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मौत से पहले मां ने बेटे से ली थी कसम, फिर कुछ यूं बदल गई जिंदगी

पूर्णिया के रामनगर मोहल्ले का प्रीतम नशा मुक्ति केंद्र खोलकर समाज और खासतौर पर युवाओं को नशे की लत से दूर रखने की कोशिश कर रहा है. कहां से मिली ये प्रेरणा और कैसे हुई इसकी शुरुआत.. खुद सुनिए प्रीतम की जुबानी...

नशा
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Published : Aug 11, 2021, 12:05 PM IST

पूर्णिया: किसी भी देश का भविष्य और उसकी तरक्की वहां के युवाओं पर निर्भर करता है. युवा पीढ़ी अगर गलत रास्ते पर चली जाए तो निश्चित तौर पर उनका जीवन अंधकार में चला जाता है. वर्तमान समय में युवाओं को शराब, गुटखा, तम्बाकू और सिगरेट का नशा किए बगैर पार्टी अधूरी लगती है. लेकिन पूर्णिया (Purnia) जिले का एक शख्स नशे की इस लत से बाहर निकल समाज में दूसरों को भी इससे दूर रहने में मदद कर रहा है.

इसे भी पढ़ें: Patna Crime News: नशा करने से मना किया तो मार दी गोली, PMCH रेफर

जिले के मरंगा थाना क्षेत्र (Maranga Police Station) के रामनगर मोहल्ले का रहने वाला प्रीतम नशे का आदी हो गया था. लेकिन समय के साथ कुछ ऐसा बदलाव हुआ कि प्रीतम आज नशा मुक्ति केंद्र चला रहा है. युवाओं को नशा से मुक्त कराने के साथ-साथ समाज को भी इसके लिए प्रेरित कर रहा है.

देखें रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें: दरभंगा: समोसे की दुकान की आड़ में चल रहा था नशा का कारोबार, एक गिरफ्तार

नशा मुक्ति केंद्र (Drug De-Addiction Center) का संचालक प्रीतम बचपन में पढ़ाई-लिखाई में हमेशा अव्वल रहता था. वह अपने स्कूल में टॉप किया करता था. परिजन और समाज के लोग अपने बच्चे को प्रीतम जैसा बनने का उदाहरण देते थे. कुछ समय बाद प्रीतम को अच्छी शिक्षा-दीक्षा के लिए पूर्णिया से दिल्ली भेज दिया गया.

दिल्ली में प्रीतम की मुलाकात कुछ ऐसे दोस्तों से हो गई जो नशे का सेवन करते थे. धीरे-धीरे प्रीतम भी नशे का आदी हो गया. वह नशे में इतना डूब गया कि परिवार और समाज से दूरियां बन गई. इसके साथ ही जो लोग अपने बच्चे को प्रीतम के जैसा बनने की बात किया करते थे वे लोग अब प्रीतम को कलंक मानने लगे थे.

इसी बीच प्रीतम की मां की तबीयत खराब हो गई. मां को यह चिंता सताने लगी थी कि आखिर उनका बेटा नशे की बुरी आदत को कब छोड़ेगा. प्रीतम की मां जब जिंदगी की अंतिम सांस गिन रही थी, तो उन्होंने अपने बेटे को बुलाकर कसम दिलाई थी कि वह अब नशा छोड़कर सुधरने की कोशिश करेगा.

मां की मौत के बाद प्रीतम ने सीख ली और इन दिनों वो पूर्णिया में नशा मुक्ति केंद्र चला रहा है. उसकी यही कोशिश रहती है कि जो युवा नशे का सेवन कर रहे हैं, उन्हें वह अपनी जीवनी बताकर उसे सुधारने की कोशिश करे. अभी तक लगभग 200 युवाओं को नशे से मुक्त कराया गया है. वहीं अभी भी 40 युवा नशा मुक्ति केंद्र में रह रहे हैं.

'नशा करते वक्त मुझे यही लगता था कि मैं कोई गुनाह थोड़ी ना कर रहा हूं. मैं तो सिर्फ नशा करता हूं. उस वक्त लगता था कि नशा करना अपराध नहीं है. लेकिन मैंने धीरे-धीरे सब खोना शुरू कर दिया. मेरे पिता को कहीं जाने में भी शर्म आती थी. इसके बाद मुझे एहसास हुआ कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए. मेरी मां भी कहती थी कि बेटा तुम अच्छे इंसान हो, लेकिन जब तुम नशा करते हो तो सबसे बुरे इंसान बन जाते हो.' -प्रीतम, नशा मुक्ति केंद्र संचालक

वहीं जो युवा नशा छोड़ चुके हैं, उनका कहना है कि उन्होंने नशा के लिए अपने ही घर में चोरी करनी शुरू कर दी थी. मोहल्ले में चोरी करने के साथ-साथ क्राइम की दुनिया में भी पैर पसारना शुरू कर दिया था. लेकिन अब नशे को पूरी तरह से छोड़ चुके हैं.

पूर्णिया: किसी भी देश का भविष्य और उसकी तरक्की वहां के युवाओं पर निर्भर करता है. युवा पीढ़ी अगर गलत रास्ते पर चली जाए तो निश्चित तौर पर उनका जीवन अंधकार में चला जाता है. वर्तमान समय में युवाओं को शराब, गुटखा, तम्बाकू और सिगरेट का नशा किए बगैर पार्टी अधूरी लगती है. लेकिन पूर्णिया (Purnia) जिले का एक शख्स नशे की इस लत से बाहर निकल समाज में दूसरों को भी इससे दूर रहने में मदद कर रहा है.

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जिले के मरंगा थाना क्षेत्र (Maranga Police Station) के रामनगर मोहल्ले का रहने वाला प्रीतम नशे का आदी हो गया था. लेकिन समय के साथ कुछ ऐसा बदलाव हुआ कि प्रीतम आज नशा मुक्ति केंद्र चला रहा है. युवाओं को नशा से मुक्त कराने के साथ-साथ समाज को भी इसके लिए प्रेरित कर रहा है.

देखें रिपोर्ट.

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नशा मुक्ति केंद्र (Drug De-Addiction Center) का संचालक प्रीतम बचपन में पढ़ाई-लिखाई में हमेशा अव्वल रहता था. वह अपने स्कूल में टॉप किया करता था. परिजन और समाज के लोग अपने बच्चे को प्रीतम जैसा बनने का उदाहरण देते थे. कुछ समय बाद प्रीतम को अच्छी शिक्षा-दीक्षा के लिए पूर्णिया से दिल्ली भेज दिया गया.

दिल्ली में प्रीतम की मुलाकात कुछ ऐसे दोस्तों से हो गई जो नशे का सेवन करते थे. धीरे-धीरे प्रीतम भी नशे का आदी हो गया. वह नशे में इतना डूब गया कि परिवार और समाज से दूरियां बन गई. इसके साथ ही जो लोग अपने बच्चे को प्रीतम के जैसा बनने की बात किया करते थे वे लोग अब प्रीतम को कलंक मानने लगे थे.

इसी बीच प्रीतम की मां की तबीयत खराब हो गई. मां को यह चिंता सताने लगी थी कि आखिर उनका बेटा नशे की बुरी आदत को कब छोड़ेगा. प्रीतम की मां जब जिंदगी की अंतिम सांस गिन रही थी, तो उन्होंने अपने बेटे को बुलाकर कसम दिलाई थी कि वह अब नशा छोड़कर सुधरने की कोशिश करेगा.

मां की मौत के बाद प्रीतम ने सीख ली और इन दिनों वो पूर्णिया में नशा मुक्ति केंद्र चला रहा है. उसकी यही कोशिश रहती है कि जो युवा नशे का सेवन कर रहे हैं, उन्हें वह अपनी जीवनी बताकर उसे सुधारने की कोशिश करे. अभी तक लगभग 200 युवाओं को नशे से मुक्त कराया गया है. वहीं अभी भी 40 युवा नशा मुक्ति केंद्र में रह रहे हैं.

'नशा करते वक्त मुझे यही लगता था कि मैं कोई गुनाह थोड़ी ना कर रहा हूं. मैं तो सिर्फ नशा करता हूं. उस वक्त लगता था कि नशा करना अपराध नहीं है. लेकिन मैंने धीरे-धीरे सब खोना शुरू कर दिया. मेरे पिता को कहीं जाने में भी शर्म आती थी. इसके बाद मुझे एहसास हुआ कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए. मेरी मां भी कहती थी कि बेटा तुम अच्छे इंसान हो, लेकिन जब तुम नशा करते हो तो सबसे बुरे इंसान बन जाते हो.' -प्रीतम, नशा मुक्ति केंद्र संचालक

वहीं जो युवा नशा छोड़ चुके हैं, उनका कहना है कि उन्होंने नशा के लिए अपने ही घर में चोरी करनी शुरू कर दी थी. मोहल्ले में चोरी करने के साथ-साथ क्राइम की दुनिया में भी पैर पसारना शुरू कर दिया था. लेकिन अब नशे को पूरी तरह से छोड़ चुके हैं.

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