पूर्णिया: एक तरफ सरकार आयुष्मान भारत योजना की सफलता के किस्से सुना रही है. विज्ञापन के पीछे न जाने कितने रुपये पानी की तरह बहाए जा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ ठीक इसके विपरीत आयुष्मान भारत कार्ड को जरूरतमंदों के लिए महज शोभा की वस्तु बनकर रह गई है. दरअसल कार्ड रहते हुए भी जिले में आयुष्मान भारत कार्डधारी मजदूर को इलाज के लिए दर-दर की ठोंकरे खानी पड़ रही है. दरअसल 6 माह पहले मजदूर अवधेश सड़क हादसे का शिकार हो गया था. अवधेश की कमाई से ही घर का राशन चलता था. नौबत ऐसी है कि अब अवधेश के पिता और पत्नी घरखर्ची व इलाज के लिए भीख तक मांगने को मजबूर हैं.
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परिजन भीख मांगने को मजबूर: पीडित मजदूर अवधेश और उनका परिवार नगर प्रखंड के मजरा गांव निवासी है. फिलहाल, अवधेश का इलाज किसी तरह पूर्णिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जिकल वार्ड में चल रहा है. सड़क हादसे में घायल हुए मजदूर के पास आयुष्मान भारत का कार्ड भी मौजूद है. आयुष्मान भारत कार्ड रहते हुए भी इलाज के लिए दर- दर की ठोकरें खाने को मजबूर है.
हादसे में टूटी स्पाइनल कोर्ड: पीडित अवधेश पासवान ने बताया कि वह पेशे से राजमिस्त्री है. 6 माह पूर्व एक साइट पर काम कर रहे थे. तभी पैर फिसलने से नीचे जमीन पर गिर गए. इस दुर्घटना में स्पाइनल कोर्ड की हड्डी टूट गई. जिसके बाद पूर्णिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती है. अवधेश की पत्नी खुशबू ने बताया कि वह काफी गरीब परिवार से है. पति के एक्सीडेंट के बाद IGIMS रेफर किया गया. हमारे पास आयुष्मान भारत का कार्ड भी है. इसके बावजूद भी IGIMS अस्पताल में आयुष्मान भारत कार्ड से इलाज नहीं किए जाने की बात कही गई.
"जब पटना में नस रोग डॉक्टर से मिले तो उन्होंने 3 लाख रूपए खर्च होने की बात कही. जबकि घर की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी नहीं है. इस कारण मरीज को फिर से पूर्णिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया. यहां पर इलाज चल रहा है. इलाज के बावजूद अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है".पिता, लक्ष्मण पासवान
नस सूखने की समस्या से परेशान: इसके बाद अपने ससुर लक्ष्मण पासवान के साथ इलाज के लिए पैसे जुटाने के लिए पूर्णिया पहुंचे और लोगों से भीख मांगने को विवश है. गांव के ही कुमोद पासवान के सहयोग से चंदा उठाकर ढाई हजार रुपये जमा किया है. उसी पैसे से स्टील रॉड लगा. इसके बाद उसे नस सूखने की समस्या होने लगी. डॉक्टर ने नस का इलाज के लिए दोबारा से किसी बेहतर अस्पताल जाने की सलाह दी है.
तीन लाख रुपये में हो सकेगा इलाज: अवधेश के पिता लक्ष्मण पासवान ने बताया कि जब पटना में नस रोग डॉक्टर से मिले तो उन्होंने 3 लाख रूपए खर्च होने की बात कही. जबकि घर की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी नहीं है. इस कारण मरीज को फिर से पूर्णिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया. यहां पर इलाज चल रहा है. इलाज के बावजूद अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है. वहीं बेहतर इलाज के लिए जनप्रतिनिधियों तक से गुहार लगाई. जबकि किसी व्यक्ति और नेताओं ने कोई मदद नहीं की.