पटना: बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र 5 दिनों का था. सदन की कार्यवाही दूसरे दिन से ही छपरा जहरीली शराब मौत मामले को लेकर हंगामेदार (uproar in House) होने लगा और अंतिम दिन तक यह मुद्दा छाया रहा है. हंगामे के बीच ही सरकार की ओर से सदन में 7 विधेयक को पास कराया गया.19048 करोड़ का द्वितीय अनुपूरक बजट भी पास करा लिया. जैसे तैसे प्रश्नकाल में कुछ प्रश्नों का सदन के अंदर जवाब हुआ.सदन की कार्यवाही जन गण मन से तो जरूर शुरू हुई लेकिन समापन वंदे मातरम से नहीं हुआ.
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विपक्ष को पक्ष रखने का मौका नहींः बिहार विधानसभा में 843 प्रश्न लाए गए थे. इसमें से 978 प्रश्न स्वीकृत हुए जिसमें 678 प्रश्नों में कुल 30 अनुसूचित प्रश्न थे जिनमें 26 के उत्तर प्राप्त हुए. सत्र में कुल 96 ध्यानाकर्षण इसमें आठ स्वीकृत हुए एक आशीष सूचनाएं लिखित उत्तर के लिए विभागों को भेजे गए. शीतकालीन सत्र में 136 निवेदन प्राप्त हुए जिसमें 132 स्वीकृत हुए याचिकाएं प्राप्त हुईं. छोटा सत्र होने के बावजूद सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कहा कि सत्र बहुत उपयोगी रहा. वहीं बीजेपी ने कहा कि सदन की कार्यवाही में जिन महत्वपूर्ण मुद्दों की चर्चा होनी चाहिए थी उसकी चर्चा नहीं हुई. सदन में विपक्ष को पक्ष रखने नहीं दिया गया.
'सरकार के इशारे पर वंदे मातरम के समापन की परंपरा को तोड़ा गया. यह काला दिन रहा. विपक्ष का ध्यानाकर्षण नहीं लाया गया. सरकार मनमानी कर रही है'- विजय सिन्हा, विरोधी दल के नेता
ये विधेयक कराये गये पासः
- बिहार विशेष न्यायालय संशोधन विधेयक 2022
- बिहार लोकायुक्त संशोधन विधेयक 2022
- बिहार माल और सेवा कर संशोधन विधेयक 2022
- बिहार विनियोग अधिकारी विधेयक 2022
- बिहार तकनीकी सेवा आयोग संशोधन विधेयक 2022
- बिहार नगरपालिका संशोधन विधेयक 2022
- बिहार विनियोग विधेयक 2022
बीजेपी पर निशाना साधाः सत्ता पक्ष के सदस्यों ने शीतकालीन सत्र को उपलब्धियों भरा बताया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक विजय शंकर दुबे ने कहा कि कई प्रश्नों का उत्तर हुआ जहरीली शराब मामले पर भी चर्चा होनी चाहिए थी. वहीं आरजेडी के विधायक रामवृक्ष सदा ने कहा सत्र में जनता से जुड़े प्रश्नों का जवाब हुआ तो वहीं माले के सदस्य संदीप सौरभ ने कहा बीजेपी हंगामा नहीं करती तो और बेहतर ढंग से प्रश्नों का उत्तर होता. उनके भी प्रश्न का जवाब सही ढंग से होता. सत्ता पक्ष के सदस्यों ने वंदे मातरम से समापन नहीं होने पर अपनी सफाई भी दी तो वहीं बीजेपी के सदन में विरोधी दल के नेता विजय सिन्हा ने इसे काला दिन बताते हुए कहा कि सरकार के इशारे पर वंदे मातरम के समापन की परंपरा को तोड़ा गया.