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बिहार में शराबबंदी के बाद ड्रग्स की ओर युवाओं का बढ़ा रुझान, आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता - Youth trend towards drugs

बिहार में शराबबंदी के बावजूद भी शराब का व्यवसाय काफी फल-फूल रहा है. जिसके कारण पूर्ण रूप शराबबंदी लागू नहीं हो पा रही है. शराबबंदी की वजह से बिहार में ड्रग्स का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है. जिसके कारण पटना समेत अन्य जिलों में युवा ड्रग्स की ओर रुख कर रहे हैं. देखिए ये रिपोर्ट.

पटना
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Published : Feb 9, 2021, 6:20 PM IST

Updated : Feb 9, 2021, 7:14 PM IST

पटना: बिहार में शराब के अलावा ड्रग्स पकड़ने के लिए भी पुलिस विभाग के मद्य निषेध की एक इकाई काम करेगी. ड्रग्स सप्लायर को पकड़ने को लेकर एक यूनिट तैयार करने का निर्णय लिया गया है. जो राज्य में ड्रग्स की सप्लाई से लेकर उपयोग करने वालों और इसका पूरा अवैध धंधा करने वालों को गिरफ्तार करेगी. मद्य निषेध इकाई की ओर से प्रत्येक माह में अभियान चलाकर सभी जिलों में शराब और अन्य मादक पदार्थों को पकड़ने की कार्रवाई की जा रही है.

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का आंकड़ा-2018
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का आंकड़ा-2018

बिहार में बढ़ा नशे का कारोबार
तमाम व्यवस्थाओं के बावजूद भी नशीले पदार्थों का व्यापार करने वाले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. बिहार में शराब के साथ गांजा और चरस की तस्करी भी चरम पर है. हर एक दिन किसी न किसी जिले से करोड़ों की शराब या फिर गांजा, चरस बरामद किया जा रहा है.

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का आंकड़ा-2019
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का आंकड़ा-2019

ये भी पढ़ें- नीतीश कैबिनेट का विस्तार, किसे मिला कौन विभाग, देखें पूरी लिस्ट

गोपालगंज से 265 किलो चरस बरामद
गोपालगंज पुलिस ने करीब 30 करोड़ का चरस कुचायकोट थाना क्षेत्र के बलथरी चेकपोस्ट पर पुलिस वाहन चेकिंग अभियान के दौरान पकड़ा है. पिकअप में बने तहखाने से करीब 265 किलो चरस बरामद किया गया है. इस दौरान पुलिस ने तीन तस्करों को भी पकड़ा है. सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि राज्य में पूर्ण शराबबंदी है. इसके बावजूद भी बॉर्डर इलाकों से गाड़ियों के साथ तस्कर कैसे राज्य में एंट्री कर शराब, ड्रग्स या अन्य नशीले पदार्थों को बिहार में लाने में सफलता हासिल कर रहे हैं.

जितेंद्र कुमार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय
जितेंद्र कुमार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय

''गुवाहाटी से लेकर दूसरे राज्यों को जोड़ने वाले तमाम सीमावर्ती इलाकों के अलावा सभी जिलों के पुलिस कप्तान को आदेश जारी किया गया है. एनसीबी के साथ मिलकर बिहार पुलिस उन तमाम जिलों में ऑपरेशन नारकोटिक्स चला रही है. जहां अफीम की खेती या किसी तरह के मादक पदार्थ की सप्लाई खरीद-फरोख्त होने की सूचना मिलती है''- जितेंद्र कुमार, एडीजी पुलिस मुख्यालय

बिहार में फैला नारकोटिक्स का जाल
बिहार में फैले नारकोटिक्स के जाल को तोड़ने की दिशा में बिहार पुलिस लगातार काम कर रही है. हालांकि पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार इस बात को स्वीकारते हैं कि बिहार या अन्य राज्यों में मद्य निषेध लागू होगा, तो नारकोटिक्स की ओर लोग बढ़ेंगे. हालांकि पुलिस विभाग पहले से सतर्क है. आर्थिक अपराध इकाई की यूनिट एनडीपीएस और केंद्र सरकार की एजेंसी एनसीबी आपस में तालमेल बैठाकर इसके रोकथाम हेतु कार्य कर रही हैं.

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का आंकड़ा-2020
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का आंकड़ा-2020

पुलिस और इंटेलिजेंस काफी सजग
पुलिस मुख्यालय के अनुसार बिहार के कुछ जिले जैसे गया और कैमूर में जहां पर अफीम की खेती होती है. वहां पर समय-समय पर उस खेती को नष्ट भी किया जाता है. दूसरे राज्यों से शराब या ड्रग्स बिहार में ना पहुंच सके या बिहार होकर भी दूसरे राज्य ना जा सके इसको लेकर भी पुलिस और इंटेलिजेंस काफी सजग है.

ड्रग्स की ओर युवाओं का बढ़ा रुझान

ये भी पढ़ें- पूर्व मंत्री प्रेम कुमार को मंत्रिमंडल में नहीं मिली जगह, BJP कार्यकर्ताओं में रोष

ड्रग्स की ओर युवाओं का रुझान
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के बिहार झारखंड के ज्वाइंट डायरेक्टर कुमार मनीष ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि शराबबंदी के बाद नारकोटिक्स की ओर युवाओं का रुझान इन दिनों बढ़ता दिख रहा है. समय-समय पर नारकोटिक्स डिपार्टमेंट की तरफ से बिहार झारखंड सहित अन्य राज्यों में भी जागरूकता अभियान चलाया जाता है. इसमें युवा वर्ग और खासकर स्कूल कॉलेज के स्टूडेंट्स को इससे होने वाली प्रॉब्लम को अवगत कराया जाता है.

कुमार मनीष, एनसीबी के डायरेक्टर
कुमार मनीष, एनसीबी के डायरेक्टर

''एनसीबी के साथ-साथ और विभिन्न एजेंसियों के सहयोग से विगत वर्षों में इस पर अंकुश लगाने हेतु कई तरह के नशीले पदार्थ के साथ-साथ इसके सप्लायर को भी गिरफ्तार किया गया है, ताकि इसका ट्रैफिकिंग कंट्रोल किया जा सके''- कुमार मनीष, एनसीबी के डायरेक्टर

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का आंकड़ा-2021
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का आंकड़ा-2021

ड्रग सप्लायरर्स पर शिकंजा
समाज को जागरूक होने की जरूरत है. नारकोटिक्स देश ही नहीं विदेश की भी समस्या है. भारत के 2 पड़ोसी देश है. वहां से भी नारकोटिक्स ट्रैफिकिंग के जरिए ये देश के विभिन्न राज्यों तक पहुंचता है. इसके लिए बिहार और झारखंड के रूट का इस्तेमाल किया जाता है. शराब व्यवसायियों के साथ-साथ ड्रग सप्लायर के ऊपर भी शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है.

ये भी पढ़ें- नीतीश कुमार की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक, 10 एजेंडों पर लगी मुहर

पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार के मुताबिक शराब के धंधे पर ब्रेक लगाने और ड्रग्स सप्लायर को पकड़ने की कोशिश की जा रही है. राज्य के बाहर से बड़ी खेप में आने वाली शराब और उसके सप्लायर को पकड़ने के लिए काम किया जा रहा है. मद्य निषेध इकाई खुद को अपडेट करने के साथ-साथ एक ऐसा तंत्र भी विकसित करने में लगा है, जो गुप्त सूचनाओं को तैयार कर नारकोटिक्स या एसटीएफ के तर्ज पर काम कर सके.

डॉ. मनोज सिन्हा
डॉ. मनोज सिन्हा

''शराबबंदी के बाद बिहार में इन दिनों खासकर युवा वर्ग ड्रग्स या गांजा की तरफ लोगों का झुकाव ज्यादा बढ़ गया है. युवा वर्ग को खासकर ये समझने की जरूरत है कि शराब हो या ड्रग्स नुकसान खुद का ही होता है. हमारे पास कई ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनमें युवा ड्रग्स के शिकार हो गए हैं. ऐसे लोग हाइपर मूड के हो गए हैं. यहां तक की ड्रग्स के शिकार युवक के ड्रग्स लेने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं''- डॉ. मनोज सिन्हा

पड़ोसी राज्यों से हो रही तस्करी
जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, यूपी और हरियाणा राज्यों की सरकारों से आपसी तालमेल स्थापित कर बिहार में शराब और ड्रग्स भेजने वाले स्मगलर को पकड़ने की कोशिश की जाएगी. बिहार में इन्हीं राज्यों से शराब आ रही है. 2 फरवरी को भी आर्थिक अपराध इकाई द्वारा गुप्त सूचना के आधार पर 253 किलो गांजा, चार पहिया वाहन और तीन पुलिसकर्मी सहित दो अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है.

पटना: बिहार में शराब के अलावा ड्रग्स पकड़ने के लिए भी पुलिस विभाग के मद्य निषेध की एक इकाई काम करेगी. ड्रग्स सप्लायर को पकड़ने को लेकर एक यूनिट तैयार करने का निर्णय लिया गया है. जो राज्य में ड्रग्स की सप्लाई से लेकर उपयोग करने वालों और इसका पूरा अवैध धंधा करने वालों को गिरफ्तार करेगी. मद्य निषेध इकाई की ओर से प्रत्येक माह में अभियान चलाकर सभी जिलों में शराब और अन्य मादक पदार्थों को पकड़ने की कार्रवाई की जा रही है.

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का आंकड़ा-2018
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का आंकड़ा-2018

बिहार में बढ़ा नशे का कारोबार
तमाम व्यवस्थाओं के बावजूद भी नशीले पदार्थों का व्यापार करने वाले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. बिहार में शराब के साथ गांजा और चरस की तस्करी भी चरम पर है. हर एक दिन किसी न किसी जिले से करोड़ों की शराब या फिर गांजा, चरस बरामद किया जा रहा है.

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का आंकड़ा-2019
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का आंकड़ा-2019

ये भी पढ़ें- नीतीश कैबिनेट का विस्तार, किसे मिला कौन विभाग, देखें पूरी लिस्ट

गोपालगंज से 265 किलो चरस बरामद
गोपालगंज पुलिस ने करीब 30 करोड़ का चरस कुचायकोट थाना क्षेत्र के बलथरी चेकपोस्ट पर पुलिस वाहन चेकिंग अभियान के दौरान पकड़ा है. पिकअप में बने तहखाने से करीब 265 किलो चरस बरामद किया गया है. इस दौरान पुलिस ने तीन तस्करों को भी पकड़ा है. सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि राज्य में पूर्ण शराबबंदी है. इसके बावजूद भी बॉर्डर इलाकों से गाड़ियों के साथ तस्कर कैसे राज्य में एंट्री कर शराब, ड्रग्स या अन्य नशीले पदार्थों को बिहार में लाने में सफलता हासिल कर रहे हैं.

जितेंद्र कुमार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय
जितेंद्र कुमार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय

''गुवाहाटी से लेकर दूसरे राज्यों को जोड़ने वाले तमाम सीमावर्ती इलाकों के अलावा सभी जिलों के पुलिस कप्तान को आदेश जारी किया गया है. एनसीबी के साथ मिलकर बिहार पुलिस उन तमाम जिलों में ऑपरेशन नारकोटिक्स चला रही है. जहां अफीम की खेती या किसी तरह के मादक पदार्थ की सप्लाई खरीद-फरोख्त होने की सूचना मिलती है''- जितेंद्र कुमार, एडीजी पुलिस मुख्यालय

बिहार में फैला नारकोटिक्स का जाल
बिहार में फैले नारकोटिक्स के जाल को तोड़ने की दिशा में बिहार पुलिस लगातार काम कर रही है. हालांकि पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार इस बात को स्वीकारते हैं कि बिहार या अन्य राज्यों में मद्य निषेध लागू होगा, तो नारकोटिक्स की ओर लोग बढ़ेंगे. हालांकि पुलिस विभाग पहले से सतर्क है. आर्थिक अपराध इकाई की यूनिट एनडीपीएस और केंद्र सरकार की एजेंसी एनसीबी आपस में तालमेल बैठाकर इसके रोकथाम हेतु कार्य कर रही हैं.

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का आंकड़ा-2020
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का आंकड़ा-2020

पुलिस और इंटेलिजेंस काफी सजग
पुलिस मुख्यालय के अनुसार बिहार के कुछ जिले जैसे गया और कैमूर में जहां पर अफीम की खेती होती है. वहां पर समय-समय पर उस खेती को नष्ट भी किया जाता है. दूसरे राज्यों से शराब या ड्रग्स बिहार में ना पहुंच सके या बिहार होकर भी दूसरे राज्य ना जा सके इसको लेकर भी पुलिस और इंटेलिजेंस काफी सजग है.

ड्रग्स की ओर युवाओं का बढ़ा रुझान

ये भी पढ़ें- पूर्व मंत्री प्रेम कुमार को मंत्रिमंडल में नहीं मिली जगह, BJP कार्यकर्ताओं में रोष

ड्रग्स की ओर युवाओं का रुझान
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के बिहार झारखंड के ज्वाइंट डायरेक्टर कुमार मनीष ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि शराबबंदी के बाद नारकोटिक्स की ओर युवाओं का रुझान इन दिनों बढ़ता दिख रहा है. समय-समय पर नारकोटिक्स डिपार्टमेंट की तरफ से बिहार झारखंड सहित अन्य राज्यों में भी जागरूकता अभियान चलाया जाता है. इसमें युवा वर्ग और खासकर स्कूल कॉलेज के स्टूडेंट्स को इससे होने वाली प्रॉब्लम को अवगत कराया जाता है.

कुमार मनीष, एनसीबी के डायरेक्टर
कुमार मनीष, एनसीबी के डायरेक्टर

''एनसीबी के साथ-साथ और विभिन्न एजेंसियों के सहयोग से विगत वर्षों में इस पर अंकुश लगाने हेतु कई तरह के नशीले पदार्थ के साथ-साथ इसके सप्लायर को भी गिरफ्तार किया गया है, ताकि इसका ट्रैफिकिंग कंट्रोल किया जा सके''- कुमार मनीष, एनसीबी के डायरेक्टर

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का आंकड़ा-2021
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का आंकड़ा-2021

ड्रग सप्लायरर्स पर शिकंजा
समाज को जागरूक होने की जरूरत है. नारकोटिक्स देश ही नहीं विदेश की भी समस्या है. भारत के 2 पड़ोसी देश है. वहां से भी नारकोटिक्स ट्रैफिकिंग के जरिए ये देश के विभिन्न राज्यों तक पहुंचता है. इसके लिए बिहार और झारखंड के रूट का इस्तेमाल किया जाता है. शराब व्यवसायियों के साथ-साथ ड्रग सप्लायर के ऊपर भी शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है.

ये भी पढ़ें- नीतीश कुमार की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक, 10 एजेंडों पर लगी मुहर

पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार के मुताबिक शराब के धंधे पर ब्रेक लगाने और ड्रग्स सप्लायर को पकड़ने की कोशिश की जा रही है. राज्य के बाहर से बड़ी खेप में आने वाली शराब और उसके सप्लायर को पकड़ने के लिए काम किया जा रहा है. मद्य निषेध इकाई खुद को अपडेट करने के साथ-साथ एक ऐसा तंत्र भी विकसित करने में लगा है, जो गुप्त सूचनाओं को तैयार कर नारकोटिक्स या एसटीएफ के तर्ज पर काम कर सके.

डॉ. मनोज सिन्हा
डॉ. मनोज सिन्हा

''शराबबंदी के बाद बिहार में इन दिनों खासकर युवा वर्ग ड्रग्स या गांजा की तरफ लोगों का झुकाव ज्यादा बढ़ गया है. युवा वर्ग को खासकर ये समझने की जरूरत है कि शराब हो या ड्रग्स नुकसान खुद का ही होता है. हमारे पास कई ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनमें युवा ड्रग्स के शिकार हो गए हैं. ऐसे लोग हाइपर मूड के हो गए हैं. यहां तक की ड्रग्स के शिकार युवक के ड्रग्स लेने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं''- डॉ. मनोज सिन्हा

पड़ोसी राज्यों से हो रही तस्करी
जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, यूपी और हरियाणा राज्यों की सरकारों से आपसी तालमेल स्थापित कर बिहार में शराब और ड्रग्स भेजने वाले स्मगलर को पकड़ने की कोशिश की जाएगी. बिहार में इन्हीं राज्यों से शराब आ रही है. 2 फरवरी को भी आर्थिक अपराध इकाई द्वारा गुप्त सूचना के आधार पर 253 किलो गांजा, चार पहिया वाहन और तीन पुलिसकर्मी सहित दो अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है.

Last Updated : Feb 9, 2021, 7:14 PM IST
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