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विश्व एड्स दिवस: स्वास्थ्य मंत्री ने मरीजों को दिया 35 करोड़, 7 जिलों में खुले एआरटी सेंटर - नेशनल ऐड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन

एड्स की जांच के लिए 7 जिलों में एआरटी सेंटर खोला गया. मंगल पांडेय ने पहले से चल रहे 20 एआरटी सेंटरों से चिकित्सीय सुविधा प्राप्त कर रहे 26392 मरीजों को डीबीटी के माध्यम से 35 करोड़ 63 लाख रुपए ट्रांसफर किया.

world aids day
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Published : Dec 1, 2020, 9:52 PM IST

Updated : Dec 15, 2020, 7:32 PM IST

पटना: विश्व एड्स दिवस के मौके पर मंगलवार को एड्स के प्रति जागरूकता को लेकर वैश्विक एकजुटता साझा जिम्मेदारी कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें एड्स की जांच के लिए 7 जिलों में एआरटी सेंटर खोला गया. अब बिहार में 27 जिलों में एआरटी सेंटर शुरू हो गए हैं. इन सेंटरों पर एड्स की जांच के साथ-साथ मरीजों को दवाएं भी दी जा रही हैं. जिन 7 जिलों में एआरटी सेंटर खोले गए हैं वे सुपौल, जमुई, नालंदा, कैमूर, मुंगेर, सिवान और पूर्णिया हैं.

देखें रिपोर्ट

कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने पहले से चल रहे 20 एआरटी सेंटरों से चिकित्सीय सुविधा प्राप्त कर रहे 26392 एड्स मरीजों को डीबीटी के माध्यम से 35 करोड़ 63 लाख रुपए ट्रांसफर किया. कार्यक्रम में बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति की तरफ से जानकारी दी गई कि पिछले साल 2234637 गर्भवती महिलाओं का एचआईवी जांच किया गया था, जिसमें 548 रिएक्टिव मिली थी. 2020 में कोरोना के कारण जांच प्रभावित हुआ. अक्टूबर तक 960744 गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच की गई, जिसमें 200 रिएक्टिव मिली.

एड्स से घबराने की नहीं, सतर्क रहने की जरूरत
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि एड्स मरीजों को ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है. उन्हें नियमित रूप से चिकित्सीय परामर्श में रहने की जरूरत है. हमें एड्स से सतर्क रहने की जरूरत है. जिन कारणों से यह संक्रमण फैलता है उससे बचाव की कोशिश करनी चाहिए. सरकार अपने संसाधनों के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा एड्स पीड़ित मरीजों की पहचान करने में जुटी है ताकि उन्हें दवा और उचित इलाज मुहैया कराई जा सके.

डॉक्टर के पास जाने में देर होने पर बढ़ जाती है परेशानी
बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के संयुक्त निदेशक डॉ. मनोज सिन्हा ने कहा कि एचआईवी से संक्रमित होने के बाद व्यक्ति के शरीर के अंदर परेशानी आनी शुरू हो जाती है. अगर मरीज सही समय पर डॉक्टर के पास जाता है तो वह स्वस्थ्य और बेहतर जीवन जी सकता है. अगर मरीज डॉक्टर के पास जाने में देर करता है तो उसकी परेशानी बढ़ सकती है. इसलिए एचआईवी का कोई भी लक्षण नजर आए तो लोगों को एआरटी सेंटरों पर जाकर अपनी जांच करानी चाहिए. अगर रिएक्टिव पाए जाते हैं तो सेंटर से मिलने वाली निशुल्क दवा प्राप्त करें.

विभिन्न एआरटी से जिन मरीजों की दवा चल रही है उनकी संख्या 62600 है. एक अनुमान के मुताबिक लगभग 112000 लोग ऐसे हैं जो एचआईवी से संक्रमित हो सकते हैं. सरकार की तरफ से ऐसे लोगों को चिह्नित कर उनकी जांच करा इलाज कराने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है.

युवाओं में बढ़ रहा संक्रमण
मनोज सिन्हा ने बताया कि हाल के दिनों में बिहार में 16 से 24 साल के यूथ एचआईवी के अधिक संक्रमित मिल रहे हैं. इसका प्रमुख कारण युवाओं में एड्स के प्रति जागरूकता का अभाव है. यह भी देखने को मिला है कि शराबबंदी के बाद युवाओं ने इंजेक्टिव ड्रग्स लेना शुरू किया है. इससे भी संक्रमण फैल रहा है.

बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति बिहार सरकार, नेशनल ऐड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन, भारत सरकार और यूनिसेफ के संयुक्त तत्वधान में पटना में एड्स के प्रति जागरूकता के लिए वैश्विक एकजुटता साझा जिम्मेदारी कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और विशिष्ट अतिथि स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत थे.

पटना: विश्व एड्स दिवस के मौके पर मंगलवार को एड्स के प्रति जागरूकता को लेकर वैश्विक एकजुटता साझा जिम्मेदारी कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें एड्स की जांच के लिए 7 जिलों में एआरटी सेंटर खोला गया. अब बिहार में 27 जिलों में एआरटी सेंटर शुरू हो गए हैं. इन सेंटरों पर एड्स की जांच के साथ-साथ मरीजों को दवाएं भी दी जा रही हैं. जिन 7 जिलों में एआरटी सेंटर खोले गए हैं वे सुपौल, जमुई, नालंदा, कैमूर, मुंगेर, सिवान और पूर्णिया हैं.

देखें रिपोर्ट

कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने पहले से चल रहे 20 एआरटी सेंटरों से चिकित्सीय सुविधा प्राप्त कर रहे 26392 एड्स मरीजों को डीबीटी के माध्यम से 35 करोड़ 63 लाख रुपए ट्रांसफर किया. कार्यक्रम में बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति की तरफ से जानकारी दी गई कि पिछले साल 2234637 गर्भवती महिलाओं का एचआईवी जांच किया गया था, जिसमें 548 रिएक्टिव मिली थी. 2020 में कोरोना के कारण जांच प्रभावित हुआ. अक्टूबर तक 960744 गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच की गई, जिसमें 200 रिएक्टिव मिली.

एड्स से घबराने की नहीं, सतर्क रहने की जरूरत
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि एड्स मरीजों को ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है. उन्हें नियमित रूप से चिकित्सीय परामर्श में रहने की जरूरत है. हमें एड्स से सतर्क रहने की जरूरत है. जिन कारणों से यह संक्रमण फैलता है उससे बचाव की कोशिश करनी चाहिए. सरकार अपने संसाधनों के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा एड्स पीड़ित मरीजों की पहचान करने में जुटी है ताकि उन्हें दवा और उचित इलाज मुहैया कराई जा सके.

डॉक्टर के पास जाने में देर होने पर बढ़ जाती है परेशानी
बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के संयुक्त निदेशक डॉ. मनोज सिन्हा ने कहा कि एचआईवी से संक्रमित होने के बाद व्यक्ति के शरीर के अंदर परेशानी आनी शुरू हो जाती है. अगर मरीज सही समय पर डॉक्टर के पास जाता है तो वह स्वस्थ्य और बेहतर जीवन जी सकता है. अगर मरीज डॉक्टर के पास जाने में देर करता है तो उसकी परेशानी बढ़ सकती है. इसलिए एचआईवी का कोई भी लक्षण नजर आए तो लोगों को एआरटी सेंटरों पर जाकर अपनी जांच करानी चाहिए. अगर रिएक्टिव पाए जाते हैं तो सेंटर से मिलने वाली निशुल्क दवा प्राप्त करें.

विभिन्न एआरटी से जिन मरीजों की दवा चल रही है उनकी संख्या 62600 है. एक अनुमान के मुताबिक लगभग 112000 लोग ऐसे हैं जो एचआईवी से संक्रमित हो सकते हैं. सरकार की तरफ से ऐसे लोगों को चिह्नित कर उनकी जांच करा इलाज कराने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है.

युवाओं में बढ़ रहा संक्रमण
मनोज सिन्हा ने बताया कि हाल के दिनों में बिहार में 16 से 24 साल के यूथ एचआईवी के अधिक संक्रमित मिल रहे हैं. इसका प्रमुख कारण युवाओं में एड्स के प्रति जागरूकता का अभाव है. यह भी देखने को मिला है कि शराबबंदी के बाद युवाओं ने इंजेक्टिव ड्रग्स लेना शुरू किया है. इससे भी संक्रमण फैल रहा है.

बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति बिहार सरकार, नेशनल ऐड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन, भारत सरकार और यूनिसेफ के संयुक्त तत्वधान में पटना में एड्स के प्रति जागरूकता के लिए वैश्विक एकजुटता साझा जिम्मेदारी कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और विशिष्ट अतिथि स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत थे.

Last Updated : Dec 15, 2020, 7:32 PM IST
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