पटना : उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव (Assembly elections) होना है. इसके लिए सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हैं. बिहार की भी राजनीतिक पार्टी यूपी चुनाव को लेकर दिलचस्पी दिखाने में लगी हुई हैं. बिहार एनडीए में शामिल मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) यूपी में अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.
लखनऊ में खुलेगा वीआईपी का कार्यालय
बताया जा रहा है कि VIP (विकासशील इंसान पार्टी) 2 जुलाई को लखनऊ में पार्टी कार्यालय खोलकर चुनाव का शंखनाद करेगी. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) ने कहा 3 जुलाई को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आगे की रणनीति की जानकारी दी जाएगी. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मुकेश सहनी ने कहा कि पार्टी किन-किन मुद्दों को लेकर यूपी चुनाव लड़गी इसका खुलासा 3 जुलाई को प्रेस कॉन्फ्रेंस में की जाएगी.
बिहार विधानसभा चुनाव में वीआईपी (Vikassheel Insaan Party) की 4 सीटों पर जीत हुई थी. मुकेश सहनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. साथ ही बिहार सरकार में पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री हैं. मुकेश सहनी निषाद के लिए अलग से आरक्षण (Reservation) चाहते हैं. इसके लिए वह कई बार अपनी मांग भी उठा चुके हैं.
यूपी में 14 फीसदी निषाद वोटर्स
यूपी में 14% निषाद हैं. निषाद की उपजातियों को मिलाकर कुल 14 फ़ीसदी वोट बैंक हैं. जिसपर पार्टी का मुख्य रूप से फोकस है और शायद यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में 150 सीटों पर वीआईपी (Vikassheel Insaan Party) चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है. यूपी चुनाव की तैयारी में जुटे मुकेश सहनी 25 जुलाई को गोरखपुर में दस्यु फूलन देवी (Dasyu Phoolan Devi) की याद में समारोह का आयोजन करेंगे. जहां पर यूपी के हर जिले से लोगों को इकट्ठा किया जाएगा. वैसे पार्टी ने दस्यु फूलन देवी की जयंती हर जिले में मनाने का निर्णय लिया है. लेकिन मुख्य समारोह गोरखपुर में आयोजित होगा.
विकासशील पार्टी के कार्यक्रमों पर एक नजर
- 2 जलुाई को लखनऊ में पार्टी कार्यालय का उद्घाटन होगा
- 3 जुलाई को मुकेश सहनी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रणनीति का करेंगे खुलासा
- 25 जुलाई को दस्यु फूलन देवी की याद में सभी जिलों में समारोह का आयोजन होगा
- यूपी में 14 फीसदी निषाद वोटरों पर मुकेश सहनी की नजर
- यूपी की 150 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में वीआईपी
सहनी का सियासी सफर
मुकेश सहनी ने 2014 में राजनीति में कदम रखा. 1 साल बाद से ही वह लगातार राजनीति में सक्रिय हैं और अपनी सक्रियता को दिखाने के लिए सहनी लगातार राजधानी पटना में कई कार्यक्रम करते रहते हैं. 2015 में बीजेपी (Bharatiya Janata Party) के साथ मुकेश सहनी विधानसभा चुनाव लड़े लेकिन बाद में पाला बदलकर महागठबंधन के साथ चले गए. राजनीति में कदम रखने के 4 साल बाद उन्होंने 2018 में विकासशील इंसान पार्टी (VIP) बनाई. 2019 में मुकेश सहनी महागठबंधन के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव भी लड़े लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली थी. 2020 बिहार विधानसभा चुनाव (2020 Bihar Assembly Election) से ठीक पहले महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस से वॉक आउट कर सहनी ने एनडीए का दामन थाम लिया. बीजेपी ने उन्हें 11 सीट दी. जिसमें उन्हें 4 सीटों पर सफलता मिली. मुकेश सहनी खुद चुनाव हार गए. बाद में उन्हें मंत्री बनाकर एमएलसी बनाया गया है.
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5 साल चलेगी NDA सरकार
ईटीवी भारत से बातचीत में मुकेश सहनी यह कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बिहार में बेहतर कार्य कर रही है और यह सरकार पूरे 5 साल चलेगी. फिलहाल सहनी यूपी में अकेले चुनाव लड़ने की बात कह रही है. लेकिन आशंका है कि बीजेपी के साथ गठबंधन कर सकती हैं. बीजेपी वैसे भी यूपी में डॉ संजय सिंह की निषाद पार्टी का विकल्प तलाश रही है.
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वोटर्स किसका देंगे साथ?
एक तरफ मुकेश सहनी यूपी की 14 फीसदी निषाद वोटरों के सहारे 150 सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ यूपी में ही निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद (Nishad Party chief Sanjay Nishad) मैदान में उतरने को तैयार हैं. संजय निषाद ने यहां तक कह दिया है कि अगर बीजेपी उपमुख्यमंत्री का पद देती है तो समर्थन करेंगे और मिलकर चुनाव लड़ेंगे. संजय निषाद कहते हैं कि यूपी की करीब 160 विधानसभा क्षेत्र निषाद बहुल हैं और 70 क्षेत्रों में निषाद समुदाय की आबादी 75 हज़ार से ज्यादा है. ऐसे में सवाल उठता है कि समाज के लोग किनके साथ होंगे. मुकेश सहनी के साथ या फिर संजय निषाद के साथ.
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यूपी चुनाव में अभी महीनों वक्त है. किसकी जीत होगी यह आगे की बात है, लेकिन अगर पिछले कुछ चुनावों की बात करें तो बिहार से जाकर दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ने वाली ज्यादातर पार्टियों को सफलता हाथ नहीं लगी है. इसी साल बंगाल चुनाव में बिहार से दो राजनीतिक दल जदयू (Janata Dal United) और हम (Hindustani Awam Morcha) ने भी अपने उम्मीदवार खड़ा किए थे. लेकिन पार्टी वहां अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई.
कई राज्यों से में चुनाव लड़ने के बाद भी जेडीयू को सफलता हाथ नहीं लगी. उत्तर प्रदेश में लोक जनशक्ति पार्टी ने भी अपने उम्मीदवार खड़ा किए थे. लेकिन उन्हें भी यहां सफलता नहीं मिली थी. अब देखने वाली बात होगी कि 4 साल पुरानी विकासशील इंसान पार्टी यूपी में अपना क्या कुछ असर दिखाती है. चुनाव में मुकेश सहनी को कितनी सफलता मिलती है ये आने वाले समय में ही पता चलेगा.