौक पूजा पंडाल
यहां पूजा पंडाल जिले के सबसे भव्य पूजा पंडालों में से एक है. इस बार इसे चेन्नई के एक मंदिर के तर्ज पर बनाया गया है. इसमें एक से बढ़कर एक लाइटिंग की कारीगरी कर इसकी सुंदरता में चार-चांद लगा रहा है. वहीं, भगवान शिव के तीसरे नेत्र से निकल रही मां दुर्गा का अनूठा स्वरूप इस पूजा पंडाल में आकर लोगों को भव्यता का एहसास करा रहा है. इस पूजा पंडाल 10 लाख रुपए लागत से बनी है.

फोर्ड कंपनी सराय पूजा पंडाल
इस पूजा पंडाल को लायन्स क्लब की ओर से संचालन किया जाता है. यहां स्थित मां दुर्गा की प्रतिमा हर साल लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती है. इसे बंगाली कारीगरों की मेहनत का बेमिसाल नगीना इसी पंडाल में देखने को मिलता है. इस पूजा पंडाल में कुल 7 लाख रुपए खर्च किए गए हैं.

देखें वीडियो

दुर्गाबाड़ी पूजा पंडाल
यह पूर्णिया के सबसे प्राचीन और प्रमुख पूजा पंडालों में से एक है. 104 वर्ष पुराना यह पूजा पंडाल बिहार के सबसे प्राचीन पूजा पंडालों में शुमार है. यहां की पूजा पद्धति में बंगाली विधि विधान का समागम साफ देखा जा सकता है. एक अनुमान के मुताबिक इस दौरान यहां रोजाना पहुंचने वाले भक्तों की संख्या 10 हजार से अधिक होती है. वहीं, इस पूजा पंडाल के निर्माण में कुल 12 लाख की राशि खर्च की गई है.

बाड़ीहाट दुर्गा मंदिर
यहां 1979 से ही मां की प्रतिमा स्थापित की जा रही है. इस पूजा पंडाल में बंगाली विधि-विधानों और परंपराओं की छाप साफ देखी जा सकती है. इस पूजा पंडाल की सबसे खास बात यह है कि यहां स्थापनाकर्ता से लेकर पूजा पंडाल के पुजारी सभी बंगाली हैं. लिहाजा, बंगाल के मालदा की छाप यहां षष्ठी से लेकर दशमी तक खेले जाने वाली सिन्दूर खेल की प्रथा में साफ झलकती है. बता दें कि इस पूजा पंडाल के निर्माण में कुल 5 लाख की राशि खर्च की गई है.

purnea
पूजा पंडाल

पूर्णिया कोर्ट स्टेशन पूजा पंडाल
यह पूजा पंडाल जिले के भव्य पूजा पंडालों में शामिल है. बताया जाता है कि 1970 से ही यहां मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करने की प्रथा कायम है. इस पूजा पंडाल को बेंगलुरु के एक मंदिर का लुक दिया गया है. इसको बनाने में करीब 8 लाख रुपये खर्च हुए हैं.

डीएसए ग्राउंड पूजा पंडाल
इस पूजा पंडाल में भी षष्ठी को ही माता कात्यायनी की पूजा के साथ भक्तों के लिए पंडाल का मुख्य पट खोल दिया जाता है. बंगाली पंडित के गूंजते मंत्रोच्चार, पूजा-अर्चना की विधि-विधान सबकुछ विहंगम दृश्य का एहसास कराती है. इसे जिले के मुरादी पूजा पंडालों में से एक माना जाता है.

  • बापू की 150वीं जयंती पर देश उन्हें याद कर रहा है, इस संकल्प के साथ कि हम उनके दिखाए हुए रास्ते पर चलेंगे। गांधी दर्शन को लेकर @PMOIndia @narendramodi की सोच भी प्रशंसनीय है। इस मौके पर #EtvBharat की एक छोटी सी प्रस्तुति।#GandhiAt150 #GandhiJayanti pic.twitter.com/BiEGwytAsZ

    — ETV Bharat Bihar (@etvbharatbihar) October 2, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मधुबनी चौक पूजा पंडाल
यहां मां दुर्गा की एक मुरादी प्रतिमा स्थापित है. नवरात्रि में भक्तों की भारी भीड़ इस मंदिर में उमड़ती है. बता दें कि नवमी को सबसे अधिक बलि इसी मंदिर में दी जाती है. यहां बलि के लिए लाइन लगानी पड़ती है. वहीं, यहां स्थापित की जाने वाली मूर्ति में बंगाली वास्तुकला की छाप साफ देखी जा सकती है. इस पूजा पंडाल पर कुल 6 लाख खर्च हुए हैं.

  • 70 वर्षीय बुजुर्ग की विचित्र अर्जी, सिंधु से करुंगा शादी@Pvsindhu1
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    — ETV Bharat Bihar (@etvbharatbihar) September 18, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

शक्तिनगर पूजा पंडाल
सिपाही टोला में आने वाले शक्तिनगर पूजा पंडाल अपने आप में अनोखा है. यहां महज हिन्दू ही नहीं बल्कि मुस्लिम ,सिक्ख और ईसाई धर्म के लोगों के सहयोग से स्थापित किया जाता है. इसके निर्माण में 5 लाख खर्च किए गए हैं.

पूर्णिया: पूरे बिहार में दुर्गा पूजा की धूम दिख रही है. अष्टमी को होने वाली मां महागौरी की आराधना के साथ ही सभी पूजा पंडालों में आस्था का जनसैलाब उमड़ना शुरू हो गया है. लिहाजा, शहर के तंग ट्रैफिक और पूजा पंडालों की भीड़ से दूर ईटीवी भारत की मदद से आप महज एक क्लिक में जिले के सभी पूजा पंडालों और प्रतिमाओं का दर्शन कर सकते हैं.

कप्तानपाड़ा ग्रीनवैली पूजा पंडाल
गुलाबबाग का यह पूजा पंडाल विशेष अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है. पंडाल से लेकर लाइटिंग और मूर्तियों की बनावट सबकुछ आकर्षक और आश्चर्य का अनुभव देने वाला है. इस पूजा पंडाल को गंगा-जमुनी एकता के तर्ज पर विकसित किए जाने के साथ ही वीर शिवाजी महाराज और उनके किले का लुक दिया गया है. जहां भारतीय तिरंगा इसकी भव्यता में और भी चार-चांद लगा रहा है. इस पूजा पंडाल पर 20 लाख रुपए खर्च किए गया है. बता दें कि यहां बंगाल और बिहार संस्कृति की मिली जुली छाप दिखाई पड़ती है. इसे जिले का सबसे बेहतरीन पूजा पंडालों में गिना जा रहा है.

purnea
तिरंगा झंडा पूजा पंडाल

श्री श्री 108 दुर्गापूजा समिति खुश्कीबाग
पूर्णिया स्टेशन रोड के पास यह पूजा पंडाल हर वर्ष एक नए कांसेप्ट के लिए जाना जाता है. इस रीत को कायम रखते हुए इस बार यहां के पूजा पंडाल को बोरे और रस्सी से बनाया गया है. जितना अनोखा और खूबसूरत ये पंडाल है, उतना ही बंगाली आर्टिस्ट की ओर से तैयार की गई मां दुर्गा की प्रतिमा है. यहां आने पर सभी पूजा पंडालों की अपेक्षा एक अलग एहसास होता है. बता दें कि इस पूजा पंडाल पर कुल 7 लाख की राशि खर्च की गई है. यह पूरी तरह बंगाली संस्कृति से प्रभावित है.

purnea
पूजा पंडाल

रजनी चौक पूजा पंडाल
यहां पूजा पंडाल जिले के सबसे भव्य पूजा पंडालों में से एक है. इस बार इसे चेन्नई के एक मंदिर के तर्ज पर बनाया गया है. इसमें एक से बढ़कर एक लाइटिंग की कारीगरी कर इसकी सुंदरता में चार-चांद लगा रहा है. वहीं, भगवान शिव के तीसरे नेत्र से निकल रही मां दुर्गा का अनूठा स्वरूप इस पूजा पंडाल में आकर लोगों को भव्यता का एहसास करा रहा है. इस पूजा पंडाल 10 लाख रुपए लागत से बनी है.

फोर्ड कंपनी सराय पूजा पंडाल
इस पूजा पंडाल को लायन्स क्लब की ओर से संचालन किया जाता है. यहां स्थित मां दुर्गा की प्रतिमा हर साल लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती है. इसे बंगाली कारीगरों की मेहनत का बेमिसाल नगीना इसी पंडाल में देखने को मिलता है. इस पूजा पंडाल में कुल 7 लाख रुपए खर्च किए गए हैं.

देखें वीडियो

दुर्गाबाड़ी पूजा पंडाल
यह पूर्णिया के सबसे प्राचीन और प्रमुख पूजा पंडालों में से एक है. 104 वर्ष पुराना यह पूजा पंडाल बिहार के सबसे प्राचीन पूजा पंडालों में शुमार है. यहां की पूजा पद्धति में बंगाली विधि विधान का समागम साफ देखा जा सकता है. एक अनुमान के मुताबिक इस दौरान यहां रोजाना पहुंचने वाले भक्तों की संख्या 10 हजार से अधिक होती है. वहीं, इस पूजा पंडाल के निर्माण में कुल 12 लाख की राशि खर्च की गई है.

बाड़ीहाट दुर्गा मंदिर
यहां 1979 से ही मां की प्रतिमा स्थापित की जा रही है. इस पूजा पंडाल में बंगाली विधि-विधानों और परंपराओं की छाप साफ देखी जा सकती है. इस पूजा पंडाल की सबसे खास बात यह है कि यहां स्थापनाकर्ता से लेकर पूजा पंडाल के पुजारी सभी बंगाली हैं. लिहाजा, बंगाल के मालदा की छाप यहां षष्ठी से लेकर दशमी तक खेले जाने वाली सिन्दूर खेल की प्रथा में साफ झलकती है. बता दें कि इस पूजा पंडाल के निर्माण में कुल 5 लाख की राशि खर्च की गई है.

purnea
पूजा पंडाल

पूर्णिया कोर्ट स्टेशन पूजा पंडाल
यह पूजा पंडाल जिले के भव्य पूजा पंडालों में शामिल है. बताया जाता है कि 1970 से ही यहां मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करने की प्रथा कायम है. इस पूजा पंडाल को बेंगलुरु के एक मंदिर का लुक दिया गया है. इसको बनाने में करीब 8 लाख रुपये खर्च हुए हैं.

डीएसए ग्राउंड पूजा पंडाल
इस पूजा पंडाल में भी षष्ठी को ही माता कात्यायनी की पूजा के साथ भक्तों के लिए पंडाल का मुख्य पट खोल दिया जाता है. बंगाली पंडित के गूंजते मंत्रोच्चार, पूजा-अर्चना की विधि-विधान सबकुछ विहंगम दृश्य का एहसास कराती है. इसे जिले के मुरादी पूजा पंडालों में से एक माना जाता है.

  • बापू की 150वीं जयंती पर देश उन्हें याद कर रहा है, इस संकल्प के साथ कि हम उनके दिखाए हुए रास्ते पर चलेंगे। गांधी दर्शन को लेकर @PMOIndia @narendramodi की सोच भी प्रशंसनीय है। इस मौके पर #EtvBharat की एक छोटी सी प्रस्तुति।#GandhiAt150 #GandhiJayanti pic.twitter.com/BiEGwytAsZ

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मधुबनी चौक पूजा पंडाल
यहां मां दुर्गा की एक मुरादी प्रतिमा स्थापित है. नवरात्रि में भक्तों की भारी भीड़ इस मंदिर में उमड़ती है. बता दें कि नवमी को सबसे अधिक बलि इसी मंदिर में दी जाती है. यहां बलि के लिए लाइन लगानी पड़ती है. वहीं, यहां स्थापित की जाने वाली मूर्ति में बंगाली वास्तुकला की छाप साफ देखी जा सकती है. इस पूजा पंडाल पर कुल 6 लाख खर्च हुए हैं.

  • 70 वर्षीय बुजुर्ग की विचित्र अर्जी, सिंधु से करुंगा शादी@Pvsindhu1
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शक्तिनगर पूजा पंडाल
सिपाही टोला में आने वाले शक्तिनगर पूजा पंडाल अपने आप में अनोखा है. यहां महज हिन्दू ही नहीं बल्कि मुस्लिम ,सिक्ख और ईसाई धर्म के लोगों के सहयोग से स्थापित किया जाता है. इसके निर्माण में 5 लाख खर्च किए गए हैं.

Intro:आकाश कुमार
special report ।

समूचे बिहार में दुर्गा पूजा की धूम दिख रही है। अष्टमी को होने वाली मां महागौरी की आराधना के साथ ही सभी पूजा पंडालों में आस्था का जनसैलाब उमड़ना शुरू हो गया है। लिहाजा शहर के तंग ट्रैफिक और पूजा पंडालों की धक्कमधुक्की से दूर ईटीवी भारत आपको महज एक क्लिक में जिले के सभी पूजा पंडालों व प्रतिमाओं के दर्शन करा रहा है।



Body:कप्तानपाड़ा ग्रीनवैली पूजा पंडाल - गुलाबबाग स्थित यह पूजा पंडाल अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है। पंडाल से लेकर ,लाइटिंग और मूर्तियों की बनावट सबकुछ आकर्षक और आश्चर्य का अनुभव देने वाला है। इस पूजा पंडाल को गंगा जमुनी एकता के तर्ज पर विकसित किए जाने के साथ ही वीर शिवाजी महाराज और उनके किले का लुक दिया गया है। जहां भारतीय तिरंगा इसकी भव्यता में और भी चार-चांद लगा रहा है। इस पूजा पंडाल पर 20 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। यहां बंगाली और बिहार संस्कृति की मिली जुली छाप दिखाई पड़ती है। इसे जिले का सबसे बेहतरीन पूजा पंडालों में गिना जा रहा है।

श्री श्री 108 दुर्गापूजा समिति खुश्कीबाग - पूर्णिया स्टेशन रोड स्थित यह पूजा पंडाल हर वर्ष एक नए कांसेप्ट के लिए जाना जाता है। इस रीत को कायम रखते हुए इस बार यहां के पूजा पंडाल को बोरे चट्टी और रस्सी से निर्मित किया गया है। जितना अनूठा और खूबसूरत ये पंडाल है उतनी ही भिन्न बंगाली आर्टिस्ट द्वारा तैयार की गई मां दुर्गा की प्रतिमा। यहां आने पर सभी पूजा पंडालों की अपेक्षा एक अलग अहसास होता है। इस पूजा पंडाल पर कुल 7 लाख की राशि खर्च की गई है। यह पूजा पंडाल पूरी तरह बंगाली संस्कृति से प्रभावित है।

रजनी चौक पूजा पंडाल- यह पूजा पंडाल जिले के सबसे भव्य पूजा पंडालों में से एक है। इस बार इसे चेन्नई के एक मंदिर के तर्ज पर विकसित किया गया है। एक से बढ़कर एक लाइटिंग की कारीगरी इसकी सुंदरता में चार-चांद लगा रहा है। वहीं भगवान शिव के तीसरे नेत्र से निकल रही मां दुर्गा का अनूठा स्वरूप इस पूजा पंडाल में आकर लोगों को भव्यता का एहसास करा रही है । इस पूजा पंडाल के निर्माण में कुल 10 लाख रुपए खर्च किए गए हैं।

फोर्ड कंपनी सराय पूजा पंडाल- इस पूजा पंडाल को लायन्स क्लब चलाती है। यहां स्थित मां दुर्गा की प्रतिमा हर साल ही लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती है। बंगाली कारीगरों की कारीगरी का बेमिशाल नगीना इसी पंडाल में देखने को मिलता है। इस पूजा पंडाल में कुल 7 लाख रुपए खर्च किए गए हैं।


दुर्गाबाड़ी पूजा पंडाल- यह पूर्णियां का सबसे प्राचीन और प्रमुख पूजा पंडालों में से एक है। 104 वर्ष पुराना यह पूजा पंडाल बिहार के सबसे प्राचीन पूजा पंडालों में शुमार है। यहां पूजा पद्धति में बंगाली विधि विधान का समागम यहां साफ देखा जा सकता है। एक अनुमान के मुताबिक इस दौरान यहां रोजाना पहुंचने वाले भक्तों की संख्या 10 हजार के पार होती है। वहीं इस पूजा पंडाल के निर्माण में कुल 12 लाख की राशि खर्च की गई है।


बाड़ीहाट दुर्गा मंदिर- यहां 1979 से ही मां की प्रतिमा स्थापित की जा रही है। इस पूजा पंडाल में बंगाली विधि-विधानों और परंपराओं की छाप साफ देखी जा सकती है। इस पूजा पंडाल की सबसे खास बात यह है कि यहां स्थापना कर्ता से लेकर पूजा पंडाल के पुजारी सभी बंगाली हैं। लिहाजा बंगाल के मालदा की छाप यहां षष्टी से लेकर दशमी को खेले जाने वाली सिन्दूरखेला की प्रथा में साफ दिखाई देती है। इस पूजा पंडाल के निर्माण में कुल 5 लाख की राशि खर्च की गई है।


पूर्णिया कोर्ट स्टेशन पूजा पंडाल- यह पूजा पंडाल जिले के सब्स भव्य पूजा पंडालों में शामिल है। 1970 से ही यहां मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करने की प्रथा कायम है। इस पूजा पंडाल को बंगलुरू के एक मंदिर का लुक दिया गया है। इस पूजा पंडाल पर कुल 8 लाख की राशि खर्च हुई है।


डीएसए ग्राउंड पूजा पंडाल- इस पूजा पंडाल में भी षष्ठी को ही माता कात्यायनी की पूजा के साथ भक्तों के लिए पंडाल का मुख्य पट खोल दिया जाता है। बंगाली पंडित के गूंजते मंत्रोच्चार ,पूजा अर्चना की विधि-विधान सबकुछ विहंगम दृश्य का अहसास कराती है। इसे जिले के मुरादी पूजा पंडालों में से एक माना जाता है।

मधुबनी चौक पूजा पंडाल- यहां मां दूर्गा की एक मुरादी प्रतिमा स्थापित है। लिहाजा नवरात्रि में भक्तों की भारी भीड़ इस मंदिर में उमड़ती है। नवमी को सबसे अधिक बलि इसी मंदिर में दी जाती है। यहां बलि के लिए नंबर लगाना पड़ता है। वहीं यहां स्थापित की जाने वाली मूर्ति में बंगाली वास्तुकला की छाप साफ देखी जा सकती है। इस पूजा पंडाल पर कुल 6 लाख खर्च हुए हैं।

शक्तिनगर पूजा पंडाल- सिपाही टोला में आने वाले शक्तिनगर पूजा पंडाल में महज हिन्दू ही नहीं बल्कि मुस्लिम ,सिक्ख व ईसाई धर्म के लोगों के सहयोग से स्थापित किया जाता है। बंगाली संस्कृति इस पूजा पंडाल पर भी पूरी तरह आबद्ध है। इसके निर्माण में 5 लाख खर्च किए गए हैं।





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