पटना: रास्ते की बाधाएं कमजोरों के लिए रुकावट होती हैं. मजबूत इरादे वाले बाधाओं को कुछ नया करने के लिए प्रेरणा बना लेते हैं. ऐसा ही उदाहरण बिहार के वैशाली जिले के लालगंज प्रखंड की बेटियों ने पेश किया है. संगीता और उनके पति मशरूम की खेती करते हैं. इनकी दो बेटियों (भावना और निधि) ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है.
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कोरोना संक्रमण के चलते पिछले साल मार्च में देशभर में लॉकडाउन लगा था. लॉकडाउन के चलते कारोबारी गतिविधियां ठप्प पड़ गईं थी. मशरूम की खेती कर रहीं संगीता के लिए यह समय चुनौती की तरह थी. लॉकडाउन के चलते वह मशरूम को बाजार में बेच नहीं पा रहीं थी. घर में रखने पर मशरूम खराब हो जाता. ऐसे वक्त में उनकी बेटियों ने मशरूम के विभिन्न प्रोडक्ट बनाने का फैसला किया, जिससे मशरूम को खराब होने से पहले इस्तेमाल कर लिया जाए और आमदनी भी अधिक हो.
मशरूम से बना रहीं आठ प्रोडक्ट
भावना व निधि आज अपने माता-पिता के साथ मिलकर मशरूम के उत्पादों का कारोबार कर रहीं हैं. वे मशरूम को सुखाकर उसका पाउडर बनाकर उससे अदौड़ी, फुलौड़ी, भुजिया, बिस्किट, टॉफी जैसे उत्पाद बनाकर बेचती हैं. इसस कच्चे मशरूम की तुलना में अधिक आमदनी होती है. संगीता का कहना है कि हमलोग मशरूम को अच्छे से धूप में सुखाकर उसका पाउडर बनाते हैं. उस पाउडर से कई प्रोडक्ट तैयार करते हैं. लोग इन्हें पसंद कर रहे हैं. स्वाद में अच्छा होने के साथ ये सेहत के लिए भी अच्छे हैं.
भावना ने कहा कि आज हमलोग मशरूम से आठ तरह के प्रोडक्ट बनाते हैं. इससे हमें अपने घर में ही रोजगार मिला है. मुझे काम के लिए कहीं बाहर नहीं जाना पड़ा. निधि ने कहा कि मैं अभी पढ़ाई कर रही हूं. मैं खुद का बिजनेस करना चाहती थी. मुझे किसी के अधीन काम नहीं करना था. हमलोग गांव के दूसरे लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं.