पटना: राज्य में गर्मी बढ़ते ही कई जिलों में पेयजल की समस्या होने लगती है. ये समस्या पिछले कई दशकों हो रही है. इसी समस्या से बचने कि लिए 2 साल पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में जल जीवन हरियाली अभियान की शुरुआत की थी.
जल जीवन हरियाली अभियान के तहत 3 वर्षों में 24,500 करोड़ रुपये खर्च करने का अनुमान रखा गया है. इसके योजना के जरिए राज्य में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को रोकने, भूजल स्तर को सुधारने और पेयजल संकट को दूर करने पर जोर दिया जाएगा.
साझा अभियान
इस अभियान के तहत भूजल स्रोतों को पुनर्जिवित करने का लक्ष्य रखा गया. इसमें 1 लाख 10 हजार भूजल स्रोतों को चिन्हित किया गया. इनमें जो कि जल स्रोत मृत हो चुके हैं उसे पुनर्जिवत करने और जो अतिक्रमित हो चुके हैं उसे अतिक्रमण से मुक्त करवाया जा रहा है. वहीं, तमाम जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने और अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग और ग्रामीण विकास विभाग की ओर से साझा अभियान चलाया जा रहा है.
जलस्तर में होगी सुधार
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री रामसूरत राय ने बताया कि पिछले साल कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण इस अभियान में रुकावट आई थी. लेकिन यह बिहार सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है, इस पर फिर से काम शुरू कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि अगर इस वर्ष भी ज्यादा परेशानी नहीं होगी तो राज्य के तमाम जलाशयों और सरकारी जल स्रोतों को अतिक्रमण मुक्त करवा लिया जाएगा. इससे जलस्तर में सुधार होगी.
कार्यों की होगी समीक्षा
इसके अलावा ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि वो अब लगातार विभाग के कार्यों की समीक्षा करेंगे और जल जीवन हरियाली में कितना काम हुआ है इसकी भी जानकारी लेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि जल जीवन हरियाली काफी महत्वपूर्ण योजना है. इसके तहत जितने भी काम किए जा रहे हैं, वो जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने वाले हैं.
ये जिले हैं प्रभावित
बता दें कि जल संकट प्रभावित वाले प्रमुख जिलों में अरवल, जहानाबाद, कैमूर, जमुई, रोहतास, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, पटना, गोपालगंज, खगड़िया, सीवान, नवादा और पश्चिमी चंपारण शामिल है.