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धरातल पर कब उतरेगा मोहल्ला क्लीनिक, अब तक प्रारूप भी नहीं हुआ तैयार

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Published : Aug 3, 2021, 8:58 PM IST

Updated : Aug 3, 2021, 9:15 PM IST

पटना नगर निगम ने मोहल्ला क्लीनिक का लोगों को सपना तो दिखा दिया, लेकिन उसे आज तक पूरा नहीं किया गया है. राजधानी में जहां पीएचसी नहीं हैं, उन इलाकों में मोहल्ला क्लीनिक खोलने की योजना है. लेकिन अब तक इसका प्रारूप तक तैयार नहीं किया गया है.

मोहल्ला क्लीनिक
मोहल्ला क्लीनिक

पटना: नगर निगम ने मोहल्ला क्लीनिक (Mohalla Clinic) शुरू करने का निर्णय लिया था. लेकिन यह निर्णय सिर्फ हवा-हवाई दिख रहा है. फरवरी 2021 को पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) की तरफ से यह दावा किया गया था कि पटना शहर में मोहल्ला क्लीनिक खोला जाएगा. जहां सस्ते दरों पर शहरवासियों का इलाज हो सकेगा. 6 माह बीत गए लेकिन अभी तक मोहल्ला क्लीनिक का कॉन्सेप्ट निगम प्रशासन का कहीं धरातल पर दिख नहीं रहा है.

यह भी पढ़ें- सदन में बोले मंगल पांडे- हमने ठाना है, 50 सालों की खराब स्वास्थ्य व्यवस्था से बिहार को निकालेंगे बाहर

दिल्ली की तर्ज पर पटना शहर में भी कम पैसे में लोग इलाज करा सकें, इसके लिए मोहल्ला क्लीनिक खोलने का निर्णय लिया गया था. मेयर सीता साहू की अध्यक्षता में फरवरी माह में हुई स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया था. लेकिन अभी तक इस योजना की सुगबुगाहट भी कहीं दिख नहीं रही है.

कोरोना काल के दौरान सबसे अधिक लचर व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग की देखी गई थी. संक्रमण काल के दौरान लोगों को अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही थी. अस्पतालों का अभाव था. जिसको लेकर नगर निगम ने फैसला लिया था कि अब शहर में दिल्ली के तर्ज पर मोहल्ला क्लीनिक खोला जाए. ताकि शहरवासी सस्ते दरों पर अपने किसी भी बीमारी का उपचार करवा सकें.

देखें रिपोर्ट

इस मोहल्ला क्लीनिक में नगर निगम के कर्मचारियों के साथ उनके परिजनों को भी सस्ते दरों पर इलाज की सुविधा मिलेगी. इसके अलावा मोहल्ला क्लीनिक में आम जनता का भी इलाज कराने की व्यवस्था करने की व्यवस्था होगी. ट्रायल को लेकर पहले पटना शहर में तीन जगह मोहल्ला क्लीनिक खोलने का निगम प्रशासन ने फैसला लिया था. यदि मोहल्ला क्लीनिक का फीडबैक अच्छा रहा तो हर वार्डों में मोहल्ला क्लीनिक खोलने का निगम प्रशासन विचार करती.

6 महीने बीत गए लेकिन अभी तक एक भी मोहल्ला क्लीनिक खोलने पर निगम प्रशासन के तरफ से कोई सुगबुगाहट नहीं दिख रही है. पटना नगर निगम के नगर सचिव द्वारा मेयर को पत्र लिखा गया था कि सशक्त स्थाई समिति की 48वीं सर्वसाधारण बैठक में इस योजना पर मंथन किया जाए. बैठक को लेकर नगर निगम के सभी शाखाओं से इसकी जानकारी भी मांगी गई. इस क्रम में योजना शाखा से भी पटना में मोहल्ला क्लीनिक खोलने के संबंध में जानकारी मांगी गई थी.

फिर भी अभी यह योजना अधर में ही दिख रही है. मोहल्ला क्लीनिक खोलने में देरी को लेकर नगर निगम के अधिकारी तर्क देने में लगे हुए हैं. पटना नगर निगम के स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य इंद्रदीप चंद्रवंशी ने वित्तीय संकट का हवाला देने में लगे हुए हैं.

उन्होंने बताया कि सरकार के तरफ से जो हमें फाइनेंशियल ईयर के जो रुपए मिलते हैं, वे रुपए अभी आधे-अधूरे ही मिले हैं. जिसकी वजह से काम करने में कठिनाई आ रही है. पटना शहर में मोहल्ला क्लीनिक को लेकर पटना नगर निगम की तरफ से पीपी मोड पर खोलने का निर्णय लिया गया था. लेकिन अभी तक एजेंसियों का चयन नहीं हो सका. जिसकी वजह से योजना धरातल पर नहीं दिख रही है. साथ ही कोरोना संक्रमण के दौरान होने वाली परेशानियों को लेकर हवाला देने में लगे हुए हैं.

'मोहल्ला क्लीनिक का कॉन्सेप्ट अभी भी हमारी नजरों में हैं. आने वाले समय में इस योजना को धरातल पर उतारने की पूरी कोशिश करेंगे.' -इंद्रदीप चंद्रवंशी, स्टैंडिंग सदस्य, पीएमसी

बताते चलें कि पटना शहर की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है. 2011 जनगणना के अनुसार पटना जिले की आबादी लगभग 12 हजार से अधिक हो गई है. आबादी अधिक होने की वजह से शहर में अस्पतालों की कमी नजर आ रही है. अस्पतालों की कमी को दूर करने के लिए पटना नगर निगम ने अपने इलाके में मोहल्ला क्लीनिक खोलने का निर्णय लिया था.

यह भी पढ़ें- देख लीजिए CM साहब... अस्पतालों में ना स्ट्रेचर है, ना ही एम्बुलेंस, बाइक से ढोये जा रहे हैं शव

चूंकि दिल्ली का मोहल्ला क्लीनिक पूरे देश के लिए मॉडल है. गरीबों के लिए मोहल्ला स्तर पर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने में यह हर प्रदेश के लिए आदर्श है. बिहार में भी मोहल्ला क्लीनिक के लिए केजरीवाल मॉडल अपनाने का यही उद्देश्य था कि हर मोहल्ले में गरीबों को इलाज मिल सके.

दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक के कई फायदे हैं. मोहल्ला क्लीनिक मॉडल का उद्देश्य लोगों को मुफ्त में स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराना है. इससे लोगों को दवाई के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा. मोहल्ले के लोगों को दवाइयों को लेकर बहुत अधिक परेशानी उठानी पड़ती थी. उन्हें स्थानों पर मोहल्ला क्लीनिक खुलने से समस्या का समाधान हो जाएगा. मोहल्ला क्लीनिक को प्राइमरी हेल्थ सेंटर कहा जा सकता है. यहां लोगों को सर्दी बुखार और अन्य तरह की बीमारियों का इलाज हो सके, इससे सरकारी अस्पतालों में छोटी समस्या को लेकर लगने वाले मरीजों की भीड़ भी कम होगी.

मोहल्ला क्लीनिक लोगों के मोहल्ले में ही एक छोटे से क्लीनिक के रूप में खोले जाते हैं. जिनमें बीमारी और गरीब लोगों का फ्री में इलाज किया जाता है. उन्हें बहुत ही कम पैसे में उचित स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. इस क्लीनिक में डॉक्टर की फीस, दवाई और टेस्ट मुफ्त सुविधा उपलब्ध कराई जाती है.

मोहल्ला क्लीनिक के लिए किसी बड़े भवन की जरूरत नहीं होती है बल्कि एक छोटे से ही भवन में क्लीनिक खोले जाते है. इस छोटे से कमरे में ओपीडी की व्यवस्था होती है. पटना में हर मोहल्ले में नगर निगम के पास ऐसी जगह है. जहां पर आसानी से इसकी शुरुआत की जा सकती है. पटना में स्वास्थ्य केंद्र का अभाव पटना शहर में स्वास्थ्य सेवा का बुरा हाल है.

मेडिकल कॉलेज और सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ के कारण सर्दी बुखार और अन्य छोटी बीमारियों के लिए लोगों को लंबी लाइन लगानी पड़ती है. शहरी स्वास्थ्य केंद्र की संख्या तो काफी कम है और कई मोहल्ले तो काफी दूर है. मोहल्ले में भी कोई बीमार होता है, तो लोगों को गार्डिनर रोड, पीएमसीएच, एनएमसीएच और अन्य सुपर स्पेशलिटी अस्पताल जाना पड़ता है. ऐसे में अगर मोहल्ला क्लीनिक होता है, तो लोगों की बड़ी परेशानी नहीं होगी.

यह भी पढ़ें- बीमार स्वास्थ्य व्यवस्था से बदहाल बिहार: हकीकत जानकर नीतीश ने दिल्ली में कराया इलाज ?

पटना: नगर निगम ने मोहल्ला क्लीनिक (Mohalla Clinic) शुरू करने का निर्णय लिया था. लेकिन यह निर्णय सिर्फ हवा-हवाई दिख रहा है. फरवरी 2021 को पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) की तरफ से यह दावा किया गया था कि पटना शहर में मोहल्ला क्लीनिक खोला जाएगा. जहां सस्ते दरों पर शहरवासियों का इलाज हो सकेगा. 6 माह बीत गए लेकिन अभी तक मोहल्ला क्लीनिक का कॉन्सेप्ट निगम प्रशासन का कहीं धरातल पर दिख नहीं रहा है.

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दिल्ली की तर्ज पर पटना शहर में भी कम पैसे में लोग इलाज करा सकें, इसके लिए मोहल्ला क्लीनिक खोलने का निर्णय लिया गया था. मेयर सीता साहू की अध्यक्षता में फरवरी माह में हुई स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया था. लेकिन अभी तक इस योजना की सुगबुगाहट भी कहीं दिख नहीं रही है.

कोरोना काल के दौरान सबसे अधिक लचर व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग की देखी गई थी. संक्रमण काल के दौरान लोगों को अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही थी. अस्पतालों का अभाव था. जिसको लेकर नगर निगम ने फैसला लिया था कि अब शहर में दिल्ली के तर्ज पर मोहल्ला क्लीनिक खोला जाए. ताकि शहरवासी सस्ते दरों पर अपने किसी भी बीमारी का उपचार करवा सकें.

देखें रिपोर्ट

इस मोहल्ला क्लीनिक में नगर निगम के कर्मचारियों के साथ उनके परिजनों को भी सस्ते दरों पर इलाज की सुविधा मिलेगी. इसके अलावा मोहल्ला क्लीनिक में आम जनता का भी इलाज कराने की व्यवस्था करने की व्यवस्था होगी. ट्रायल को लेकर पहले पटना शहर में तीन जगह मोहल्ला क्लीनिक खोलने का निगम प्रशासन ने फैसला लिया था. यदि मोहल्ला क्लीनिक का फीडबैक अच्छा रहा तो हर वार्डों में मोहल्ला क्लीनिक खोलने का निगम प्रशासन विचार करती.

6 महीने बीत गए लेकिन अभी तक एक भी मोहल्ला क्लीनिक खोलने पर निगम प्रशासन के तरफ से कोई सुगबुगाहट नहीं दिख रही है. पटना नगर निगम के नगर सचिव द्वारा मेयर को पत्र लिखा गया था कि सशक्त स्थाई समिति की 48वीं सर्वसाधारण बैठक में इस योजना पर मंथन किया जाए. बैठक को लेकर नगर निगम के सभी शाखाओं से इसकी जानकारी भी मांगी गई. इस क्रम में योजना शाखा से भी पटना में मोहल्ला क्लीनिक खोलने के संबंध में जानकारी मांगी गई थी.

फिर भी अभी यह योजना अधर में ही दिख रही है. मोहल्ला क्लीनिक खोलने में देरी को लेकर नगर निगम के अधिकारी तर्क देने में लगे हुए हैं. पटना नगर निगम के स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य इंद्रदीप चंद्रवंशी ने वित्तीय संकट का हवाला देने में लगे हुए हैं.

उन्होंने बताया कि सरकार के तरफ से जो हमें फाइनेंशियल ईयर के जो रुपए मिलते हैं, वे रुपए अभी आधे-अधूरे ही मिले हैं. जिसकी वजह से काम करने में कठिनाई आ रही है. पटना शहर में मोहल्ला क्लीनिक को लेकर पटना नगर निगम की तरफ से पीपी मोड पर खोलने का निर्णय लिया गया था. लेकिन अभी तक एजेंसियों का चयन नहीं हो सका. जिसकी वजह से योजना धरातल पर नहीं दिख रही है. साथ ही कोरोना संक्रमण के दौरान होने वाली परेशानियों को लेकर हवाला देने में लगे हुए हैं.

'मोहल्ला क्लीनिक का कॉन्सेप्ट अभी भी हमारी नजरों में हैं. आने वाले समय में इस योजना को धरातल पर उतारने की पूरी कोशिश करेंगे.' -इंद्रदीप चंद्रवंशी, स्टैंडिंग सदस्य, पीएमसी

बताते चलें कि पटना शहर की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है. 2011 जनगणना के अनुसार पटना जिले की आबादी लगभग 12 हजार से अधिक हो गई है. आबादी अधिक होने की वजह से शहर में अस्पतालों की कमी नजर आ रही है. अस्पतालों की कमी को दूर करने के लिए पटना नगर निगम ने अपने इलाके में मोहल्ला क्लीनिक खोलने का निर्णय लिया था.

यह भी पढ़ें- देख लीजिए CM साहब... अस्पतालों में ना स्ट्रेचर है, ना ही एम्बुलेंस, बाइक से ढोये जा रहे हैं शव

चूंकि दिल्ली का मोहल्ला क्लीनिक पूरे देश के लिए मॉडल है. गरीबों के लिए मोहल्ला स्तर पर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने में यह हर प्रदेश के लिए आदर्श है. बिहार में भी मोहल्ला क्लीनिक के लिए केजरीवाल मॉडल अपनाने का यही उद्देश्य था कि हर मोहल्ले में गरीबों को इलाज मिल सके.

दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक के कई फायदे हैं. मोहल्ला क्लीनिक मॉडल का उद्देश्य लोगों को मुफ्त में स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराना है. इससे लोगों को दवाई के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा. मोहल्ले के लोगों को दवाइयों को लेकर बहुत अधिक परेशानी उठानी पड़ती थी. उन्हें स्थानों पर मोहल्ला क्लीनिक खुलने से समस्या का समाधान हो जाएगा. मोहल्ला क्लीनिक को प्राइमरी हेल्थ सेंटर कहा जा सकता है. यहां लोगों को सर्दी बुखार और अन्य तरह की बीमारियों का इलाज हो सके, इससे सरकारी अस्पतालों में छोटी समस्या को लेकर लगने वाले मरीजों की भीड़ भी कम होगी.

मोहल्ला क्लीनिक लोगों के मोहल्ले में ही एक छोटे से क्लीनिक के रूप में खोले जाते हैं. जिनमें बीमारी और गरीब लोगों का फ्री में इलाज किया जाता है. उन्हें बहुत ही कम पैसे में उचित स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. इस क्लीनिक में डॉक्टर की फीस, दवाई और टेस्ट मुफ्त सुविधा उपलब्ध कराई जाती है.

मोहल्ला क्लीनिक के लिए किसी बड़े भवन की जरूरत नहीं होती है बल्कि एक छोटे से ही भवन में क्लीनिक खोले जाते है. इस छोटे से कमरे में ओपीडी की व्यवस्था होती है. पटना में हर मोहल्ले में नगर निगम के पास ऐसी जगह है. जहां पर आसानी से इसकी शुरुआत की जा सकती है. पटना में स्वास्थ्य केंद्र का अभाव पटना शहर में स्वास्थ्य सेवा का बुरा हाल है.

मेडिकल कॉलेज और सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ के कारण सर्दी बुखार और अन्य छोटी बीमारियों के लिए लोगों को लंबी लाइन लगानी पड़ती है. शहरी स्वास्थ्य केंद्र की संख्या तो काफी कम है और कई मोहल्ले तो काफी दूर है. मोहल्ले में भी कोई बीमार होता है, तो लोगों को गार्डिनर रोड, पीएमसीएच, एनएमसीएच और अन्य सुपर स्पेशलिटी अस्पताल जाना पड़ता है. ऐसे में अगर मोहल्ला क्लीनिक होता है, तो लोगों की बड़ी परेशानी नहीं होगी.

यह भी पढ़ें- बीमार स्वास्थ्य व्यवस्था से बदहाल बिहार: हकीकत जानकर नीतीश ने दिल्ली में कराया इलाज ?

Last Updated : Aug 3, 2021, 9:15 PM IST
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