पटना: आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (RJD President Lalu Prasad Yadav) ने अपने दो सालों साधु यादव (Sadhu Yadav) और सुभाष यादव (Subhash Yadav) को किनारे कर पार्टी की खोई प्रतिष्ठा तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के जरिए हासिल कर ली है. तेजस्वी ने भी सूझबूझ का परिचय देते हुए आरजेडी को एक तरीके से संभाल लिया है, लेकिन उनकी राह में तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) लगातार रोड़े अटका रहे हैं.
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लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव पार्टी में सीनियर नेताओं को लगातार अपमानित करते रहे हैं. पहले प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे को कई बार तेज प्रताप ने अपमानित किया. दिवंगत नेता रघुवंश प्रसाद सिंह भी कई बार तेज प्रताप के बयान से आहत हुए थे.
इन दिनों तेज प्रताप के निशाने पर प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी (Shivanand Tiwari) हैं. दोनों नेताओं को वे लगातार अपमानित करते रहते हैं, लेकिन इस बार जगदा बाबू भी झुकने के लिए तैयार नहीं हैं.
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पहले तेजस्वी यादव लालू यादव से मिलने दिल्ली निकल गए तो वहीं अब तेज प्रताप भी दिल्ली रवाना हो चुके हैं. दोनों पिता से मिलकर अपनी-अपनी बात रखेंगे.
किसी जमाने में लालू प्रसाद यादव की छवि को उनके दो सालों सुभाष यादव और साधु यादव ने खराब करने का काम किया था. बाद में लालू यादव ने दोनों को पार्टी और परिवार से किनारा कर दिया. अब तेज प्रताप भी लगातार पार्टी और परिवार के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या अब बारी तेजप्रताप की होगी?
बीजेपी नेता और बिहार सरकार के मंत्री आलोक रंजन झा (Alok Ranjan Jha) कहते हैं कि आरजेडी परिवार में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है. पहले भाई-बहन में वर्चस्व की लड़ाई हुई और अब भाई-भाई में लड़ाई है. जाहिर है जो जीतेगा, वही पार्टी संभालेगा.
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हालांकि तेजस्वी और तेज प्रताप विवाद पर आरजेडी के तमाम नेताओं ने चुप्पी साध रखी है. पार्टी दफ्तर में एक और जहां प्रवक्ता नहीं पहुंचे तो वहीं कोई भी नेता इस विवाद पर बोलने से बच रहा है.
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि तेज प्रताप यादव अब लालू परिवार के लिए संकट बनते जा रहे हैं. हालांकि वे ये भी कहते हैं कि लालू यादव के लिए तेज प्रताप पर कार्रवाई करना आसान नहीं होगा.