पटना: बिहार में चुनावी साल में महापरुषों की जयंती को लेकर बोट बैंक की खूब सियासत (Vote bank politics of JDU) हो रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार के स्तर पर राजकीय समारोह की लगातार घोषणा कर रहे हैं. महाराणा प्रताप और राम लखन सिंह यादव की जयंती की राजकीय समारोह के रूप में मनाने की घोषणा इसी साल हुई है. वहीं एक दिन पहले भामाशाह जयंती का भी राजकीय समारोह करने पर कैबिनेट की मुहर लगी है. वहीं जदयू की तरफ से पहली बार एक के बाद एक बड़े कार्यक्रम जयंती के अवसर पर आयोजित किए जा रहे हैं. 23 अप्रैल को वीर कुंवर सिंह और भामाशाह की जयंती पर भी जदयू की ओर से कार्यक्रम कर खास वर्ग को मैसेज देने की पार्टी की ओर से कोशिश होगी.
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महापुरुषों की जयंती पर सियासतः महापुरुषों की जयंती और पुण्यतिथि पर पहले भी बिहार में सियासत होती रही है. सभी दलों की ओर से कार्यक्रम भी होते रहे हैं और इसके पीछे बड़ा कारण वोट बैंक ही रहा है. लोकसभा चुनाव में 1 साल का समय बचा है. बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश विपक्षी एकजुटता के लिए भी प्रयास कर रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ महापुरुषों की जयंती को राजकीय समारोह के रूप में मनाने के लिए कैबिनेट से स्वीकृति भी ले रहे हैं. पहली बार सम्राट अशोक की जयंती राजकीय समारोह के रूप में मनाई गई. महाराणा प्रताप की जयंती भी राजकीय समारोह के रूप में पहली बार मनाई गई. राम लखन सिंह यादव की जयंती भी राजकीय समारोह के रूप में आयोजित की गई और अब 29 अप्रैल को भामाशाह की जयंती भी पहली बार राजकीय समारोह के रूप में मनाई जाएगी.
नीतीश कुमार कर रहे राजकीय समारोह की घोषणाः राजकीय समारोह की घोषणा कर नीतीश कुमार सरकार के स्तर से अपना मैसेज दे रहे हैं और उस वर्ग की मांग को पूरा कर रहे हैं. वहीं उन्होंने पार्टी के स्तर पर महापुरुषों की जयंती पहली बार बड़े स्तर पर कराने का निर्देश दिया और जदयू की ओर से लगातार कार्यक्रम हो रहे हैं. कर्पूरी ठाकुर की जयंती, महाराणा प्रताप की जयंती, बाबा साहेब की जयंती, सम्राट अशोक की जयंती पर जदयू की ओर से पहली बार बड़े कार्यक्रम आयोजित किए गए. अब वीर कुंवर सिंह की जयंती और भामाशाह की जयंती पर भी बड़े कार्यक्रम जदयू की तरफ से किए जा रहे हैं. दोनों महापुरुषों की जयंती जदयू की तरफ से एक ही दिन 23 अप्रैल को मनाने की तैयारी हो रही है.
वैश्य समाज के लिए नीतीश कुमार महाराणा प्रतापः पार्टी की ओर से पहली बार भामाशाह जयंती आयोजित करने की पूरी जिम्मेदारी वैश्य समाज से आने वाले पार्टी के विधान पार्षद ललन सर्राफ को दी गई है. ललन सर्राफ के अनुसार भामाशाह जयंती के माध्यम से हम लोग वैश्य समाज के लोगों को यह संदेश देना चाहते हैं कि जिस प्रकार से भामाशाह के लिए महाराणा प्रताप थे. उसी प्रकार नीतीश कुमार हम लोगों के लिए महाराणा प्रताप जैसे हैं. ललन सर्राफ का यह भी कहना है कि हम लोग सभी जिले से लोगों को लाने की तैयारी कर रहे हैं और उन्हें हम बताएंगे कि 2024 लोकसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को कैसे एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं और संगठन के बारे में उन्हें बताएंगे.
"भामाशाह जयंती के माध्यम से हम लोग वैश्य समाज के लोगों को यह संदेश देना चाहते हैं कि जिस प्रकार से भामाशाह के लिए महाराणा प्रताप थे. उसी प्रकार नीतीश कुमार हम लोगों के लिए महाराणा प्रताप जैसे हैं. हम लोग सभी जिले से लोगों को लाने की तैयारी कर रहे हैं और उन्हें हम बताएंगे कि 2024 लोकसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को कैसे एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं और संगठन के बारे में उन्हें बताएंगे"- ललन सर्राफ, विधान पार्षद और आयोजक, भामाशाह जयंती
बीजेपी का आरोप, जयंती समारोह सिर्फ वोटबैंक की राजनीतिः जदयू प्रवक्ता भारती मेहता का कहना है कि ऐसा नहीं है कि वोट बैंक के लिए जयंती का आयोजन पार्टी कर रही है अब भामाशाह जैसे महापुरुष जिन्होंने महाराणा प्रताप के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया महाराणा प्रताप को तो पूरी दुनिया जानती है लेकिन भामाशाह को लोग नहीं जानते हैं और इसलिए पूरा राष्ट्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ऋणी रहेगा कि भामाशाह जैसे महापुरुषों की जयंती राजकीय समारोह के रूप में मनाने का फैसला लिया है. राजकीय समारोह की घोषणा और जदयू के तरफ से बड़े कार्यक्रम जयंती पर किए जाने को लेकर बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि नीतीश कुमार केवल वोट बैंक के लिए ही यह सब कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि महापुरुषों को सम्मान देना चाहते हैं. सम्मान तो केवल बीजेपी देती है.
"ऐसा नहीं है कि वोट बैंक के लिए जयंती का आयोजन पार्टी कर रही है अब भामाशाह जैसे महापुरुष जिन्होंने महाराणा प्रताप के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया महाराणा प्रताप को तो पूरी दुनिया जानती है लेकिन भामाशाह को लोग नहीं जानते हैं और इसलिए पूरा राष्ट्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ऋणी रहेगा कि भामाशाह जैसे महापुरुषों की जयंती राजकीय समारोह के रूप में मनाने का फैसला लिया है" - भारती मेहता, प्रवक्ता, जदयू
'मुख्यमंत्री सबके लिए काम करते हैं': जदयू मंत्री श्रवण कुमार का कहना है की पार्टी की ओर से पहले भी जयंती और पुण्यतिथि मनाए जाते थे और पार्टी की यह नीति रही है कि महापुरुषों को उचित सम्मान मिले महात्मा गांधी, भीमराव अंबेडकर, जयप्रकाश नारायण, कर्पूरी ठाकुर और लोहिया के विचारों पर हम लोगों की पार्टी चलती है, लेकिन जिनका भी समाज में और देश में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उन सब का हम लोग जयंती और पुण्यतिथि के माध्यम से उन्हें याद करते हैं और उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प भी लेते हैं. इसे वोट की राजनीति से जोड़ने की जरूरत नहीं है. लेकिन यह मैसेज देने की कोशिश जरूर होती है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सबके लिए काम करते हैं. सबके लिए सोचते हैं.
हर वर्ग के महापुरुषों की जयंती के बहाने वोट बैंक साधने की कोशिशः ऐसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने कार्यकाल में जिन जिन महापुरुषों की जयंती राजकीय समारोह के रूप में मनाने का फैसला लिया है उसकी लंबी फेहरिस्त है. जिन महापुरुषों की जयंती राजकीय समारोह के रूप में पहले से मनाई जाती है, उनका भी इस बार जदयू के तरफ से बड़े कार्यक्रम कर एक मैसेज देने की कोशिश हुई है. नीतीश कुमार की ओर से कई महापुरुषों की जयंती राजकीय समारोह के रूप में मनाने का फैसला हाल में लिया गया है. उसमें सम्राट अशोक की जयंती के सहारे कुशवाहा समाज को साधने की कोशिश की गई. महाराणा प्रताप की जयंती के बहाने राजपूत समाज, राम लखन सिंह यादव की जयंती के सहारे यादव समाज और भामाशाह की जयंती के वैश्य समाज को साधने की कोशिश है.
"नीतीश कुमार केवल वोट बैंक के लिए ही यह सब कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि महापुरुषों को सम्मान देना चाहते हैं. सम्मान तो केवल बीजेपी देती है"- विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी