ETV Bharat / state

Ayushman Bharat Card: शोभा की वस्तु बनी आयुष्मान भारत कार्ड: इलाज के लिए खानी पड़ रही दर- दर की ठोकर, पिता और पत्नी मांग रहे भीख

पूर्णिया में आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीब लोगों के इलाज का पोल खुल रहा है. यहां पर कार्ड होने के बावजूद भी मजदूर का इलाज संभव नहीं हो पा रहा है. इस कारण एक मजदूर के पत्नी और उसके पिता को इलाज और खाने के लिए भीख मांगने की जरुरत पड़ रही है. परिजनों का कहना है कि काम करते समय पैर फिसलने से स्पाइनल कोर्ड की हड्डी टूट गई. जिसे इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहां से अस्पताल में सर्जिकल वार्ड में भर्ती कराया गया. पढ़ें पूरी खबर...

पूर्णिया में राजमिस्त्री का नहीं हुआ इलाज
पूर्णिया में राजमिस्त्री का नहीं हुआ इलाज
author img

By

Published : Mar 13, 2023, 11:58 AM IST

पूर्णिया में आयुष्मान भारत कार्ड से इलाज नहीं

पूर्णिया: एक तरफ सरकार आयुष्मान भारत योजना की सफलता के किस्से सुना रही है. विज्ञापन के पीछे न जाने कितने रुपये पानी की तरह बहाए जा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ ठीक इसके विपरीत आयुष्मान भारत कार्ड को जरूरतमंदों के लिए महज शोभा की वस्तु बनकर रह गई है. दरअसल कार्ड रहते हुए भी जिले में आयुष्मान भारत कार्डधारी मजदूर को इलाज के लिए दर-दर की ठोंकरे खानी पड़ रही है. दरअसल 6 माह पहले मजदूर अवधेश सड़क हादसे का शिकार हो गया था. अवधेश की कमाई से ही घर का राशन चलता था. नौबत ऐसी है कि अब अवधेश के पिता और पत्नी घरखर्ची व इलाज के लिए भीख तक मांगने को मजबूर हैं.

ये भी पढे़ं- पटना जंक्शन पर स्वास्थ्य विभाग बना रहा आयुष्मान कार्ड, 1 महीने तक चलेगा अभियान

परिजन भीख मांगने को मजबूर: पीडित मजदूर अवधेश और उनका परिवार नगर प्रखंड के मजरा गांव निवासी है. फिलहाल, अवधेश का इलाज किसी तरह पूर्णिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जिकल वार्ड में चल रहा है. सड़क हादसे में घायल हुए मजदूर के पास आयुष्मान भारत का कार्ड भी मौजूद है. आयुष्मान भारत कार्ड रहते हुए भी इलाज के लिए दर- दर की ठोकरें खाने को मजबूर है.

हादसे में टूटी स्पाइनल कोर्ड: पीडित अवधेश पासवान ने बताया कि वह पेशे से राजमिस्त्री है. 6 माह पूर्व एक साइट पर काम कर रहे थे. तभी पैर फिसलने से नीचे जमीन पर गिर गए. इस दुर्घटना में स्पाइनल कोर्ड की हड्डी टूट गई. जिसके बाद पूर्णिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती है. अवधेश की पत्नी खुशबू ने बताया कि वह काफी गरीब परिवार से है. पति के एक्सीडेंट के बाद IGIMS रेफर किया गया. हमारे पास आयुष्मान भारत का कार्ड भी है. इसके बावजूद भी IGIMS अस्पताल में आयुष्मान भारत कार्ड से इलाज नहीं किए जाने की बात कही गई.

"जब पटना में नस रोग डॉक्टर से मिले तो उन्होंने 3 लाख रूपए खर्च होने की बात कही. जबकि घर की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी नहीं है. इस कारण मरीज को फिर से पूर्णिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया. यहां पर इलाज चल रहा है. इलाज के बावजूद अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है".पिता, लक्ष्मण पासवान

नस सूखने की समस्या से परेशान: इसके बाद अपने ससुर लक्ष्मण पासवान के साथ इलाज के लिए पैसे जुटाने के लिए पूर्णिया पहुंचे और लोगों से भीख मांगने को विवश है. गांव के ही कुमोद पासवान के सहयोग से चंदा उठाकर ढाई हजार रुपये जमा किया है. उसी पैसे से स्टील रॉड लगा. इसके बाद उसे नस सूखने की समस्या होने लगी. डॉक्टर ने नस का इलाज के लिए दोबारा से किसी बेहतर अस्पताल जाने की सलाह दी है.


तीन लाख रुपये में हो सकेगा इलाज: अवधेश के पिता लक्ष्मण पासवान ने बताया कि जब पटना में नस रोग डॉक्टर से मिले तो उन्होंने 3 लाख रूपए खर्च होने की बात कही. जबकि घर की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी नहीं है. इस कारण मरीज को फिर से पूर्णिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया. यहां पर इलाज चल रहा है. इलाज के बावजूद अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है. वहीं बेहतर इलाज के लिए जनप्रतिनिधियों तक से गुहार लगाई. जबकि किसी व्यक्ति और नेताओं ने कोई मदद नहीं की.



पूर्णिया में आयुष्मान भारत कार्ड से इलाज नहीं

पूर्णिया: एक तरफ सरकार आयुष्मान भारत योजना की सफलता के किस्से सुना रही है. विज्ञापन के पीछे न जाने कितने रुपये पानी की तरह बहाए जा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ ठीक इसके विपरीत आयुष्मान भारत कार्ड को जरूरतमंदों के लिए महज शोभा की वस्तु बनकर रह गई है. दरअसल कार्ड रहते हुए भी जिले में आयुष्मान भारत कार्डधारी मजदूर को इलाज के लिए दर-दर की ठोंकरे खानी पड़ रही है. दरअसल 6 माह पहले मजदूर अवधेश सड़क हादसे का शिकार हो गया था. अवधेश की कमाई से ही घर का राशन चलता था. नौबत ऐसी है कि अब अवधेश के पिता और पत्नी घरखर्ची व इलाज के लिए भीख तक मांगने को मजबूर हैं.

ये भी पढे़ं- पटना जंक्शन पर स्वास्थ्य विभाग बना रहा आयुष्मान कार्ड, 1 महीने तक चलेगा अभियान

परिजन भीख मांगने को मजबूर: पीडित मजदूर अवधेश और उनका परिवार नगर प्रखंड के मजरा गांव निवासी है. फिलहाल, अवधेश का इलाज किसी तरह पूर्णिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जिकल वार्ड में चल रहा है. सड़क हादसे में घायल हुए मजदूर के पास आयुष्मान भारत का कार्ड भी मौजूद है. आयुष्मान भारत कार्ड रहते हुए भी इलाज के लिए दर- दर की ठोकरें खाने को मजबूर है.

हादसे में टूटी स्पाइनल कोर्ड: पीडित अवधेश पासवान ने बताया कि वह पेशे से राजमिस्त्री है. 6 माह पूर्व एक साइट पर काम कर रहे थे. तभी पैर फिसलने से नीचे जमीन पर गिर गए. इस दुर्घटना में स्पाइनल कोर्ड की हड्डी टूट गई. जिसके बाद पूर्णिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती है. अवधेश की पत्नी खुशबू ने बताया कि वह काफी गरीब परिवार से है. पति के एक्सीडेंट के बाद IGIMS रेफर किया गया. हमारे पास आयुष्मान भारत का कार्ड भी है. इसके बावजूद भी IGIMS अस्पताल में आयुष्मान भारत कार्ड से इलाज नहीं किए जाने की बात कही गई.

"जब पटना में नस रोग डॉक्टर से मिले तो उन्होंने 3 लाख रूपए खर्च होने की बात कही. जबकि घर की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी नहीं है. इस कारण मरीज को फिर से पूर्णिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया. यहां पर इलाज चल रहा है. इलाज के बावजूद अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है".पिता, लक्ष्मण पासवान

नस सूखने की समस्या से परेशान: इसके बाद अपने ससुर लक्ष्मण पासवान के साथ इलाज के लिए पैसे जुटाने के लिए पूर्णिया पहुंचे और लोगों से भीख मांगने को विवश है. गांव के ही कुमोद पासवान के सहयोग से चंदा उठाकर ढाई हजार रुपये जमा किया है. उसी पैसे से स्टील रॉड लगा. इसके बाद उसे नस सूखने की समस्या होने लगी. डॉक्टर ने नस का इलाज के लिए दोबारा से किसी बेहतर अस्पताल जाने की सलाह दी है.


तीन लाख रुपये में हो सकेगा इलाज: अवधेश के पिता लक्ष्मण पासवान ने बताया कि जब पटना में नस रोग डॉक्टर से मिले तो उन्होंने 3 लाख रूपए खर्च होने की बात कही. जबकि घर की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी नहीं है. इस कारण मरीज को फिर से पूर्णिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया. यहां पर इलाज चल रहा है. इलाज के बावजूद अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है. वहीं बेहतर इलाज के लिए जनप्रतिनिधियों तक से गुहार लगाई. जबकि किसी व्यक्ति और नेताओं ने कोई मदद नहीं की.



ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.