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पूर्णिया: सीमांचल के चावल से सीमावर्ती मुल्कों में बन रही शराब

सीमांचल के मोटे चावल से भूटान, चीन और वियतनाम में शराब बनायी जा रही है. यहां के खेतों में मोटे चावल उपजाए जाते हैं. साथ ही राशन की दुकानों में भी मोटे चावल ही मिल रहे हैं. राशन की दुकानों से चावल की कालाबाजारी काफी होती है. इसकी मुख्य वजह चीन, भूटान में इसकी लगातार बढ़ती मांग है.

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Published : Jan 9, 2021, 9:46 AM IST

Updated : Jan 9, 2021, 10:31 AM IST

seemanchal
चावल से बन रहे शराब

पूर्णिया: सीमांचल के मंडियों से हैरत करने वाली खबर सामने आई है. मोटे चावलों की बहुतायत खेती के लिए सीमांचल मशहूर है. इस क्षेत्र के मोटे चावल से नेपाल और भूटान के रास्ते चीन, बांग्लादेश और वियतनाम में शराब बनाई जा रही है. सीमांचल में लगातार मोटे चावल की कीमतों में उछाल देखी जा रही है. इसके पीछे भी चावल व्यापारी और कारोबारी अहम वजह मान रहे हैं. हालांकि, जिला प्रशासन ने पूरे मामले पर अपनी सफाई देते हुए इसे पूरी तरह भ्रामक बताया है.

इन मंडियों में बेचे जाते हैं मोटे चावल
सहकारिता विभाग की मानें तो जिले में 65 फीसद से अधिक भूमि पर मोटे चावल ही उपजाए जाते हैं. जिसे किसान, पैक्सों में या एशिया की बड़ी मंडी गुलाबबाग में बेचते हैं. वहीं, हरदा और कसबा जैसी दूसरी मंडियों में जाकर बेंचते हैं.

चावल के बोरे जब्त
चावल के बोरे जब्त
सीमांचल के चावल से सीमावर्ती मुल्कों में बन रहा शराबट्रांसपोर्ट संचालन रविंद्र यादव बताते हैं कि वह मोटे चावल जिसकी बहुतायत में खेती की जाती है. यह पैक्सों के माध्यम से पीडीएस सेवा के लाभुकों तक जाता है. हालांकि, मोटे चावल को लोग खाना नहीं पसंद करते, राशन दुकानों में इन्हें कम कीमतों में दुकानदारों द्वारा खरीदा जाता है. जिसके बाद ये मोटे चावल सीमावर्ती पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और सिक्किम जैसे राज्यों से सीमावर्ती नेपाल, चीन, भूटान ,वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों तक पहुंचाए जा रहे हैं. इन मुल्कों में मोटे चावल की खूब डिमांड है. जिसके पीछे की वजह इससे शराब बनाया जाना है.
Seemanchal
मोटे चावल बरामद
'कालाबाजारी पर पूरी तरह नकेल कसने के लिए एक विशेष टीम काम कर रही है. हाल ही में गुलाबबाग के चावल गोदामों में छापेमारी की गई. इस दौरान चावल के बोरे जब्त किया गया. साथ ही चावल की क्वालिटी अब पहले से बेहतर होती है. लिहाजा पीडीएस सेवा के लाभुक इसे ही बतौर भोजन के रुप में प्रयोग करते हैं. ऐसे में चावल की खेपों को सीमावर्ती भूटान, नेपाल, चीन, बांग्लादेश और वियतनाम तक पहुंचाए जाने की बात पूरी तरह भ्रामक है.'- सुशील कुमार, आर्पूति निरीक्षक

राशन दुकानों के चावल की कालाबाजारी परवान पर
गुलाबबाग के चावल व्यपारी बताते हैं कि पठारी इलाके के लोग इस तरह के मोटे चावल को भी महंगे दामों पर खरीद कर खाते हैं. लिहाजा प्रतिदिन दर्जनों ट्रक मोटे चावल की खेप लेकर असम, पश्चिम बंगाल समेत दूसरे राज्यों के लिए निकलती हैं. इसमें अधिकांश जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों के द्वारा दिए जाने वाले चावल होते हैं. लोग मोटा चावल खाना पसंद नहीं करते हैं. ऐसे में इसे कम दाम में खरीद ऊंचे दामों में बेचा जाता है. यही वजह है कि सीमांचल में चावल की कालाबाजारी इन दिनों परवान पर है. जिसके चलते कसबा, जलालगढ़ और हरदा जैसी मंडियां जन वितरण प्रणाली के चावल के कालाबाजारी का मुख्य अड्डा बन गई हैं. यहां सरकारी चावल की कालाबाजारी धड़ल्ले से किया जा रहा है.

देखें रिपोर्ट
रोजाना कई खेपों की होती हैं बुकिंगहरदा मंडी के व्यपारी कहते हैं कि रोजाना कई खेपो की संख्या में चावल की खेप पश्चिम बंगाल और असम के तिनसुकिया, डिब्रूगढ़ और भूटान ले जाने के लिए बुकिंग कराई जा रही है. जिसके बाद इस चावल को सीमावर्ती देशों तक पहुंचाया जाता है.

पूर्णिया: सीमांचल के मंडियों से हैरत करने वाली खबर सामने आई है. मोटे चावलों की बहुतायत खेती के लिए सीमांचल मशहूर है. इस क्षेत्र के मोटे चावल से नेपाल और भूटान के रास्ते चीन, बांग्लादेश और वियतनाम में शराब बनाई जा रही है. सीमांचल में लगातार मोटे चावल की कीमतों में उछाल देखी जा रही है. इसके पीछे भी चावल व्यापारी और कारोबारी अहम वजह मान रहे हैं. हालांकि, जिला प्रशासन ने पूरे मामले पर अपनी सफाई देते हुए इसे पूरी तरह भ्रामक बताया है.

इन मंडियों में बेचे जाते हैं मोटे चावल
सहकारिता विभाग की मानें तो जिले में 65 फीसद से अधिक भूमि पर मोटे चावल ही उपजाए जाते हैं. जिसे किसान, पैक्सों में या एशिया की बड़ी मंडी गुलाबबाग में बेचते हैं. वहीं, हरदा और कसबा जैसी दूसरी मंडियों में जाकर बेंचते हैं.

चावल के बोरे जब्त
चावल के बोरे जब्त
सीमांचल के चावल से सीमावर्ती मुल्कों में बन रहा शराबट्रांसपोर्ट संचालन रविंद्र यादव बताते हैं कि वह मोटे चावल जिसकी बहुतायत में खेती की जाती है. यह पैक्सों के माध्यम से पीडीएस सेवा के लाभुकों तक जाता है. हालांकि, मोटे चावल को लोग खाना नहीं पसंद करते, राशन दुकानों में इन्हें कम कीमतों में दुकानदारों द्वारा खरीदा जाता है. जिसके बाद ये मोटे चावल सीमावर्ती पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और सिक्किम जैसे राज्यों से सीमावर्ती नेपाल, चीन, भूटान ,वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों तक पहुंचाए जा रहे हैं. इन मुल्कों में मोटे चावल की खूब डिमांड है. जिसके पीछे की वजह इससे शराब बनाया जाना है.
Seemanchal
मोटे चावल बरामद
'कालाबाजारी पर पूरी तरह नकेल कसने के लिए एक विशेष टीम काम कर रही है. हाल ही में गुलाबबाग के चावल गोदामों में छापेमारी की गई. इस दौरान चावल के बोरे जब्त किया गया. साथ ही चावल की क्वालिटी अब पहले से बेहतर होती है. लिहाजा पीडीएस सेवा के लाभुक इसे ही बतौर भोजन के रुप में प्रयोग करते हैं. ऐसे में चावल की खेपों को सीमावर्ती भूटान, नेपाल, चीन, बांग्लादेश और वियतनाम तक पहुंचाए जाने की बात पूरी तरह भ्रामक है.'- सुशील कुमार, आर्पूति निरीक्षक

राशन दुकानों के चावल की कालाबाजारी परवान पर
गुलाबबाग के चावल व्यपारी बताते हैं कि पठारी इलाके के लोग इस तरह के मोटे चावल को भी महंगे दामों पर खरीद कर खाते हैं. लिहाजा प्रतिदिन दर्जनों ट्रक मोटे चावल की खेप लेकर असम, पश्चिम बंगाल समेत दूसरे राज्यों के लिए निकलती हैं. इसमें अधिकांश जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों के द्वारा दिए जाने वाले चावल होते हैं. लोग मोटा चावल खाना पसंद नहीं करते हैं. ऐसे में इसे कम दाम में खरीद ऊंचे दामों में बेचा जाता है. यही वजह है कि सीमांचल में चावल की कालाबाजारी इन दिनों परवान पर है. जिसके चलते कसबा, जलालगढ़ और हरदा जैसी मंडियां जन वितरण प्रणाली के चावल के कालाबाजारी का मुख्य अड्डा बन गई हैं. यहां सरकारी चावल की कालाबाजारी धड़ल्ले से किया जा रहा है.

देखें रिपोर्ट
रोजाना कई खेपों की होती हैं बुकिंगहरदा मंडी के व्यपारी कहते हैं कि रोजाना कई खेपो की संख्या में चावल की खेप पश्चिम बंगाल और असम के तिनसुकिया, डिब्रूगढ़ और भूटान ले जाने के लिए बुकिंग कराई जा रही है. जिसके बाद इस चावल को सीमावर्ती देशों तक पहुंचाया जाता है.
Last Updated : Jan 9, 2021, 10:31 AM IST
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